नासा अब नहीं भेजेगा चांद पर रोवर , आखिर क्यों?

अंतरिक्ष एजेंसी ने बुधवार को कहा कि ‘वाइपर’ रोवर को ‘एस्ट्रोबोटिक टेक्नोलॉजी’ द्वारा उपलब्ध कराए गए एक लैंडर के जरिए 2023 के अंत तक लॉन्च किया जाना था.

नासा  ने रद्द किया चंद्रमा रोवर मिशन :  अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने कहा कि वह पानी की खोज के लिए चंद्रमा पर रोवर भेजने के मिशन को रद्द कर रहा है. एजेंसी ने लागत में बढ़ोतरी और लॉन्चिंग में देरी होने की वजह से यह फैसला किया है.

अंतरिक्ष एजेंसी ने बुधवार को कहा कि ‘वाइपर’ रोवर को ‘एस्ट्रोबोटिक टेक्नोलॉजी’ द्वारा उपलब्ध कराए गए एक लैंडर के जरिए 2023 के अंत तक लॉन्च किया जाना था. लेकिन एक्स्ट्रा टेस्टिंग और लागत बढ़ने के कारण इस मिशन में देरी होती रही जिससे दूसरे प्रोजेक्ट्स पर पर खतरा मंडराने लगा.

नासा ने बताया कि रोवर का उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर खोजबीन करना था. इसके डेवलपमेंट पर अभी तक करीब 45 करोड़ डॉलर खर्च किए जा चुके हैं.

स्पेस एजेंसी के मुताबिक  उसकी योजना अन्य परियोजनाओं के जरिए चंद्रमा पर बर्फ की मौजूदगी का अध्ययन करना है. एस्ट्रोबोटिक की अब भी अगले साल के अंत तक अपने ग्रिफिन चंद्रमा लैंडर को प्रक्षेपित करने की योजना है.

ओपोलो-11 की 55वीं एनिवर्सरी

अपोलो 11 मिशन की 55वीं एनिवर्सरी से कुछ दिन पहले यह घोषणा की गई है. बता दें अपोलो 11 ने चंद्रमा पर कदम रखने वाले पहले लोगों को लेकर उड़ान भरी थी. अंतरिक्ष यान को 16 जुलाई को फ्लोरिडा के केप कैनेडी (अब केप कैनावेरल) से लॉन्च किया गया. चार दिन बाद, अपोलो 11 के कमांडर नील आर्मस्ट्रांग चंद्रमा की सतह पर कदम रखने वाले पहले व्यक्ति बने.

अपोलो 11 मिशन अपोलो प्रोग्राम का नतीजा था, जो नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) द्वारा संचालित चंद्रमा-लैंडिंग प्रोजेक्ट था, जिसकी शुरुआत 1960 के दशक की शुरुआत में हुई थी.

16 जुलाई को प्रक्षेपण के समय से लेकर 24 जुलाई को प्रशांत महासागर में वापसी तक, अपोलो 11 की उड़ान के लगभग हर प्रमुख पहलू को दुनिया भर के करोड़ों लोगों ने टेलीविजन के माध्यम से देखा.

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