सालों से फेफड़ों में चिपका कफ?

विषैले तत्वों को निकालने में मदद करता है ये पत्ता

डॉ राजेश दीक्षित – स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी : फेफड़ों में लंबे समय से जमा कफ एक गंभीर समस्या बन सकता है। यह न केवल सांस लेने में कठिनाई पैदा करता है, बल्कि फेफड़ों के अन्य रोगों को भी जन्म दे सकता है। आयुर्वेद में कई प्राकृतिक उपाय बताए गए हैं जो इस समस्या को जड़ से खत्म कर सकते हैं। इनमें से एक उपाय है तेजपत्ते का उपयोग। यह न केवल कफ को पिघलाने में मदद करता है, बल्कि फेफड़ों को भी स्वस्थ रखता है। आइए जानें इस उपाय के बारे में विस्तार से।

तेजपत्ते के औषधीय गुण
तेजपत्ता एक सुगंधित मसाला है जो भारतीय रसोई में आमतौर पर उपयोग किया जाता है। इसमें एंटीऑक्सिडेंट, एंटीबैक्टीरियल और एंटीइन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं। इसके अलावा, यह प्राकृतिक रूप से डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करता है और श्वसन तंत्र को साफ करने में सहायक होता है।

ऐसे बनाते हैं काढ़ा
गांव के निवासी सुनील उरांव बताते हैं, यहां पर जितने भी घर हैं, सब जगह आपको बाकस का पेड़ जरूर दिखेगा. इसका फूल एकदम पत्तेदार होता है. जब भी सर्दी-खांसी होती है, खासतौर पर किसी को कफ की समस्या होती है और बलगम नहीं निकल रहा होता तो इसका काढ़ा बनाकर पी लेना चाहिए. सबसे पहले आपको फूल और पत्ते को तोड़ना होता है और फिर पानी में अच्छे से उबाल लेना होता है.

फेफड़ा हो जाएगा साफ!
आगे बताया, कम से कम 15 से 20 मिनट तक उबालना है. फिर उस पानी को आपको हल्का गर्म होने पर पी लेना है. ऐसा आपको दिन में चार-पांच बार करना है. बहुत अधिक कफ है तो एक हफ्ता दिन में दो बार पीना है. आप देखेंगे सालों साल पुराना कफ आसानी से खत्म हो जाएगा और आपका फेफड़ा साफ हो जाएगा.

बाकस के फूलों में एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो खासतौर पर फेफड़े को क्लीन करने का काम करते हैं. लेकिन, इसको आजमाने के पहले आप पहले एक बार इसका काढ़ा पिएं, अगर रिएक्शन नहीं होता है, उसके बाद दोबारा पिएं. प्रेग्नेंट महिला या डायबिटीज पेशेंट एक बार सलाह के बाद ही बाकस फूल का काढ़ा पिएं.

(डॉ राजेश दीक्षित – कैंसर रोग विशेषज्ञ, राष्ट्रीय अध्यक्ष – इंडियन बोर्ड आफ योगा एंड नेचुरोपैथी मेडिसिन नई दिल्ली)

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