भारत को मिलेगा दुश्मनों को तबाह करने वाल ‘ब्रह्मास्त्र’, जानिए कितना खतरनाक है P-8I?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस की यात्रा के बाद अब अमेरिका जाएंगे. 12 फरवरी को पीएम मोदी अपने खास दोस्त अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलेंगे. इस मुलाकात के वैसे तो कई मायने हैं, लेकिन भारत के नजर से पी-8आई विमान सैन्य सौदा भी उसमें एक हो सकता है, जिसके हासिल करने के बाद भारत अपने दुश्मनों को समुंदर में नाश कर सकता है. आइए जानते हैं आखिर क्या है पी-8आई विमान और इसकी सबसे बड़ी खासियत.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने सबसे खास दोस्त अमेरिका के राष्टपति डोनाल्ड ट्रंप से 12 फरवरी को मिलेंगे. पीएम मोदी की यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब पूरी दुनिया ट्रंप से भय में है. उनकी नीतियों से पूरी दुनिया में खौफ है. लेकिन भारत को पीएम मोदी पर भरोसा है कि उनकी इस यात्रा में कई महत्वपूर्ण समझौतों को अंजाम दिया जा सकता है. पीएम मोदी की यात्रा के लिए अमेरिका में जोर-शोर से तैयारियां चल रही है. अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान पीएम मोदी कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे. पीएम मोदी के दौरे में भारत की विशेष नजर  पी-8आई विमान को पाने की भी होगी. आइए जानते हैं पूरी खबर. भारत क्यों चाहता है ‘ब्रह्मास्त्र’.

पीएम मोदी के दौरे पर भारत को उम्मीद
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम मोदी के अमेरिका जाने से पहले ही सैन्य सौदे पर जोर दे रहा है. भारत अब अमेरिका से छह और उन्नत पी-8आई लंबी दूरी के समुद्री गश्ती और पनडुब्बी-शिकार विमानों की खरीद के लिए अपना मामला फिर से उठाता दिख रहा है, जिसे लगभग तीन साल पहले रोक दिया गया था. गुरुवार को वाशिंगटन में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शिखर वार्ता से पहले सरकारी सूत्रों ने बताया कि इस मामले की “फिर से जांच” की जा रही है और चीन जिस तरह अपनी हरकतों से चारों तरफ तनाव पैदा करता रहता है, हिंद महासागर में अपनी हेकड़ी दिखाता रहता है उससे निपटने के लिए भारत को पी-8आई विमान की और भी जरूरत है. जिससे दुश्मन की पनडुब्बियों और युद्धपोतों का शिकार किया जा सके.

भारत को क्यों चाहिए पी-8आई?
हिंद महासागर के साथ-साथ लद्दाख बॉर्डर पर चीन कोई गुस्ताखी तो नहीं कर रहा, इसपर नजर रखने के लि भारत को ऐसे ‘ब्रह्मास्त्र’ चाहिए, जिसके दमपर भारत दुश्मनों को चंद सेकंड में जवाब दे सके. इसके लिए पी-8आई भारत के लिए सबसे मुफीद है. पी-8I लॉन्ग-रेंज वाला समुद्री निगरानी और पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान (P-8I patrol Aircraft) है. यह ऐसे सेंसर्स और हथियारों से लेस है जो सबमरीन को निशाना बना सकता है. इसके पहले भारत ने अमेरिका के साथ हुए 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर का रक्षा समझौता किया था. इसके तहत चार पोसायडन 8आई सामुद्री निगरानी और पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान मिले थे. जो भारत ने अप्रैल 2020 में पूर्वी लद्दाख में सैन्य टकराव शुरू होने के बाद से 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सैनिकों और बुनियादी ढांचे पर नज़र रखने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया था.

पी-8आई का जलवा क्या है?
पी-8I का रडार सिस्टम और इलेक्ट्रो-ओपटिक सेंसर सिस्टम बहुत अडवांस बताया जाता है. इसमें हारपून ब्लॉक-II मिसाइल हैं. हारपून ब्लॉक-II मिसाइल किसी भी मौसम में किसी भी जहाज का खात्मा कर सकती है. इसके अलावा एमके-54 लाइटवेट टॉरपीडो हैं और रॉकेट हैं जो दुश्मन की सबमरीन को खत्म करने में सक्षम हैं. ये सभी खूबियां पहले से मौजूद 8 पी-8I में भी हैं. बताया गया है कि पी-8I जो हैं वह 907 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ सकते हैं, इनकी ऑपरेटिंग रेंज 1,200 नॉटिकल मील है.

2021 में सौदा हो गया था रद्द
मई 2021 में अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत को 2.4 बिलियन डॉलर मूल्य के छह P-8I और संबंधित उपकरणों की प्रस्तावित बिक्री के बारे में अपनी कांग्रेस को सूचित किया था. हालांकि, भारत की तरफ से इस सौदे को रोक दिया गया था, जिसके बाद यह डील खत्म हो गई थी, अब अगर भारत इस डील के लिए आगे बढ़ता है तो इसकी लागत बढ़ सकती है.

अमेरिका से पूछा गया पी-8आई विमानों की कीमत
एक सूत्र ने कहा, “अमेरिका को अपने विदेशी सैन्य बिक्री (एफएमएस) कार्यक्रम के तहत प्रस्तावित सरकार-से-सरकार सौदे के लिए छह पी-8आई विमानों के लिए उचित मूल्य बताने के लिए कहा गया है. इसके बाद यह देखा जाएगा कि यह कीमत भारत के लिए ठीक है या नहीं.” ट्रंप से जिस तरह पीएम मोदी के रिश्ते हैं उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि भारत इस डील को अपनी मन मुताबिक कर लेगा, बाकी दोनों देशों के बीच क्या समझौता होगा ये बस ये ट्रंप के मुलाकात के बाद ही पता चल जाएगा.

 

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