सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले को रद्द करने से इनकार किया

नई दिल्ली: केंद्रीय भारी उद्योग और इस्पात मंत्री और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कुमारस्वामी के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया है। दरअसल 2007 में मुख्यमंत्री रहते हुए कुमार स्वामी ने बैंगलौर डेवलपमेंट अथॉरिटी की दो एकड़ जमीन के नोटिफिकेशन को रद्द करने का आदेश दिया था। जिसको लेकर कुमारस्वामी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी। कुमारस्वामी की दलील थी कि मुकदमा चलाने के लिए उचित अथॉरिटी से इजाजत नहीं ली गई है इसलिए उनके खिलाफ चल रहे इस मामले को रद्द किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में जमीन के नोटिफिकेशन को रद्द करने के मामले में आपराधिक कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया।

कोर्ट ने क्या माना?
कोर्ट ने माना कि एंटी करप्शन एक्ट में 2018 में किए गए संशोधन के तहत संरक्षण का अधिकार नहीं मिलता है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अब कुमारस्वामी के खिलाफ निचली अदालत में चल रहे मुकदमें को आगे बढ़ाने का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कुमारस्वामी के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि अभियोजन के लिए सेंक्शन की जरूरत है।

कोर्ट ने कहा कि एंटी करप्शन एक्ट में किए गए संशोधन पिछली तारीख से लागू नहीं होंगे। दरअसल यह मामला बेंगलुरु के बनशंकरी इलाके में 2 एकड़ और 24 गुंटा जमीन को डी नोटिफाई करने के आदेश के बाद शुरू हुआ था। जमीन के इस टुकड़े को 1997 में बैंगलोर विकास प्राधिकरण (बीडीए) द्वारा अधिग्रहित किया गया था। बीडीए की आपत्तियों के बावजूद, तत्कालीन मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने 2007 में इसके नोटिफिकेशन को रद्द करने का आदेश दिया था, जिसके बाद 2010 में इसे निजी पार्टियों को 4.14 करोड़ रुपये में बेच दिया गया।

साल 2019 में जब कुमारस्वामी दोबारा मुख्यमंत्री बने तो इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी गई। हालांकि, इस क्लोजर रिपोर्ट को एमपी/ एमएलए कोर्ट ने खारिज कर दिया और कुमारस्वामी को समन जारी कर दिया। MP/MLA कोर्ट के फैसले को कुमारस्वामी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी लेकिन कर्नाटक हाईकोर्ट ने समन के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि आरोपों की गंभीरता को देखते हुए इसमें दखल देने का कोई आधार नहीं बनता है। कुमारस्वामी ने हाईकोर्ट के फैसले को 2020 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कर्नाटक सरकार ने भी कुमारस्वामी की मांग का विरोध करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार अधिनियम में किया गया 2018 का संशोधन पिछले अपराधों पर लागू नहीं किया जा सकता है।

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