सिंधु जल समझौता पर पाकिस्तान की गीदड़ भभकी
जानिए क्या है शिमला समझौता

नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकवादी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है। भारत ने पहली बार पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता को रोक दिया है। इसके साथ ही भारत ने पाकिस्तान पर एक के बाद एक कई और पाबंदियां लगाई हैं। इसके जवाब में पाकिस्तान ने हिंदुस्तानियों को 48 घंटे में देश छोड़ने को कहा है, तो वहीं शिमला समझौते को खत्म करने धमकी दे रहा है।
ऐसे में आइए जानते हैं, क्या है शिमला समझौता?
यह समझौता 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद हुआ था, जिसमें पाकिस्तान को करारी शिकस्त मिली थी और पूर्वी पाकिस्तान (जो अब बांग्लादेश है) एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में आया था। इस युद्ध के दौरान भारत ने लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को युद्धबंदी बना लिया था। इसी पर बातचीत के लिए पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो शिमला आए थे।
शिमला समझौता, भारत और पाकिस्तान के बीच एक द्विपक्षीय समझौता है। 2 जुलाई 1972 को भारत के हिमाचल प्रदेश के शिमला शहर में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने इस समझौते से जुड़े दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए गए थे, इसीलिए इसे शिमला समझौता कहा जाता है।
शिमला एग्रीमेंट में क्या-क्या है?
मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने की बात: भारत और पाकिस्तान अपने मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करेंगे। दोनों देश किसी भी विवाद को द्विपक्षीय वार्ता के जरिए सुलझाएंगे, ना कि बल प्रयोग या युद्ध के जरिए।
लाइनों को यथास्थिति में बनाए रखने की बात: युद्ध के बाद जो नियंत्रण रेखा (LoC) बनी, उसे दोनों पक्षों ने मान्यता दी और किसी भी प्रकार की एकतरफा कार्रवाई नहीं करने पर समझौता हुआ।
युद्धबंदियों की रिहाई: भारत ने पकड़े गए पाकिस्तानी सैनिकों को मानवता के आधार पर रिहा करने की बात मानी।कश्मीर मुद्दा द्विपक्षीय रहेगा: इस समझौते के तहत ये तय हुआ कि भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर सहित सभी मुद्दे सिर्फ आपसी बातचीत से सुलझाए जाएंगे, न कि अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता से।
पाकिस्तान तोड़ता रहा शिमला समझौता
गौरतलब है कि पाकिस्तान ने शिमला समझौते को एक मजाक बनाकर रख दिया। पाकिस्तान ने हमेशा कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया। पाकिस्तान ने हमेशा कश्मीर को लेकर बयानबाजी की। इसके बाद उसने हमेशा सीजफायर का उल्लंघन किया। समझौते में पाकिस्तान ने कभी भी बल प्रयोग नहीं करने की बात कही थी, लेकिन उसने 1999 में कारगिल में घुसपैठ की।