कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामलाः सुप्रीमकोर्ट ने कहा, हाईकोर्ट का आदेश सही!
हाईकोर्ट के आदेश में कुछ भी गलत नहीं

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शाही ईदगाह-कृष्ण जन्मभूमि मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को सही ठहराया है जिसमें हिंदू पक्ष को याचिका में संशोधन और ASI को पक्षकार बनाने की अनुमति दी गई थी. मुस्लिम पक्ष की अपील खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू पक्ष द्वारा ASI को पक्षकार बनाने का अनुरोध उचित है क्योंकि विवादित ढांचा एक संरक्षित स्मारक है. मुस्लिम पक्ष की दलील गलत लगती है.
शाही ईदगाह-कृष्ण जन्मभूमि मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि शाही ईदगाह-कृष्ण जन्मभूमि मामले में हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेश, जिसमें हिंदू पक्ष को अपनी याचिका में संशोधन करने और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को मामले में पक्षकार के रूप में जोड़ने की अनुमति दी गई थी, प्रथम दृष्टया वो सही है. सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की पीठ ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की.
पीठ ने कहा कि एक बात स्पष्ट है, हिंदू वादियों द्वारा मूल याचिका में संशोधन की अनुमति दी जानी चाहिए. हिंदू पक्ष ने एक नया दावा करते हुए हाई कोर्ट का रुख किया था कि विवादित ढांचा एएसआई के तहत एक संरक्षित स्मारक है और पूजा स्थल संरक्षण अधिनियम भी ऐसे स्मारक पर लागू नहीं होगा. नतीजतन इसका उपयोग मस्जिद के रूप में नहीं किया जा सकता है. इसलिए उन्होंने मामले में एएसआई को एक पक्ष के रूप में जोड़ने का अनुरोध किया, जिसे इस साल मार्च में हाई कोर्ट ने अनुमति दी थी.
हिन्दू पक्षकारों ने अपनी याचिकाओं में बदलाव कर केंद्र सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पक्षकार बनाने की मांग की थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें यह इजाजत दे दी थी, जबकि मुस्लिम पक्षकारों का तर्क था कि इससे उनका दावा कमजोर होता है.
हिंदू पक्ष का तर्क था कि शाही ईदगाह मस्जिद एएसआई के अधिकार क्षेत्र में आती है और इसलिए उस पर पूजा स्थल संरक्षण अधिनियम, 1991 (Places of Worship Act) लागू नहीं होता. यह अधिनियम 15 अगस्त 1947 के समय के धार्मिक स्वरूप को बरकरार रखने का प्रावधान करता है. जबकि मस्जिद पक्ष का कहना था कि मूल मुकदमे में अगर ऐसे संशोधन किए गए तो इसका सीधा असर मस्जिद कमेटी के मूल वाद पर पड़ेगा. हमने जो आपत्तियां उठाई हैं, वो निष्क्रिय हो जाएंगी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की दलीलों को तर्कों के साथ खारिज कर दिया.