क्या है चितालागी रस्म, जिसे निभाने के लिए आज 4 घंटे बंद रहेगा जगन्नाथ मंदिर
चितालागी अमावस्या 2024: आज चितालागी अमावस्या पर पुरी का जगन्नाथ मंदिर 4 घंटों के लिए बंद रहेगा और भक्त दर्शन नहीं कर सकेंगे. मंदिर को चितालागी रस्म पूरी करने के लिए बंद रखा जाएगा.

पुरी जगन्नाथ मंदिर के खुलने और बंद होने का समय : चार धामों में से एक पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर आज 4 घंटे तक आम दर्शन के लिए बंद रहेगा. श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) के अनुसार आज 4 अगस्त 2024, रविवार को दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक मंदिर आम दर्शन के लिए बंद रहेगा. इस दौरान चितालागी नीति रस्म पूरी की जाएगी. यह रस्म हर साल चितालागी या चितलागी अमावस्या के दिन निभाई जाती है.
रथ यात्रा के दौरान लगाई जाती है अस्थायी चिता
भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के माथे पर स्वर्ण की चिता या चैता धारण करते हैं. यह स्वर्ण चिह्न होता है जो कीमती रत्नजडि़त होता है. हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान इन स्वर्ण चिह्नों को हटा कर अस्थायी चैता या चिता लगा दिए जाते हैं. ये अस्थायी चिता थर्मोकोल से बने होते हैं. बाद में इन्हें हटाया जाता है. इसे ही चैतालागी, चितलागी या चितालागी नीति कहा जाता है.
हीरे, पन्ना, माणिक्य से बने हैं चिता
तीनों देवी-देवता जिन स्वर्ण चिह्नों को अपने माथे पर धारण करते हैं वे सोने, हीरे, माणिक, पन्ना और नीलम से बने होते हैं. भगवान बलभद्र को नीलम चिता, भगवान जगन्नाथ को हीरे की चिता और देवी सुभद्रा को माणिक्य चिता’ से सजाया जाता है.
रथ यात्रा के बाद चितालागी अमावस्या पर यह अस्थायी चिता हटाकर उनके माथे पर स्वर्ण चिह्न सजाए जाते हैं. सावन महीने की अमावस्या को चितालागी अमावस्या कहा जाता है.
मौसी के घर जाते हैं भगवान
हर साल भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ 3 सुसज्जित रथों में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलते हैं. इस दौरान वे अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं. वह तीनों भाई-बहनों का जमकर आदर-सत्कार होता है और भगवान जगन्नाथ पकवान खाकर बीमार हो जाते हैं. इस दौरान 7 दिन वे भक्तों को दर्शन नहीं देते हैं. फिर स्वस्थ्य होकर वापस जगन्नाथ मंदिर आते हैं. इस रथ यात्रा में शामिल होने के लिए दुनिया भर से श्रद्धालु आते हैं.