दिल्ली में क्यों हो रहा है जल संकट?
भीषण गर्मी के बीच राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कई इलाके पानी की संकट से जूझ रहे है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिल्ली के लोगों को इस्तेमाल के लिए पानी कहां से मिलता है.
दिल्ली में पानी की समस्या : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली भीषण गर्मी की चपेट में है और तापमान लगातार 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बना हुआ है. इस बीच दिल्ली के कई इलाके पानी की संकट से जूझ रहे है. पानी की किल्लत के बीच सुप्रीम कोर्ट ने इस समस्या से निजाद दिलाने के लिए अहम आदेश पारित किया है और हरियाणा सरकार को निर्देश दिया है कि वह हिमाचल प्रदेश द्वारा दिल्ली के लिए रिलीज किए जाने वाले जल को बिना किसी बाधा के दिल्ली के लिए छोड़ा जाए. इससे पहले कोर्ट ने हिमाचल सरकार को अपने अधिशेष में से 137 क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्देश दिया था. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला दिल्ली की आप सरकार की अपील के बाद आया है, जिसने पिछले महीने की लंबी गर्मी के दौरान पानी की मांग में वृद्धि को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और हरियाणा की भाजपा सरकार पर यमुना के पानी की आपूर्ति को रोकने का आरोप लगाया था.
दिल्ली में पानी की कमी क्यों हुई?
उत्तरी दिल्ली के वजीराबाद में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (WTP) 12 से 14 मई तक और फिर 18 मई से 1 जून तक अपनी क्षमता से कम काम कर रहा था. यह वह समय था जब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में तापमान रिकॉर्ड हाई लेवल पर पहुंच गआ था और इस वजह से पानी की मांग में भारी वृद्धि हुई थी. वजीराबाद वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 131 एमजीडी (मिलियन गैलन प्रतिदिन) है.
इस प्लांट से बुराड़ी, मॉडल टाउन, सदर बाजार, चांदनी चौक, मटिया महल, बल्लीमारान, पंजाबी बाग, राजघाट और आईटीओ के आसपास के क्षेत्रों के अलावा ग्रेटर कैलाश, डिफेंस कॉलोनी और साउथ एक्सटेंशन के कुछ हिस्सों सहित उत्तर, मध्य और दक्षिण दिल्ली के कुछ हिस्सों को पानी की आपूर्ति होती है. मई में वजीराबाद का उत्पादन 102.9 एमजीडी तक गिर गया, जो 2 जून को अपनी सामान्य क्षमता पर लौटा. हालांकि, अन्य डब्ल्यूटीपी अपनी क्षमता से अधिक काम कर रहे थे.
दिल्ली को पानी कहां से मिलता है?
चिलचिलाती गर्मी के बीच दिल्ली पानी की किल्लत से जूझ रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिल्ली के लोगों को इस्तेमाल के लिए पानी कहां से मिलता है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली को ज्यादातर पानी यमुना, रावी-ब्यास और गंगा नदियों से मिलता है. उत्तर प्रदेश में ऊपरी गंगा नहर के जरिए गंगा से दिल्ली को 470 क्यूसेक (लगभग 254 एमजीडी) पानी मिलता है. हरियाणा से दिल्ली में प्रवेश करने वाले दो चैनल- कैरियर लाइन्ड चैनल (CLC) और दिल्ली सब ब्रांच (DSB) दिल्ली को यमुना और रावी-ब्यास नदियों से पानी की आपूर्ति करते हैं.
दिल्ली को CLC के माध्यम से 719 क्यूसेक पानी मिलता है, जो एक लाइन्ड चैनल है जिसका उद्देश्य रिसाव से होने वाले पानी के नुकसान को कम करना है. DSB के माध्यम से दिल्ली को 330 क्यूसेक (कुल मिलाकर लगभग 565 MGD) पानी मिलता है. दिल्ली जल बोर्ड (DJB) भी मांग को पूरा करने के लिए यमुना से सीधे पानी लेता है. दिल्ली जल बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दिल्ली को नदी से सीधे पानी खींचने के लिए कोई विशिष्ट मात्रा में पानी आवंटित नहीं किया गया है. कुल मिलाकर दिल्ली को लगभग 565 MGD पानी मिलता है. इसके अलावा दिल्ली जल बोर्ड जल आपूर्ति को भूजल से भी पूरा करता है, जिसमें से लगभग 135 एमजीडी पानी ट्यूबवेल और रेनी कुओं से प्राप्त होता है.
क्षमता से कम क्यों काम कर रहा था वजीराबाद प्लांट?
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में 1 से 24 मई तक बारिश में भारी कमी दर्ज की गई. दिल्ली जल बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि कम बारिश का मतलब है कि यमुना में डीजेबी के लिए वजीराबाद जलाशय से पानी निकालने के लिए पर्याप्त पानी नहीं था. 674.5 फीट (समुद्र तल से ऊपर) के ‘सामान्य’ स्तर के मुकाबले, 31 मई को जलाशय में जल स्तर 670.3 फीट था. पिछले कुछ दिनों में यह बढ़कर 671 फीट हो गया है.
यह पहली बार नहीं है जब ऐसी स्थिति पैदा हुई है. पिछले कुछ सालों में भी गर्मियों मेंभी वजीराबाद जलाशय में जल स्तर और भी कम रहा है. जून 2022 में यह 667.7 फीट के स्तर पर पहुंच गया था. कम बारिश के अलावा जलस्तर पर परिवहन के दौरान होने वाले नुकसान, रिसाव और वाष्पीकरण के कारण भी असर पड़ता है. हरियाणा सिंचाई और जल संसाधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि गर्मियों में हथिनीकुंड बैराज से छोड़े गए 352 क्यूसेक पानी में से काफी हिस्सा परिवहन के दौरान ही बर्बाद हो जाता है.
यमुना से दिल्ली को कितना पानी आवंटित किया जाता है?
1994 में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के बीच यमुना के जल बंटवारे को लेकर समझौता हुआ था. इसके अनुसार, दिल्ली को मार्च से जून तक 0.076 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलता है. दिल्ली के लिए वार्षिक आवंटन 0.724 बीसीएम है. यह लगभग 435 एमजीडी के बराबर है. साल 1994 में हुए इस समझौते में 2025 में संशोधन किया जाना है.