अदालत संसद के बनाए कानून पर रोक नहीं लगा सकती

वक्फ संशोधन एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार

वक्फ एक्ट वैध है और इसके खिलाफ जो आपत्तियां दर्ज कराईं गई हैं,
वो पूरी तरह से गलत, कानून को संविधान के विरुद्ध बताने वाले कर रहे भ्रामक प्रचार हैं

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन एक्ट को सही ठहराते हुए कहा कि पिछले 100 सालों से वक्फ बाय यूजर को केवल पंजीकरण के आधार पर मान्यता दी जाती है, मौखिक रूप से नहीं. इसलिए, संशोधन निरंतर अभ्यास के अनुरूप है. केंद्र सरकार ने कहा कि सरकारी भूमि को जानबूझकर या गलत तरीके से वक्फ संपत्ति के रूप में चिन्हित करना राजस्व रिकॉर्ड को सही करने के लिए है और सरकारी भूमि को किसी धार्मिक समुदाय की भूमि नहीं माना जा सकता. केंद्र सरकार ने ये भी कहा कि अदालत संसद के बनाए कानून पर रोक नहीं लगा सकती.

केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन एक्ट पर जवाबी हलफनामा दाखिल किया है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में सरकार ने कानून का बचाव करते हुए यानी इसे सही ठहराते हुए कहा है कि पिछले 100 साल से वक्फ बाई यूजर को केवल पंजीकरण के आधार पर मान्यता दी जाती है ना कि मौखिक रूप से.

केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा कि वक्फ मुसलमानों की कोई धार्मिक संस्था नहीं बल्कि वैधानिक निकाय है. वक्फ संशोधन कानून के मुताबिक मुतवल्ली का काम धर्मनिरपेक्ष होता है न कि धार्मिक. ये कानून चुने गए जनप्रतिनिधियों की भावनाओं को दर्शाता है. उन्होंने ही बहुमत से इसे पारित किया है.

आंशिक या पूर्ण रोक का विरोध किया
वक्फ संशोधन एक्ट को सही ठहराते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि अदालत में इसके लंबित रहने के दौरान आंशिक या पूर्ण रोक का विरोध किया. केंद्र ने कहा कि यह कानून में स्थापित स्थिति है कि संवैधानिक न्यायालय किसी वैधानिक प्रावधान पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोक नहीं लगाएंगे और मामले पर अंतिम रूप से निर्णय लेंगे. संवैधानिकता की एक धारणा है, जो संसद द्वारा बनाए गए कानूनों पर लागू होती है. अदालत द्वारा अंतरिम रोक शक्ति संतुलन के सिद्धांत के विरुद्ध है.

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