गंगा प्रदूषण को लेकर झारखंड सरकार पर सख्त हुई NGT
अधिकरण ने झारखंड सरकार से स्पष्टीकरण मांगा

रांची : राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) ने गंगा नदी को स्वच्छ और प्रदूषणमुक्त बनाने की दिशा में झारखंड सरकार की सुस्त प्रगति पर गहरी नाराजगी जताई है। अधिकरण ने विशेष रूप से सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के पालन नहीं किए जाने पर सवाल उठाते हुए राज्य सरकार से स्पष्ट स्पष्टीकरण मांगा है।
एनजीटी ने अपने आदेश में कहा कि झारखंड में गंगा नदी के किनारे स्थित क्षेत्रों में जलमल शोधन संयंत्र (STP) स्थापित करने और सीवेज का जाल प्रभावी ढंग से बिछाने में देरी हो रही है। यह देरी गंगा पुनरुद्धार के लिए चल रहे राष्ट्रीय प्रयासों को कमजोर कर रही है। एनजीटी ने कहा कि मौजूदा जलमल शोधन संयंत्र सुविधाएं या तो पूरी क्षमता से संचालित नहीं की जा रही हैं या अनुपालन मानकों को पूरा करने में विफल हैं।
अधिकरण ने झारखंड के पर्यावरण सचिव को निर्देश दिया है कि वे एक हलफनामा दायर कर यह स्पष्ट करें कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पूर्ण पालन क्यों नहीं कर पाई। साथ ही, उन्हें हर जिले और संबंधित नालों में परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए एक विस्तृत समयसीमा भी प्रस्तुत करनी होगी।
एनजीटी ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि केवल निर्देश जारी कर देना पर्याप्त नहीं है, बल्कि एक मजबूत निगरानी तंत्र की भी आवश्यकता है। अधिकरण ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 अगस्त की तारीख तय की है।
बता दें कि गंगा एक्शन प्लान, नमामि गंगे और अन्य योजनाओं के बावजूद अब भी कई राज्य परियोजनाओं के कार्यान्वयन में पिछड़ते दिख रहे हैं। NGT द्वारा इस तरह की सख्ती से उम्मीद की जा रही है कि राज्य सरकार अपने कर्तव्यों को गंभीरता से लेगी।