जानें खीर भवानी मंदिर का रहस्‍य,कुंड के पानी का रंग करता है भविष्यवाणी !

आज से कश्मीरी पंडितों की आस्था का महापर्व खीर भवानी मेला शुरू हो गया है. इस मंदिर में बने कुंड का पानी रंग बदलता है. साथ ही आने वाली विपत्तियों का संकेत देता है.

खीर भवानी मंदिर : कश्‍मीर घाटी के गांदरबल जिले में स्थित खीर भवानी मंदिर में हर साल मेला लगता है. कश्‍मीरी पंडितों के लिए यह मंदिर और मेला बेहद अहम है. हर साल हजारों कश्‍मीरी पंडित खीर भवानी मंदिर के मेले में हिस्‍सा लेने के लिए यहां आते हैं. इस साल 14 जून यानी कि आज खीर भवानी महापर्व मनाया जा रहा है और इसके लिए कश्‍मीरी पंडितों को लेकर 200 से ज्‍यादा बसें खीर भवानी मंदिर पहुंची हैं. कश्‍मीर का यह खीर भवानी मंदिर बेहद मशहूर और चमत्‍कारिक है. इस मंदिर में बने कुंड का पानी रंग बदलता है. जब भी इस कुंड के पानी का रंग बदलता है, विपत्ति आती है. आइए आज जानते हैं खीर भवानी मंदिर का इतिहास और इससे जुड़े रोचक किस्‍से.

झरने के बीच बना है खीर भवानी मंदिर

देवी दुर्गा का मंदिर खीर भवानी मंदिर एक खूबसूरत झरने के बीच में बना हुआ है. खीर भवानी मंदिर को लेकर मान्‍यता है कि जब लंका नरेश रावण ने माता सीता का हरण किया तब देवी रावण से रुष्ट हो गईं. तब देवी इतनी क्रोधित हो गईं कि उन्होंने अपना स्थान त्याग दिया और कश्‍मीर के इस स्‍थान पर आकर विराजमान हो गईं. चूंकि इस मंदिर में देवी दुर्गा को भोग में प्रमुखता से खीर ही चढ़ाई जाती है इसलिए इस मंदिर का नाम खीर भवानी पड़ गया.

जहां तक बात खीर भवानी मंदिर के निर्माण की है तो इस मंदिर का निर्माण महाराजा प्रताप सिंह ने साल 1912 में करवाया था. बाद में महाराज हरि सिंह ने इसका जीर्णोद्धार कराया था.

कश्‍मीरी हिंदू करते हैं रक्षा की प्रार्थना

कश्मीर का यह देवी धाम यहां के हिंदुओं की आस्‍था की गढ़ है. कहा जाता है कि खीर भवानी कश्मीरी पंडितों की कुल देवी हैं. हर साल ज्येष्ठ माह की अष्टमी तिथि को यहां पर एक भव्य मेला लगता है और कश्‍मीरी पंडित अपनी रक्षा की प्रार्थना करने के लिए यहां आते हैं. साथ ही देवी को खीर का भोग लगाते हैं. खीर भवानी मंदिर को महारज्ञा देवी, राज्ञा देवी मंदिर, रजनी देवी मंदिर और राज्ञा भवानी मंदिर के नाम से भी बुलाते हैं.

कुंड का जल बदलता है रंग

खीर भवानी माता के इस मंदिर में एक जलकुंड है. इस कुंड को चमत्कारी कुंड माना जाता है. कहा जाता है जब भी कश्मीर में कोई बड़ी आफत आने वाली होती है तब इस कुंड के पानी का रंग बदल जाता है. इसके कई उदाहरण हैं, जो पहले सच साबित हो चुके हैं. यूं कहें कि इस कुंड का पानी रंग बदलकर भविष्‍यवाणी करता है.

– जब 1947 में कश्मीर पर कबायली आक्रमण हुआ था, उस साल भी पवित्र झरने का पानी काला हो गया था और कारगिल युद्ध के दौरान भी यह काला हो गया था.

– 1990 में इस जल कुंड के पानी का रंग काला पड़ गया था. इसी साल स्थानीय पंडितों पर अत्‍याचार हुए और उन्‍हें घाटी छोड़कर जाना पड़ा था. कश्‍मीरी पंडितों पर हुए जुल्‍मों की दास्‍तां जगजाहिर है.

– इसी तरह जब पूरी दुनिया को कोरोना महामारी ने अपनी चपेट में लिया और लाखों मौतें हुईं तब इस कुंड के पानी का रंग लाल हो गया था.

– इसी तरह जब साल 2014 में कश्मीर में भयानक बाढ़ आई थी तब इस जल कुंड का पानी पहले ही काला हो गया था.

– यदि कुंड का पानी हल्‍का नीला या सफेद रहे तो वह साथ खुशहाली में बीतता है. इस साल इस कुंड के पानी का रंग हल्का नीला है.

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