वक्फ को लेकर ओवैसी की चेतावनी, भरी सभा में भड़के

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन(AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने विक्फ संशोधन विधेयक में किए गए बदलाव को लेकर चेतावनी जारी की है. उनका कहना है कि इससे देश में सामाजिक अस्थिरता पैदा हो सकती है.

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार 3 फरवरी 2025 को वक्फ संशोधन विधेयक में किए गए बदलाव के बाद उसे पेश करने को लेकर चेतावनी दी. उनका कहना है कि इससे देश में सामाजिक अस्थिरता पैदा हो सकती है. ओवैसी ने कहा कि इस विधेयक को पूरे मुस्लिम समाज से खारिज कर दिया गया है.

सामाजिक अस्थिरता पैदा होगी 
वक्फ विधेयक को लेकर AIMIM चीफ ने लोकसभा में अपने संबोधन के दौरान कहा,’ मैं इस सरकार को सावधान कर रहा हूं और चेतावनी दे रहा हूं कि अगर आप वक्फ कानून को वर्तमान रूप में लाते हैं और बनाते हैं तो यह आर्टिकल 25, 26 और 14 का उल्लंघन होगा. इससे देश में सामाजिक अस्थिरता पैदा होगी. इस विधेयक को पूरे मुस्लिम समुदाय ने खारिज कर दिया है. कोई भी वक्फ संपत्ति नहीं बचेगी, कुछ भी नहीं बचेगा.”
‘अपनी दरगाह का एक इंच भी नहीं खोऊंगा…’
उन्होंने कहा, ‘आप भारत को ‘विकसित भारत’ बनाना चाहते हैं, हम भी यही चाहते हैं. आप इस देश को 80- 90 के दशक की शुरुआत में वापस ले जाना चाहते हैं, तो यह आपकी जिम्मेदारी होगी.’ ओवैसी ने आगे कहा,’एक गौरांवित भारतीय मुसलमान के नाते मैं अपनी मस्जिद का एक इंच भी नहीं खोऊंगा. मैं अपनी दरगाह का एक इंच भी नहीं खोऊंगा.’
उन्होंने आगे कहा,’ मैं ऐसा नहीं होने दूंगा. हम अब यहां आकर कूटनीतिक बातचीत नहीं करेंगे. यह वह सदन है जहां मुझे खड़े होकर ईमानदारी से बोलना है कि मेरा समुदाय गर्वित भारतीय है. यह मेरी संपत्ति है. इसे किसी ने नहीं दी है. आप इसे मुझसे नहीं छीन सकते. मेरे लिए वक्फ एक तरह की इबादत है.’
विधेयक को लेकर जताई असहमति 
बता दें कि इससे पहले विपक्षी सांसदों कल्याण बनर्जी और मोहम्मद नदीमुल हक ने वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को अपना असहमति नोट दिया था, जिसपर उनके असहमति नोट से प्रमुख अंशों को हटाए जाने पर कड़ा विरोध जताया. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लिखे गए इस पत्र में सांसदों ने आरोप लगाया कि उनकी आपत्तियों को बिना किसी पूर्व सूचना या स्पष्टीकरण के मनमाने ढंग से हटा दिया गया. सांसदों ने 3 फरवरी 2025 को लिखे अपने पत्र में लिखा, ‘हमें यह जानकर बेहद निराशा और आश्चर्य हुआ कि उसमें उद्देश्यों और असहमति नोटों को अध्यक्ष ने बिना हमें सूचित किए और हमारी सहमति के डिलीट कर दिया.

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