PM मोदी की पहली गठबंधन सरकार दे रही 5 बड़े संदेश

मोदी कैबिनेट मंत्री 2024: नरेंद्र मोदी पहली बार ऐसी गठबंधन सरकार के मुखिया बने हैं, जिसमें बीजेपी के पास बहुमत नहीं है. रविवार को मोदी ने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. सहयोगी दलों से 11 चेहरों को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. मंत्री पद को लेकर एनडीए के भीतर किसी टकराव की खबर नहीं आई. ऐसे में यह तय है कि प्रमुख मंत्रालयों की कमान बीजेपी ही संभालती रहेगी. मंत्रिमंडल में कुल सात महिलाओं को जगह मिली है जिनमें से दो- निर्मला सीतारमण और अन्नपूर्णा देवी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा हासिल है. मोदी 3.0 में कोई मुस्लिम मंत्री नहीं है. यह देश के इतिहास में पहली बार है जब केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बिना किसी मुस्लिम सदस्य के शपथ ली है. पीएम मोदी के नेतृत्व वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल से निकल रहे पांच अहम संदेश आगे जानिए.

 

1. बॉस तो बीजेपी ही रहेगी!

लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी अपने दम पर बहुमत नहीं जुटा पाई. उसे सहयोगियों के समर्थन की जरूरत पड़ गई. केंद्रीय मंत्रिमंडल में बीजेपी के 61 सदस्य हैं, NDA के अन्य दलों के 11 मंत्री. पीएम मोदी ने यह संदेश दिया है कि यह अब भी उनकी ही सरकार है. वित्त, रक्षा, गृह और विदेश जैसे अहम विभाग बीजेपी के पास ही रहने के आसार हैं.

2. मोदी 3.0 में प्रॉब्लम सॉल्वर!

मोदी जरूर प्रधानमंत्री कार्यालय में बैठकर सब तय करेंगे, लेकिन उन्होंने मंत्रिमंडल में भी कई धाकड़ प्रशासकों को रखा है. एक-दो नहीं, छह पूर्व मुख्‍यमंत्रियों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. शिवराज सिंह चौहान, राजनाथ सिंह, मनोहर लाल खट्टर, एच डी कुमारस्वामी, जीतन राम मांझी… जैसे दिग्गज नेताओं की मौजूदगी से मुश्किल दौर में बीजेपी की राह आसान होगी

3. चुनाव पर नजरें

इस साल महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं. हरियाणा से जो मंत्री बने हैं, उससे साफ है कि बीजेपी उसी सोशल इंजीनियरिंग वाले फॉर्म्युले पर आगे बढ़ेगी, जिससे उसने गैर-जाट गठबंधन खड़ा किया. प्रफुल्ल पटेल ने मंत्री पद न लेने की बात बीजेपी नेताओं की मौजूदगी में कही. इससे जाहिर होता है कि महाराष्ट्र में NDA गठबंधन उसी रूप में रहेगा. झारखंड से मंत्रियों का चुनाव बीजेपी की गैर-आदिवासी समूहों को रिझाने की कोशिश है

4. मुस्लिम नदारद

मोदी 3.0 के शपथ लेते समय उसमें एक भी मुस्लिम मंत्री नहीं था. शायद बाद में किसी मुस्लिम चेहरे को सरकार में जगह दी जाए. हालांकि, किसी मुस्लिम का मंत्री न बनने को कुछ इस तरह भी देख रहे हैं कि मुसलमानों ने चुनावों में एकतरफा विपक्ष का समर्थन किया.

5. पूंजीपतियों से दूरी नहीं

मोदी के शपथ ग्रहण में देश के दो सबसे अमीर व्यक्ति- गौतम अडानी और मुकेश अंबानी मौजूद रहे. बीजेपी ने साफ संदेश दिया कि वह विपक्ष के ‘क्रोनी कैपिटलिज्म’ के आरोपों को गंभीरता से नहीं लेती. शपथ ग्रहण समारोह में बड़ी संख्या में हिंदूवादी संगठनों के लोगों की मौजूदगी बताती है कि बीजेपी अपने कोर हिंदुत्व एजेंडे से इधर-उधर नहीं होने वाली.

 

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