भारतीय सेना ने पहली बार कराया AK-203 असॉल्ट राइफल लेकर सामने आयी…
उत्तर प्रदेश के कोरवा में असेंबल्ड 27 हजार रूसी एके-203 असॉल्ट राइफलों का पहला बैच भारतीय सेना को डिलीवर

नई दिल्ली: भारतीय सेना की ईस्टर्न कमांड ने 20 मई को एक्स अकाउंट पर कुछ फोटो शेयर कीं। इनमें से एक फोटो में जवान हाथ में एके-203 असॉल्ट राइफल पकड़े हुए है और जिसमें वह ईस्टर्न आर्मी कमांडर को इस राइफल की खासियतों के बारे में बता रहा है।
उत्तर प्रदेश के कोरवा स्थित फैक्टरी में असेंबल्ड 27 हजार रूसी एके-203 असॉल्ट राइफलों का पहला बैच भारतीय सेना को डिलीवर किया जा चुका है। रूस-यूक्रेन युद्ध और भारत की तरफ से पेमेंट की दिक्कतों की वजहों से इन राइफलों की डिलीवरी में देरी हो रही थी। वहीं, एके-203 राइफलें इंसास व एके-47 से भी ज्यादा खतरनाक हैं। भारतीय सेना में यह इंसास (INSAS यानी इंडियन नैशनल स्मॉल आर्म्स सिस्टम) राइफलों की जगह लेंगी। सेना ने कुछ महीनों पहले ही अलग-अलग रेजिमेंटल के ट्रेनिंग सेंटरों पर जवानों को इन्हें चलाने की ट्रेनिंग भी दी गई थी।
ईस्टर्न कमांड ने पहली बार जारी की फोटो!
भारतीय सेना की ईस्टर्न कमांड ने 20 मई को एक्स अकाउंट पर कुछ फोटो शेयर कीं। इनमें से एक फोटो में जवान हाथ में एके-203 असॉल्ट राइफल पकड़े हुए है और जिसमें वह ईस्टर्न आर्मी कमांडर को इस राइफल की खासियतों के बारे में बता रहा है। संभवतया यह पहली बार है जब ग्राउंड पर एके-203 असॉल्ट राइफल की फोटो पहली बार भारतीय सेना ने साझा की है।
एक्स अकाउंट पर ईस्टर्न कमांड ने फोटो कैप्शन में आगे लिखा, ईस्टर्न कमान के सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आरसी तिवारी ने 20 मई 2024 को लिकाबाली सैन्य स्टेशन का दौरा किया और सुरक्षा स्थिति और ऑपरेशनल तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने ऑपरेशन दक्षता में सुधार के लिए नई तकनीकों को अपनाने के लिए संरचनाओं के प्रयासों की सराहना की और उनकी दृढ़ता, उच्च मनोबल और समर्पण के लिए सभी रैंकों की सराहना की।
बनाई जानी हैं 6,70,000 एके-203 असॉल्ट राइफलें
सैन्य सूत्रों के मुताबिक इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड ने 27000 एके-203 राइफलों का पहला बैच भारतीय सेना को सौंप दिया है। साथ ही, अगले दो हफ्तों में 8000 असॉल्ट राइफलों की डिलीवरी भी हो जाएगी। सूत्रों ने बताया कि कॉन्ट्रैक्ट के तहत 6,70,000 असॉल्ट राइफलों का उत्पादन होना है। इसके बाद भारतीय सेना में 25 फीसदी राइफलें स्वदेशी होंगी, जिसे आने वाले दो सालों में चरणबद्ध तरीके से बढ़ा कर 70 से 100 फीसदी करना है।
इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) की स्थापना 2019 में भारत के तत्कालीन आयुध निर्माणी बोर्ड (अब एडवांस्ड वेपंस एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड (AWEIL) और म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड (MIL)) और रूस के रोसोबोरोनएक्सपोर्ट (RoE) और कलाश्निकोव कंपनी के बीच की गई थी। वहीं जुलाई 2021 में हुए 5,000 करोड़ रुपये से अधिक के कॉन्ट्रैक्ट के तहत, रूस से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के तहत 6.1 लाख से अधिक एके-203 असॉल्ट राइफलें बनाई जानी हैं।
अमेरिकी सिग-716 से सस्ती है एके-203
सैन्य सूत्रों ने बताया कि अग्पिनपथ स्कीम के तहत भर्ती हुए अग्निवीरों को भी एके-203 असॉल्ट राइफलें की ट्रेनिंग दी जाएगी। यह राइफल न केवल इस्तेमाल में आसान है, साथ ही इसे बेहद कम वक्त में असेंबल भी किया जा सकता है। सेना के सूत्र बताते हैं कि सेना ने फरवरी, 2019 में अमेरिका की असाल्ट राइफल बनाने वाली कंपनी सिग सॉयर के साथ 700 करोड़ रुपये का समझौता करते 72,400 सिग-716 असॉल्ट राइफलें खरीदीं थी, इनमें से 66,400 को भारतीय सेना में शामिल कर लिया गया है। लेकिन एके-203 असॉल्ट राइफलों की डिलीवरी में देरी के चलते भारत ने फिर 2023 में 70 हजार और सिग सॉर सिग-716 असॉल्ट राइफल का सौदा किया था।
ये राइफलें चीन और पाकिस्तान सीमा पर फॉरवर्ड पोस्ट पर तैनात सैनिकों को दी गई थीं। वहीं अमेरिकी राइफल के मुकाबले एके-203 असॉल्ट राइफलें सस्ती पड़ती हैं। एक एके-203 असाल्ट राइफल की कीमत जहां 81,967 रुपये पड़ती है, तो अमेरिकी सिग-716 राइफल की कीमत 96,685 रुपये पड़ती है।
अब बात करें, एके-203 की, तो यह असाल्ट राइफल 700 गोलियां प्रति मिनट दाग सकती है। एके-203 राइफल इंसास से छोटी और वजन में हल्की है। इंसास का वजन जहां 4.15 किग्रा है, तो एके-203 का वजन 3.8 किग्रा है। वहीं एके-203 सिर्फ 705 मिमी लंबी है। वहीं एके-203 में 7.62×39 एमएम की नाटो ग्रेड की बुलेट्स लगती हैं, जो ज्यादा घातक होती हैं। जबकि इंसास में 5.56×45 एमएम की गोलियां लगती हैं। इंसास की रेंज मात्र 400 मीटर है, जबकि एके-203 की रेंज 800 मीटर है।