‘कचरे को जलाकर नष्ट करने में 72 घंटे लगेंगे’

धार/इंदौर: मध्य प्रदेश के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के एक ‘वेस्ट डिस्पोजल प्लांट’ में भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन कचरे में से 10 टन अपशिष्ट को परीक्षण के तौर पर जलाकर भस्म किए जाने के पहले दौर की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि गुरुवार को शुरू हुई इस प्रक्रिया के लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 1984 की भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े अपशिष्ट को धार जिले के पीथमपुर में एक प्राइवेट कम्पनी के संचालित प्लांट में ट्रांसफर करने और उसका निपटान करने के मध्य प्रदेश हाई को्रट के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया।

SC ने परीक्षण पर रोक लगाने से किया इनकार
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने ‘यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड’ के प्लांट से निकले कचरे के निपटान के गुरुवार को होने वाले परीक्षण पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया। प्रदेश सरकार के मुताबिक यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे में इस बंद पड़ी यूनिट के परिसर की मिट्टी, रिएक्टर अवशेष, सेविन (कीटनाशक) अवशेष, नेफ्थाल अवशेष और ‘अर्द्ध प्रसंस्कृत’ अवशेष शामिल हैं। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि वैज्ञानिक प्रमाणों के मुताबिक इस कचरे में सेविन और नेफ्थाल रसायनों का प्रभाव अब ‘लगभग नगण्य’ हो चुका है।

‘कचरे को जलाकर नष्ट करने में 72 घंटे लगेंगे’
बोर्ड के मुताबिक फिलहाल इस कचरे में मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस का कोई अस्तित्व नहीं है और इसमें किसी तरह के रेडियोधर्मी कण भी नहीं हैं। बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी श्रीनिवास द्विवेदी ने बताया,‘यूनियन कार्बाइड कारखाने के 5 तरह के कचरे को पीथमपुर के ‘वेस्ट डिस्पोजल प्लांट’ में मिक्सर से उचित अनुपात में मिलाकर इसके 10 टन हिस्से को भस्मक में डाला जाएगा। इससे पहले, भस्मक को खाली चलाकर इसका तापमान 850 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचाया जाएगा।’ उन्होंने बताया कि कचरे को दहकते भस्मक में डाले जाने की प्रक्रिया शुक्रवार सुबह 10-11 बजे से शुरू होने की उम्मीद है और इसमें 10 टन कचरे को परीक्षण के तौर पर जलाकर नष्ट करने में लगभग 72 घंटे लगेंगे।

‘पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी गई है’
द्विवेदी ने बताया कि निपटान की पूरी प्रक्रिया के दौरान निकलने वाले ठोस अवशेषों, पानी और गैसों का भी उचित निपटारा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यूनियन कार्बाइड के कचरे के निपटान से जुड़े कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए उन्हें मास्क, चश्मे, दस्ताने और अन्य उपकरण दिए गए हैं। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि इस कचरे के निपटान की प्रक्रिया शुरू होने के बीच पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में 24 थानों के करीब 500 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं और पुलिस व प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भी मौके पर हैं।

भोपाल में हुई थी कम से कम 5479 लोगों की मौत
बता दें कि भोपाल में 2 और 3 दिसंबर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस का रिसाव हुआ था। इससे कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है। भोपाल में बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन कचरे के निपटान की योजना के तहत इसे सूबे की राजधानी से करीब 250 किलोमीटर दूर पीथमपुर में एक औद्योगिक अपशिष्ट निपटान संयंत्र में 2 जनवरी को पहुंचाया गया था।

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