बड़े विवाद में फंसी प्रतीक गांधी की फिल्म ‘फुले’, क्या है पूरा मामला?

प्रतीक गांधी और पत्रलेखा फिल्म 'फुले' को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है, जिसके बाद इसकी रिलीज डेट को आगे बढ़ाने का फैसला किया गया है. साथ ही बताया जा रहा है कि सेंसर बोर्ड ने भी फिल्म में कई बदलाव करने के आदेश दिए हैं. चलिए बताते हैं आखिर क्या है ये पूरा मामला?

प्रतीक गांधी और पत्रलेखा फिल्म ‘फुले’ काफी समय से ही सुर्खियों में बनी हुई है. साथ ही फिल्म के ट्रेलर आने के बाद से ही फैंस इसको लेकर काफी एक्साइटेड भी हैं. हालांकि, सिनेमाघरों में आने से पहले ही फिल्म को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया था, जिसके चलते इसकी रिलीज डेट को टाला पड़ा. पहले ये फिल्म शुक्रवार, 11 अप्रैल को सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली थी, लेकिन अब इसकी तारीफ को आगे बढ़ा दिया गया है.

इसके अलावा बताया जा रहा है कि सेंसर बोर्ड ने भी इस फिल्म में कुछ बड़े बदलावों के आदेश दिए हैं. फिल्म में प्रतीक गांधी और पत्रलेखा, फुले दंपती की भूमिका निभा रहे हैं. ये फिल्म समाज सुधारकों ज्योतिराव फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित है. दोनों ने 19वीं सदी में जातिवाद के खिलाफ और महिलाओं और पिछड़े वर्गों की शिक्षा के लिए अहम काम किया था. ‘फुले’ फिल्म उनके संघर्ष और समाज में बदलाव लाने की कोशिशों को दिखाया गया है.

जातिवाद के विवाद में फंसी ‘फुले’

प्रतीक गांधी की ये फिल्म जातिवाद के विवाद में फंस गई है. फिल्म के ट्रेलर के बाद ये विवाद शुरू हुआ है.कहा जा रहा है कि ये फिल्म जातिवाद को बढ़ावा देती है. इस पर ब्राह्मण समुदाय ने आपत्ति जताई और कहा कि फिल्म में उनके योगदान को नजरअंदाज किया गया है. ब्राह्मण फेडरेशन के अध्यक्ष आनंद दवे ने ट्रेलर देखने के बाद बयान दिया कि फिल्म एकतरफा सोच को दिखाती है और जातीय भेदभाव फैलाती है. उन्होंने मांग की कि ‘ब्लैक ब्राह्मण’ समुदाय के योगदान को फिल्म में दिखाया जाए.

ब्राह्मण समुदाय ने जताई आपत्ति 

‘ब्लैक ब्राह्मण’ समुदाय ने फुले दंपती के कामों में मदद की थी. इस पूरे विवाद के बीच पूर्व मंत्री छगन भुजबल ने फिल्म के निर्देशक अनंत महादेवन और प्रोड्यूसर्स से मुलाकात कर स्थिति को संभालने की कोशिश की. विवाद बढ़ने के बाद सेंसर बोर्ड ने भी फिल्म के मेकर्स को कई बदलाव करने के आदेश दिए हैं. खासकर एक वॉइसओवर को हटाने को कहा गया है, जिसमें जाति व्यवस्था का जिक्र है. इसके अलावा ‘महार’, ‘मांग’, ‘पेशवाई’, और ‘मनुस्मृति जाति व्यवस्था’ जैसे शब्दों को फिल्म से हटाने की मांग की गई है.

फिल्म को लेकर क्या बोले प्रतीक गांधी

सेंसर बोर्ड ने कुछ डायलॉग्स में भी बदलवाए के आदेश दिए हैं, ताकि फिल्म को सभी तरह के दर्शकों देख सके. वहीं, प्रतीक ने अपनी फिल्म के बारे में बात करते हुए कहा था कि उन्हें फिल्म को लेकर किसी तरह का डर नहीं है. उन्होंने कहा, ‘आज के दौर में लोग किसी भी बात या कोई भी चीज को लेकर नाराज हो जाते हैं. सोशल मीडिया पर कुछ भी कह देना आसान है और लोग इस ताकत का गलत इस्तेमाल भी करते हैं. इसलिए बेखौफ रहना ही सही रास्ता है’. उन्होंने फिल्म के कंटेंट पर पूरा भरोसा भी जताया.

दो हफ्ते टाली प्रतीक गांधी की फिल्म  

बता दें, फिल्म में प्रतीक गांधी, महात्मा फुले का किरदार निभा रहे हैं और पत्रलेखा, सावित्रीबाई के रोल प्ले कर रही हैं. इस फिल्म का निर्देशन अनंत महादेवन ने किया है, जो पहले भी कई गंभीर और सामाजिक मुद्दों पर फिल्में बना चुके हैं. पहले ये फिल्म 11 अप्रैल, 2025 को आने वाली थी, लेकिन अब इसे दो हफ्ते टाल दिया गया है और इसकी नई रिलीज डेट 25 अप्रैल, 2025 तय की गई है. हालांकि, प्रतीक गांधी के फैंस के लिए ये थोड़ी दुख की बात है उनको फिल्म के और इंतजार करना होगा.

 

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