वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

केन्या : हमारी परंपरा में तो मुंडेर पर कौए की आवाज सुनाई दे तो कहा जाता है कि ये किसी अतिथि के आगमन की सूचना है यानी इनको हानिकारक पक्षी नहीं माना गया और इंसानों का सहचर ही माना गया. शायद ही पहले कहीं सुना गया हो कि कौए के कारण किसी को कोई परेशानी हुई हो लेकिन अफ्रीकी देश केन्या के लिए भारतीय कौए जी का जंजाल बन गए हैं. केन्या इन कौओं की बढ़ती आबादी से इतना आजिज आ गया है कि वह इनके खिलाफ युद्ध स्तर पर एक्शन लेने जा रहा है. इसी साल 31 दिसंबर तक करीब 10 लाख कौओं को मारने का ऐलान किया गया है.
वजह
केन्या वाल्डलाइफ सर्विस ने पिछले दिनों इसकी सूचना देते हुए कहा कि भारतीय कौए विदेशी पक्षी हैं जो दशकों से हमारे सामाजिक जीवन के लिए संकट का सबब बने हुए हैं. तटीय इलाकों में ये होटल इंडस्ट्री को इनसे खासा नुकसान उठाना पड़ा है. टूरिस्ट की प्लेटों में ये झपट्टा मारकर खाना चुरा लेते हैं. होटलों में जहां एसी लगे होते हैं वैसी जगहें इनके घोसलों के लिए उपयुक्त होती हैं और वहां घोसले बनाकर उस एरिया को गंदा करते हैं. इसी तरह आर्टिफिशियल वाटर बॉडीज और स्वीमिंग पूल में ये बहुतायत में पाए जाते हैं. इसी तरह छोटी स्थानीय प्रजातियों के पक्षियों को मारकर उनके अंडे खा लेते हैं और फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. कौओं की झुंड में रहने की आदत होती है. एक तरफ जहां कुछ कौए स्थानीय पक्षियों पर हमला करते हैं और वहीं दूसरे उनके कुछ साथी उस पक्षी के अंडों पर अटैक करके उनको खा लेते हैं. लिहाजा ऐसी कई स्थानीय प्रजातियों को अपने हैबिटेट को बदलना पड़ा है जिससे केन्या समेत कई पूर्वी अफ्रीकी देशों के इकोसिस्टम पर बुरा असर पड़ा है. सिर्फ इतना ही आम, अमरूद के पेड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं और गेहूं, धान, दलहन की फसलों को भी नुकसान पहुंचाते हैं.
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लिहाजा केन्या सरकार ने इनके खिलाफ युद्ध का ऐलान किया है और 31 दिसंबर, 2024 तक करीब 10 लाख कौओं को समाप्त किया जाएगा. Starlicide नामक पक्षियों को दिए जाने वाले जहर से इनको मारा जाएगा. केन्या सरकार न्यूजीलैंड से इसको मंगाएगी और होटल इंडस्ट्री को मुहैया कराई जाएगी. वो लोग मीट में रखकर इसको कौओं को खिलाएंगे और इस तरह इनसे निजात पाई जाएगी.
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भारतीय कौए (Corvus Splendens)
अब सवाल उठते हैं कि अफ्रीकी महाद्वीप में भारतीय कौए कैसे पहुंचे? कुछ लोगों का मानना है कि 1890 के आसपास सबसे पहले इनको जंजीबार (अब तंजानिया का हिस्सा) ले जाया गया. उस वक्त जंजीबार पर अंग्रेजों का कब्जा था. भारत के एक गवर्नर की जब वहां पोस्टिंग हुई तो उसके आदेश पर इनको यहां से वहां पहुंचाया गया. उस वक्त जंजीबार जैसी जगहों पर चारों तरफ बिखरा कूड़ा-कचरा बहुत बड़ी समस्या था और इस कारण आए दिन महामारियां फैलती थीं. इस समस्या से निपटने के लिए भारतीय कौओं को वहां पहुंचाया गया ताकि वो इनको खा सकें. भारतीय कौओं की ये विशेषता है कि ये सब कुछ खा-पी लेते हैं.
कुछ विशेषज्ञ हालांकि इसके उलट ये तर्क देते हैं कि भारतीय कौए बहुत चालाक पक्षी माने जाते हैं. इनका दिशाबोध भी अचूक होता है. लिहाजा सदियों से नाविक इनको अपने जहाजी बेड़ों के साथ लेकर चलते रहे हैं ताकि बीच समुद्र में इनकी मदद से दिशाबोध का ज्ञान होता रहे. इसी तरह भारतीय कौए ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका समेत दुनिया के दूसरे महाद्वीपों तक पहुंचे हैं. इनको तत्कालीन इकोसिस्टम, मौसमों के अनुकूल खुद को बनाने की अचूक क्षमता होती है लिहाजा ये जहां भी पहुंचे हैं वहां इनकी आबादी में तीव्र इजाफा ही हुआ है.
वजह चाहे जो भी रही हो लेकिन 1917 तक आते-आते बढ़ती आबादी के कारण जंजीबार के लिए बहुत बड़ी समस्या बन गए. यहां तक कि जंजीबार ने इनके मारने के लिए इनाम भी रखा लेकिन इनकी संख्या कम करने के प्रयास विफल रहे. 1947 में ये केन्या पहुंचे और इस वक्त वहां इनकी आबादी साढ़े सात लाख से लेकर 10 लाख के बीच मानी जा रही है.
गर्मी का कहर, 1000 से ज्यादा हज यात्रियों की मौत, क्यों मृतकों का सऊदी अरब में ही होगा अंतिम संस्कार?
Hajj 2024 News: हज यात्रा के दौरान कई कारणों से तीर्थयात्रियों की मौत हो जाती है जिसमें भीड़ से कुचल कर, बीमारी या गर्मी से होने वाली मौतें शामिल हैं. इस बार रिकॉर्ड तोड़ गर्मी को अधिकतर मौतों की वजह बताया जा रहा है.
Edited By: Manish Kumar.1|Last Updated: Jun 21, 2024, 07:42 AM IST
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Hajj 2024: गर्मी का कहर, 1000 से ज्यादा हज यात्रियों की मौत, क्यों मृतकों का सऊदी अरब में ही होगा अंतिम संस्कार?
Hajj Pilgrimage Death Toll Climbs To over 1,000: भीषण गर्मी के बीच आयोजित हज यात्रा में मरने वालों की संख्या 1,000 से अधिक हो गई है. इनमें से आधे से अधिक गैर-पंजीकृत श्रद्धालु थे. एएफपी के मुताबिक लगभग 10 देशों ने वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान 1,081 मौतें होने की सूचना दी है. मृत तीर्थयात्रियों को दफनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. नियमों के तहत उन्हें सऊदी अरब में ही दफनाया जा रहा है.
68 भारतीयों की मौत
एएफपी के मुताबिक सऊदी अरब में एक डिप्लोमेट ने बुधवार को कहा कि हज यात्रा के दौरान 68 भारतीय नागरिकों की मौत हो गई. नाम न बताने की शर्त पर बात करने वाले उसने कहा, ‘हमने लगभग 68 लोगों की मौत की पुष्टि की है… कुछ की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है और हमारे पास कई बुजुर्ग तीर्थयात्री भी थे। और कुछ की मौत मौसम की स्थिति के कारण हुई है, ऐसा हमारा अनुमान है.’
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हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है और सभी मुसलमानों को कम से कम एक बार हज अवश्य करना चाहिए.
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मक्का में पारा 51 के पार
हज का समय चंद्र इस्लामी कैलेंडर (Lunar Islamic calendar) के अनुसार निर्धारित होता है, इस साल फिर से यह भीषण गर्मी के बीच पड़ी. राष्ट्रीय मौसम विज्ञान केंद्र ने मक्का की ग्रैंड मस्जिद में इस सप्ताह 51.8 डिग्री सेल्सियस (125 फ़ारेनहाइट) का उच्चतम तापमान दर्ज किया.
हज यात्रा के दौरान कई कारणों से तीर्थयात्रियों की मौत हो जाती है जिसमें भीड़ से कुचल कर, बीमारी या गर्मी से होने वाली मौतें शामिल हैं. इस बार रिकॉर्ड तोड़ गर्मी को अधिकतर मौतों की वजह बताया जा रहा है.
सऊदी अरब ने नहीं दी आधिकारिक जानकारी
हालांकि सऊदी अरब ने आधिकारिक तौर पर मौतों की जानकारी नहीं दी है, उसने सिर्फ रविवार को ही ‘भीषण गर्मी’ से निढाल होने वालों के 2700 से अधिक मामलों की सूचना दी है.
एएफपी के मुताबिक एक अरब राजनयिक ने बताया कि गुरुवार को रिपोर्ट की गई नई मौतों में 58 मिस्र के लोग शामिल हैं. उन्होंने कहा कि मरने वाले 658 मिस्रियों में से 630 अनरजिस्टर्ड तीर्थयात्री थे.
डिप्लोमेट ने कहा कि मिस्र के तीर्थयात्रियों की मौत का मुख्य कारण गर्मी है, जिससे उच्च रक्तचाप और अन्य समस्याओं से जुड़ी जटिलताएं पैदा हो रही हैं.
शवों का अंतिम संस्कार
सवाल उठता है कि हज के दौरान तीर्थयात्री की मौत होने पर शव उसके देश भेजा जाता है या फिर अंतिम संस्कार सऊदी अरब में ही किया जाता है.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब के हज संबंधित कानून में यह स्पष्ट है कि अगर हज के दौरान किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उसका शव उसके देश में नहीं भेजा जाता. उसे सऊदी अरब में ही दफना दिया जाता है.
हज यात्रा की तैयारी करते समय हर व्यक्ति हज से संबंधित एक आवेदन पत्र पर हस्ताक्षर करता है. उसमें लिखा होता है कि अगर सऊदी अरब की ज़मीन पर या आसमान में उसकी मौत हो जाती है तो उसके शव को वहां दफना दिया जाएगा. उनके परिवार या परिजनों की कोई आपत्ति स्वीकार नहीं की जाएगी.
शुरू हुआ शवों को दफनाना
दो राजनयिकों ने गुरुवार को एएफपी को बताया कि सऊदी अधिकारियों ने मृत तीर्थयात्रियों को दफनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसमें शवों को साफ करना, उन्हें सफेद कपड़े में लपेटना और उन्हें अलग-अलग कब्रों में दफनाना शामिल है.
एक डिप्लोमेट ने कहा, ‘शवों को दफन सऊदी अधिकारियों द्वारा किया जाता है। उनके पास अपनी खुद की प्रणाली है, इसलिए हम बस उसी का पालन करते हैं.’ उन्होंने बताया कि उनका देश मृतकों के प्रियजनों को यथासंभव सूचित करने के लिए काम कर रहा है.
दूसरे डिप्लोमेट ने कहा कि मौतों की संख्या को देखते हुए कई परिवारों को समय से पहले सूचित करना असंभव होगा, खासकर मिस्र में, जहां बहुत से लोग मारे गए है.
अनियमित यात्री
हर साल हजारों तीर्थयात्री अनियमित चैनलों के जरिए हज करने की कोशिश करते हैं क्योंकि वे आधिकारिक हज वीजा के लिए अक्सर महंगी प्रक्रियाओं का खर्च नहीं उठा सकते.
इन गैर-बुक तीर्थयात्रियों के लिए जोखिम अधिक होता है. ये लोग हज रूट पर सऊदी प्रशासन की ओर से प्रदान की गई एयर-कंडीशन सुविधाओं का उपयोग नहीं कर सकते.
एएफपी के मुताबिक इस महीने की शुरुआत में, सऊदी अधिकारियों ने कहा था कि उन्होंने हज से पहले मक्का से सैकड़ों हज़ारों अपंजीकृत तीर्थयात्रियों को निकाल दिया था लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि कई लोगों ने पिछले शुक्रवार से शुरू हुई मुख्य रस्मों में भाग लिया.