शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का हाईकोर्ट/सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान
बोले- हिंदू धर्म के खिलाफ फैसले में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट को महसूस होता है गर्व

जबलपुरः ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने वक्फ बोर्ड में हिंदू को शामिल किए जाने के कानून पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा, ‘वक्फ बोर्ड में एक सरकारी आदमी होगा, जो हिंदू होगा. उससे हमको क्या फायदा होगा. मान लो अगर बोर्ड में हिंदू शामिल हो भी जाए, वो सरकारी आदमी तो वैसे ही हिंदू धर्म के खिलाफ है. हम लोग गाय पकड़ते हैं तो कोई भी अधिकारी मदद नहीं करता है. बल्कि हमारे ऊपर मुकदमा लगाता है. हम जो है मंदिर की बात करते हैं या कोई बात भी करते हैं तो हम पर मुकदमा दर्ज कराता है.’
अपने बयानों के लिए हमेशा सुर्खियों में रहने वाले ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इस बार सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले को लेकर बड़ा बयान दिया है। जबलपुर पहुंचे शंकराचार्य ने इस बार हिंदुओं के पक्ष में बयान दिया है। कहा कि- हिंदू धर्म के खिलाफ फैसले करने में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट को गर्व महसूस होता है।
शंकराचार्य ने कहा कि- वक्फ बोर्ड में हिंदुओं को शामिल करने से कोई फायदा नहीं होगा, यह सिर्फ बरगलाने की कोशिश है। आमतौर पर सरकारी अधिकारी हिंदू धर्म के खिलाफ काम करते हैं। गाय को थाने लेकर जाते हैं तो हमारी सुनने के बजाय उल्टे हम पर ही मुकदमे लाद देते हैं। सुप्रीम कोर्ट के हिंदू धार्मिक मठों में दो मुस्लिमों को शामिल करने वाले सवाल पर शंकराचार्य ने कहा कि- मुसलमानों का देश के लिए कोई योगदान नहीं है। मुस्लिमों को शामिल करने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है।
इसके अलावा उनसे जब सवाल किया गया कि क्या मठ या मंदिर बोर्ड में किसी मुसलमान को शामिल करेंगे?
उन्होंने कहाए ष्भाई हम क्यों करेंगेण् किसलिए करेंगे आप बताइएण् मुसलमान का क्या योगदान हैए बताइएघ् मुसलमान का हिंदू धर्म में क्या योगदान है?
कोई योगदान नहीं है. मुसलमान का तो भारत देश में भी कोई योगदान नहीं है. क्योंकि भारत देश से टुकड़ा करके अपना अलग देश बना लिया. तो सच बात यह है कि राजीनित के मामले में भी उन्हें (मुसलमानों) द्योम दर्ज देना चाहिए. लेकिन नहीं देते हो. अब आप कह रहे हैं कि धर्म के मामले में हम क्यों देंगे. हम बिल्कुल नहीं देंगे.’
वहीं सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट हो या दूसरी कोई कोर्ट हो. हिंदू धर्म के खिलाप फैसला देने में गर्व महसूस होता है. तो हमारी सुनने वाला कोई नहीं है. तो अगर कोई अधिकारी बैठ भी जाएगा वक्फ बोर्ड में जिसका नाम हिंदुओं जैसा होगा, उससे क्या फायदा होगा?’