वाशिंगटनः अमेरिका ने रूस को एक बार फिर बड़ा झटका दिया है। यूक्रेन में रूस की मदद करने वाली करीब 400 कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अमेरिका ने बुधवार रूस और चीन समेत करीब 15 देशों की 398 कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया। इन सभी पर यूक्रेन के खिलाफ जंग में उलझे रूस के युद्ध प्रयासों को मदद करने वाले उत्पाद एवं सेवाएं देने का आरोप है। अमेरिका के वित्त और विदेश विभागों की इस साझा कार्रवाई का मकसद ‘तीसरे पक्ष के उन देशों’ को दंडित करना है जिनपर रूस को भौतिक मदद पहुंचाने या यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से लगाए गए पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से बचने में रूस की सहायता करने का आरोप है।

बता दें कि रूस ने फरवरी, 2022 में यूक्रेन पर पहला हमला किया था, जिसके बाद अमेरिका की अगुवाई में कई पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाए हुए हैं। प्रतिबंध की श्रेणी में भारत की भी कुछ कंपनियों का नाम है। अमेरिकी वित्त विभाग ने रूस के परोक्ष रूप से मददगार देशों से संबंधित 398 कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इनमें 274 कंपनियों पर रूस को उन्नत प्रौद्योगिकी देने का आरोप है। प्रतिबंध के दायरे में आने वाली कंपनियों में रूस स्थित रक्षा और विनिर्माण फर्में भी शामिल हैं।

रूस की ताकत कम करना चाहता है अमेरिका
अमेरिका अपने इस कदम से रूस की ताकत को घटाना चाहता है। ये कंपनियां यूक्रेन के खिलाफ इस्तेमाल होने वाले हथियारों से संबद्ध उत्पादों का उत्पादन या परिष्करण करती हैं। इसके अतिरिक्त अमेरिकी विदेश विभाग ने रूसी रक्षा मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारियों एवं रक्षा कंपनियों और चीन स्थित कंपनियों के एक समूह पर राजनयिक प्रतिबंध भी लगाए हैं। ये कंपनियां दोहरे इस्तेमाल वाले रक्षा उत्पादों के निर्यात से जुड़ी हैं। वित्त विभाग के उप मंत्री वैली एडेमो ने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगी रूस की युद्ध मशीन की ताकत कम करने और पश्चिमी प्रतिबंधों एवं निर्यात नियंत्रणों को दरकिनार करने के प्रयासों में सहायता करने की कोशिश करने वालों को रोकने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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