विज्ञान की नई खोज ने दुनिया को किया हैरान, जानिये !
भूकंप से सोना कैसे बनता है : ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों की नई खोज बताती हैं कि भूकंप से पैदा होने वाली बिजली धरती के नीचे विशाल चट्टानों में सोने की डली के निर्माण की वजह हो सकती है.
विज्ञान न्यूज़ : नई रिसर्च से धरती के भीतर सोने की डलियों के निर्माण से जुड़ी चौंकाने वाली बात पता चली है. ऑस्ट्रेलियाई जियोलॉजिस्ट्स के मुताबिक, भूकंप से पैदा हुई बिजली से सोने की डलियां बनती हैं. मेलबर्न की मोनाश यूनिवर्सिटी में चली रिसर्च सोमवार को Nature Geoscience पत्रिका में छपी है.
सोना कैसे बनता है?
सोने का निर्माण कैसे होता है, यह जानने की कोशिश काफी समय से होती रही है. नई स्टडी के मुख्य लेखक और मोनाश के रिसर्चर क्रिस वोइसी कहते हैं, ‘यह माना जाता है कि सोना गर्म, पानी से भरपूर तरल पदार्थों से निकलता है, जब वे पृथ्वी की पपड़ी में दरारों से बहते हैं. जब ये तरल पदार्थ ठंडे होते हैं या रासायनिक परिवर्तनों से गुजरते हैं, तो सोना अलग हो जाता है और क्वार्ट्ज नसों में फंस जाता है.’
वोइसी ने कहा, ‘भले ही यह सिद्धांत व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता हो, लेकिन यह बड़े सोने के टुकड़ों के निर्माण को पूरी तरह से साफ नहीं करता है, विशेष रूप से यह देखते हुए कि इन तरल पदार्थों में सोने की सांद्रता अत्यंत कम होती है.’
144 साल पुरानी थ्योरी पर टेस्ट
रिसर्चर्स ने एक नए सिद्धांत – पीजोइलेक्ट्रिसिटी – का टेस्ट करके यह समझने की कोशिश की कि बड़े सोने के टुकड़े (डली) कैसे बनते हैं. पीजोइलेक्ट्रिक प्रभाव की खोज सबसे पहले 1880 में फ्रांसीसी भाइयों और भौतिकविदों जैक्स और पियरे क्यूरी ने की थी. पियरे महान भौतिक विज्ञानी मैरी क्यूरी के पति थे. पीजोइलेक्ट्रिसिटी तब होती है जब कुछ ठोस पदार्थ यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदल सकते हैं, या इसके विपरीत.
क्वार्ट्ज जैसे कुछ क्रिस्टल यांत्रिक तनाव लागू होने पर पीजोइलेक्ट्रिक वोल्टेज उत्पन्न कर सकते हैं. यह प्रभाव आमतौर पर क्वार्ट्ज घड़ियों और बीबीक्यू लाइटर में पाया जाता है. वोइसी की टीम ने सोचा कि क्या भूकंप के दौरान उत्पन्न यांत्रिक तनाव क्वार्ट्ज में पीजोइलेक्ट्रिसिटी उत्पन्न कर सकता है, जिससे सोने की बड़ी डली बनाने के लिए जरूरी विद्युत और रासायनिक परिवर्तन हो सकते हैं.
नतीजों से हैरान रह गए वैज्ञानिक
टीम ने भूकंप के दौरान क्वार्ट्ज में होने वाली स्थितियों को दोहराने की कोशिश की. क्वार्ट्ज क्रिस्टल को सोने से भरपूर तरल पदार्थ में डुबोया गया और मोटर का उपयोग करके तनाव लगाया गया. फिर क्वार्ट्ज के नमूनों का माइक्रोस्कोप के नीचे अध्ययन किया गया.
स्टडी के सह-लेखक एंडी टॉमकिंस के मुताबिक, ‘नतीजे आश्चर्यजनक थे. तनावग्रस्त क्वार्ट्ज ने न केवल इलेक्ट्रोकेमिकल रूप से अपनी सतह पर सोना जमा किया, बल्कि इसने सोने के नैनोकणों का निर्माण और संचय भी किया. सोने में नए सोने के कण बनाने के बजाय मौजूदा सोने के कणों पर जमा होने की प्रवृत्ति थी.’ ऐसा इसलिए है क्योंकि क्वार्ट्ज एक विद्युत इन्सुलेटर है जबकि सोना एक कंडक्टर है.
अब तक कितना सोना निकाला गया?
मानव ने सदियों से सोने को बहुमूल्य माना है. सोने की चमक, रंग और दुर्लभता ने इसे एक मूल्यवान वस्तु में बदल दिया है. सोना अब अर्थव्यवस्थाओं का आधार और धन का प्रतीक बन चुका है. आभूषणों से इतर, सोने का एक कंप्यूटर्स और संचार उपकरणों में भी खूब इस्तेमाल होता है.
अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, अब तक 244,000 टन सोना खोजा जा चुका है – इसमें से लगभग 57,000 टन अभी भी भूमिगत भंडार में है. पाया गया कुल सोना 23 मीटर की भुजाओं वाले एक क्यूब में समा सकता है.