सांसदों का कब कितना इंक्रीमेंट
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे सामने आ चुके हैं और नई सरकार के गठन की प्रक्रिया जारी है. नतीजे के मुताबिक इस बार विभिन्न राजनीतिक दलों के सौ से ज्यादा सांसद पहली बार संसद में प्रवेश कर रहे हैं.
सांसद सदस्यों का वेतन : लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने के बाद से नई सरकार के गठन की सियासी कवायद तेज हो चुकी है. नतीजे के मुताबिक भाजपा 240, कांग्रेस 99, सपा 37, टीएमसी 29, टीडीपी 16 और जेडीयू 12 सीटों पर जीत हासिल कर लकोसभा में बड़ी पार्टी बन चुकी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ही लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए बुधवार को एनडीए की मैराथन बैठक की जा रही है.
सांसदों के वेतन में आजादी के बाद से लगभग 250 गुना बढ़ोतरी
नतीजे के मुताबिक, इस बार कुल 543 सदस्यों में से एक सौ से ज्यादा नए चेहरे लोकसभा में बतौर सांसद प्रवेश करने वाले हैं. दिलचस्प, बात यह है कि इन सांसदों के वेतन में आजादी के बाद से लगभग 250 गुना बढ़ोतरी हो चुकी है. आइए, जानते हैं कि देश के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले इन सांसदों को कितनी सैलरी, भत्ता, सुविधा और सुरक्षा मिलती है.
संविधान का अनुच्छेद 106 में सांसदों को ही अपने वेतन और भत्ते तय करने का हक
संविधान का अनुच्छेद 106 सांसदों को कानून बनाकर अपने वेतन और भत्ते तय करने का अधिकार देता है. आजादी के बाद देश में ‘द सैलरी, अलाउंस एंड पेंशन ऑफ मेंबर्स ऑफ पार्लियामेंट एक्ट, 1954 के तहत सांसदों की सैलरी का प्रावधान किया गया था. इस संसद सदस्य (वेतन, भत्ता और पेंशन) अधिनियम 1954 के तहत ही सभी सांसद को सैलरी, भत्ता, सुविधाएं, सुरक्षा और पेंशन दी जाती हैं. हालांकि, 2018 तक समय-समय पर संसद में इसमें बढोतरी का प्रस्ताव पास करने के बाद अमल में लाया जाता रहा है. इस तरह आजादी के बाद से अब तक 10 बार इसे बढ़ाया जा चुका है.
सांसदों के वेतन में आजादी के बाद से लगभग 250 गुना बढ़ोतरी
नतीजे के मुताबिक, इस बार कुल 543 सदस्यों में से एक सौ से ज्यादा नए चेहरे लोकसभा में बतौर सांसद प्रवेश करने वाले हैं. दिलचस्प, बात यह है कि इन सांसदों के वेतन में आजादी के बाद से लगभग 250 गुना बढ़ोतरी हो चुकी है. आइए, जानते हैं कि देश के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले इन सांसदों को कितनी सैलरी, भत्ता, सुविधा और सुरक्षा मिलती है.
सांसदों की सैलरी से जुड़े कानून में कब और कैसा बदलाव
संसद ने साल 1985 में एक कानून बनाया जिसने सांसदों के कुछ भत्ते जैसे निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, कार्यालय भत्ता और आवास भत्ता निर्धारित करने और संशोधित करने की शक्ति केंद्र सरकार को सौंप दी. साल 2018 में वित्त अधिनियम के जरिए संसद ने सांसदों के लिए वेतन निर्धारित करने वाले कानून में संशोधन किया. इसने सांसदों के वेतन को संशोधित किया और प्रावधान किया कि आयकर अधिनियम, 1961 के तहत प्रदान किए गए लागत मुद्रास्फीति सूचकांक के आधार पर, सांसदों के वेतन, दैनिक भत्ते और पेंशन में हर पांच साल में वृद्धि की जाएगी.
फिलहाल बेसिक सैलरी एक लाख, हर पांच साल पर इंक्रीमेंट
अधिकृत सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक हरेक सांसद को महीने में बेसिक सैलरी के तौर पर फिलहाल एक लाख रुपये मिलता है. वहीं, आवास, स्वास्थ्य, यात्रा समेत कई तरह के भत्ते और सुविधाएं मिलती हैं. इस मामले में 1 अप्रैल 2023 से एक नया नियम लागू किया गया था. नए नियम के मुताबिक, सांसदों की सैलरी और दैनिक भत्ते में हर पांच साल के बाद पांच फीसदी की फिक्स इंक्रीमेंट किया जाएगा.
वहीं, पेंशन के रुप में हर महीने 25 हजार रुपए जिसमें सेवा के प्रत्येक अतिरिक्त वर्ष के लिए 1,500 की बढ़त की जाती है. इसके अलावा नियम है कि लोकसभा-राज्यसभा के सांसद, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति सिर्फ अपनाी बेसिक सैलरी पर ही टैक्स भरते हैं. अलग से मिलने वाले भत्ते पर उन्हें कोई टैक्स नहीं देना पड़ता.
संसद चले तो रोजाना दो हजार, सड़क से आवाजाही पर प्रति किमी 16 रुपये
जानकारी के अनुसार, एक सांसद को किसी सदन के सत्र में या किसी संसदीय समिति की बैठक में भाग लेने या संसद सदस्य से जुड़े किसी भी काम से दौरा करने पर अलग से यात्रा भत्ता दिया जाता है. संसद सत्र के दौरान दैनिक भत्ता 2,000 रुपये रोजाना दिया जाता है. सासंद जब सड़क मार्ग से यात्रा करते हैं, तो उन्हें 16 रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से अलग से भत्ता मिलता है. एक वरिष्ठ नेता ने दिलचस्प बात बताई कि इसमें सड़क पर लगने वाले जर्किंग (झटके) तक का ख्याल रखा जाता है.
घर-दफ्तर में मुफ्त बिजली, पानी, फोन, स्टेशनरी…
इसके अलावा सभी सांसदों को निर्वाचन क्षेत्र भत्ते के रूप में हर महीने 70 हजार रुपये मिलते हैं. वहीं सांसद को दिल्ली स्थित अपने निवास या दिल्ली के कार्यालय में टेलिफोन लगवाने पर कोई चार्ज नहीं देना होता है. ये सारा बिल का खर्च सरकार उठाती है. सांसदों को पचास हजार फ्री लोकल कॉल की सुविधा मिलती है. घर में मुफ्त बिजली और पानी भी उपलब्ध होता है. कार्यालय खर्च भत्ते के रूप में हर महीने 60 हजार रुपये मिलते हैं. इनमें स्टेशनरी तक का खर्च भी शामिल होता है.
रेलवे के फर्स्ट क्लास में अटेंडेंट के साथ फ्री यात्रा
एक सांसद को किसी भी समय रेलवे से एक अटेंडेंट के साथ मुफ्त में यात्रा करने के लिए एक पास भी दिया जाता है. यह किसी भी ट्रेन की फर्स्ट क्लास एसी या एग्जिक्यूटिव क्लास में मान्य होता है. वहीं, हवाई यात्रा में टिकट का महज 25 फीसद ही सांसदों को देना पड़ता है. सरकारी काम के सिलसिले में विदेश यात्रा करने पर सांसद को सरकारी भत्ता दिया जाता है.
इसके अलावा हर सांसद को मेडिकल सुविधाएं भी मिलती है. सांसद किसी भी सरकारी या रेफर कराने के बाद किसी प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराता है, तो उसका पूरा खर्च भी सरकार देती है. सांसद को सरकारी खर्च पर ही सुरक्षाकर्मी और केयर-टेकर भी मिलते हैं.