पहलगाम आतंकी हमले के बाद मोदी सरकार की सबसे बड़ी कार्रवाई

पाकिस्तान से सिंधु समझौता खत्म, पाकिस्तानियों का वीजा रद्द

नई दिल्ली : पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर आतंकवादियों के कायराना हमले के बाद भारत ने बुधवार को पांच बड़े फैसले किये जिसे सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के खिलाफ अभी तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा सकती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहलगाम आतंकी हमले के ठीक बाद बड़ी कार्रवाई के संकेत दिए, इसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की मौजूदगी में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की तीनों सेनाओं के प्रमुख की हाईलेवल मीटिंग हुई, ये मीटिंग 150 मिनट तक चली, इसमें जवाबी कार्रवाई के हर विकल्पों पर चर्चा हुई। जिसमें थल, जल और वायु सभी तरह के सैन्य विकल्पों पर बातचीत हुई। जिसमें भारत ने पाकिस्तान के साथ वर्ष 1960 में किये गये सिंधु जल समझौते को रोकने का फैसला किया।

पहलगाम आंतकी हमले के बाद केंद्र की मोदी सरकार एक्शन में दिख रही है। पीएम मोदी सऊदी अरब का दौरा रद्द करके वापस दिल्ली लौटे और सीसीएस की अहम बैठक की। इस बैठक में सरकार ने आतंकवाद पर चोट देने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े फैसले किए हैं। सरकार ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता को रोक दिया है। इसके अलावा भारत में रह रहे सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर एक मई तक उन्हें भारत छोड़ने का आदेश दिया है।

मीटिंग में शामिल हुए ये लोग
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमला हुआ। 28 लोगों ने अपनी जान गवा दी। जिसके अगले दिन ही पीएम मोदी ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक दिल्ली के 7 लोक कल्याण मार्ग में स्थित पीएम आवास में बुलाई। इसमें गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पीएम मोदी के सचिव, विदेश सचिव, विदेश मंत्री एस जयशंकर और अन्य अधिकारी शामिल हुए। इस दौरान देश की सुरक्षा और आतंकी हमले को लेकर चर्चा हुई।

ढाई घंटे तक चली मीटिंग में क्या-क्या हुआ?
तकरीबन ढ़ाई घंटे चली सीसीएस की बैठक के बारे में विदेश सचिव मिसरी ने यह बताया कि, “सीसीएस ने पूरी स्थिति की समीक्षा की और सभी सैन्य बलों को उच्चस्तरीय सतर्कता बरतने का आदेश दिया। यह संकल्प लिया गया कि पहलगाम हमले के दोषियों को दंडित किया जाएगा और उनके आकाओं को भी दोषी ठहराया जाएगा। हाल ही में जैसे भारत ने तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण किया है वैसे ही भारत इन आतंकी वारदातों को अंजाम देने वालों के खिलाफ कार्रवाई में भारत कोई कसर नहीं छोड़ेगा।”

> 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया जा रहा है, जब तक कि पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं कर देता।

> इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट अटारी को तत्काल प्रभाव से बंद किया जा रहा है। वैध अनुमति के साथ जो लोग इस रास्ते से भारत आए हैं, वे 1 मई से पहले इसी रास्ते से वापस जा सकते हैं।

> पाकिस्तानी नागरिकों को अब SAARC वीज़ा छूट योजना (SVES) के तहत भारत यात्रा की इजाजत नहीं दी जाएगी। पहले जारी सभी SVES वीज़ा निरस्त माने जाएंगे। अभी SVES वीज़ा पर भारत में रह रहे किसी भी पाकिस्तानी नागरिक को 48 घंटों के भीतर भारत छोड़ना होगा।

> नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में रक्षा/सेना, नौसेना और वायुसेना सलाहकारों को ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित किया गया है। उन्हें भारत छोड़ने के लिए एक हफ्ते का वक्त दिया गया है। भारत इस्लामाबाद स्थित अपने उच्चायोग से भी रक्षा/नौसेना/वायुसेना सलाहकारों को वापस बुलाएगा। दोनों उच्चायोगों में ये पद अब निरस्त माने जाएंगे। सेवा सलाहकारों के पांच सहायक कर्मचारी भी दोनों उच्चायोगों से वापस बुलाए जाएंगे।

> दोनों उच्चायोगों में कर्मचारियों की कुल संख्या को मौजूदा 55 से घटाकर 30 किया जाएगा, जिसकी प्रक्रिया 1 मई तक पूरी कर ली जाएगी।

सिंधु जल संधि राकने से पाकिस्तान पर क्या प्रभाव प्रभाव
सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को सिंधु, झेलम, और चिनाब नदियों का 80% पानी मिलता है, जो उसकी कृषि और अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। पाकिस्तान में 47 मिलियन एकड़ से अधिक भूमि की सिंचाई इन नदियों पर निर्भर है। पानी की आपूर्ति रोकने से पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांतों में कृषि उत्पादन, विशेष रूप से गेहूं और चावल, पर गंभीर असर पड़ेगा, जिससे खाद्य संकट और आर्थिक अस्थिरता बढ़ सकती है। भारत का यह कदम “पानी की सर्जिकल स्ट्राइक” के रूप में देखा जा रहा है।

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