23 साल पुराने मामले में MP-MLA कोर्ट ने सुनाया फैसल

बेऊर: बेऊर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के साले साधु यादव को 23 साल पुराने एक केस में गुरुवार को बेऊर जेल भेजा गया। ये सजा उन्हें पटना के एमपी एलएलए कोर्ट ने दी है। 2001 में साधु यादव पर पटना में परिवहन कार्यालय में घुसकर मारपीट करने और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने का आरोप लगा था। 2022 में कोर्ट ने साधु यादव को तीन साल की सजा सुनाई थी। इसके साथ ही कोर्ट से साधु यादव को प्रोविजनल बेल भी मिल गई थी। बात दें कि ये बेल 3 साल या उससे कम की सजा होने पर दिया जाता है।

हाई कोर्ट का रुख किया

प्रोविजनल बेल मिलने के बाद विशेष न्यायिक दंडाधिकारी के फैसले को साधु यादव ने पटना सिविल कोर्ट के सत्र न्यायालय में चुनौती दी थी। एमपी एमएलए के मामलों की सुनवाई के लिए गठित विशेष सत्र न्यायालय के न्यायाधीश विनय प्रकाश तिवारी ने 19 दिसंबर 2023 को साधु यादव की अपील खारिज कर दी। उसके बाद साधु यादव ने पटना हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

कोर्ट ने सरेंडर करने को कहा

साधु यादव ने पटना हाई कोर्ट से निचली अदालत द्वारा दी गई जमानत को जारी रखने का अनुरोध किया था। जमानत अर्जी पर सुनवाई के बाद पटना हाई कोर्ट ने कहा था कि निचली अदालत में सरेंडर के बाद ही सुनवाई होगी। इसके बाद साधु यादव ने सरेंडर कर दिया।

लालू परिवार ने बनाई दूरी

दरअसल, साधु यादव 2000 से 2004 तक विधायक भी रहे हैं, इसलिए उनके इस मामले में एमपी एमएलए कोर्ट ने सजा दी है। बिहार में लालू-राबड़ी देवी के सत्ता में रहते साधु यादव प्रदेश की सियासत में एक दबंग नेता थे, जिनकी तूती बोलती थी। साधु यादव की दबंगई के कई किस्से मशहूर हैं, लेकिन बिहार की सत्ता जाने के बाद साधु यादव का अपनी बहन और बहनोई के साथ रिश्ता टूट गया और लालू परिवार ने दूरी बना ली।

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