चीन के लोन के नीचे दबते जा रहे भारत के पड़ोसी, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका
2016 से इन देशों पर चीनी कर्ज कई गुना ज्यादा बढ़ गया
बीजिंग: चीन छोटे देशों को अपने कर्ज के जाल में फंसाने में लगा है। हाल के वर्षों में देखा गया है कि खासकर एशिया और अफ्रीका का चीन पर कर्ज कई गुना बढ़ गया है। जो देश कर्ज में फंसे हैं उनके लिए चीन एकमात्र या फिर प्रमुख कर्जदाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो इन देशों पर विदेशी कर्ज का एक बड़ा हिस्सा सिर्फ चीन से आता है। 2010 के बाद दक्षिण एशियाई देशों, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिकी देशों में चीन का कर्ज काफी बढ़ गया है। वर्ल्ड बैंक की लेटेस्ट अंतरराष्ट्रीय ऋण रिपोर्ट 2023 के मुताबिक यह चीन की ‘गोइंग ग्लोबल स्ट्रैटेजी’ के कारण है, जिसे 1999 में चीनी निवेश और विदेशों में ऋण देने में सुधार के लिए शुरू किया गया था।
साल 2020 के अंत तक निम्न और मध्य आय वाले देशों पर चीन का कुल बकाया 180 बिलियन डॉलर था। इसकी तुलना में 189 देशों के स्वामित्व वाला इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट पर निम्न और मध्यम देशों का कुल कर्ज 223 बिलियन डॉलर से थोड़ा ज्यादा था। दिलचस्प बात है कि चीन ने हाल के वर्षों में अपने नए ऋणों का एक बड़ा हिस्सा पड़ोसी देशों को दिया है। जबकि अफ्रीकी और दक्षिण अमेरिकी देशों के कर्ज में गिरावट देखी गई है।
भारत के पड़ोसी चीन के कर्ज जाल में
पाकिस्तान का चीन पर बकाया कुल विदेशी ऋण 2016 में 7.6 अरब डॉलर से बढ़कर 2022 में 26.5 अरब डॉलर हो गया। इसी अवधि में श्रीलंका का चीन पर बकाया ऋष 4.6 अरब डॉलर से लगभग दोगुना होकर 8.8 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया। बांग्लादेश का कर्ज 0.97 बिलियन डॉलर से बढ़कर 6 बिलियन डॉलर पहुंच गया।
मालदीव का कर्ज जो 0.3 बिलियन डॉलर था वह भी 1.2 बिलियन डॉलर पहुंत गया। नेपाल का कर्ज 0.07 बिलियन डॉलर से बढ़कर 0.26 बिलियन डॉलर हो गया। इन देशों को मिला ज्यादातर कर्ज बुनियादी ढांचों के विकास के लिए दिया गया है।
चीन ने कर्ज में की कटौती
हाल के वर्षों में चीन ने अपने कुल कर्ज में कटौती की है। इसके दो कारण है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा इसलिए क्योंकि चीन की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है। इसके अलावा जिन देशों ने उससे कर्ज लिया है उनमें से कुछ डिफॉल्ट भी कर गए हैं, क्योंकि चीन के फंडिंग वाले प्रोजेक्ट वित्तीय रूप से सफल नहीं रहे हैं।
भारत के पड़ोसी श्रीलंका साल 2022 में महीनों तक भोजन और ईंधन की कमी के कारण डिफॉल्ट कर गया था। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका का ब्याज भुगतान इस साल राजस्व का 54 फीसदी, जबकि पाकिस्तान का 57 फीसदी से ज्यादा है। बांग्लादेश का ब्याज भुगतान राजस्व का 31.5 फीसदी होगा। इन देशों ने ज्यादातर कर्ज चीन से लिया है।