चीन और पाकिस्तान के खिलाफ भारत को ‘नागास्त्र’ मिल गया

नागास्त्र-1 : भारतीय सेना को ऐसी शक्ति मिल गई है, जिससे अब आतंक की लंका का दहन किया जायेगा. भारतीय सेना को देश में बने आत्मघाती ड्रोन नागास्त्र-1 की पहली खेप मिल रही है. नागास्त्र-1 ड्रोन को दुश्मन का काल माना जा रहा है. ये ऐसा ड्रोन है जो दुश्मन की ठिकाने को तबाह करने की काबिलियत रखता है.

नागास्त्र-1 एक आत्मघाती ड्रोन
भारत में निर्मित नागास्त्र-1 एक आत्मघाती ड्रोन है, जो अपने साथ दुश्मन को तबाह करने के लिए 2 किलो तक वॉरहेड ले जा सकता है. यह हथियार टारगेट पर सटीक हमला करने में सक्षम है और इसे जमीन से आसानी से लॉन्च किया जा सकता है. खास बात ये कि 200 मीटर की ऊंचाई पर होते हुए दुश्मन इसे देख नहीं सकता, जबकि नागास्त्र-1 को 1200 की ऊंचाई तक ऑपरेट किया जा सकता है.

60 मिनट तक भर सकता है उड़ान
एक बार उड़ान भरने के बाद नागास्त्र-1, 60 मिनट तक उड़ान भर सकता है और 15 किमी के दायरे में लक्ष्य भेदने के साथ साथ निगरानी भी कर सकता है. नागास्त्र-1 का वजन सिर्फ 12 किलो है, इसलिए आसानी से कहीं भी लाया ले जाया जा सकता है. सेना ने ऐसे 480 ड्रोन का ऑर्डर दिया था. पहली खेप में सेना को 120 ड्रोन मिल रहे हैं.

नागास्त्र-1 ड्रोन के रक्षा सौदे पर तकरीबन 300 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. इस ड्रोन के मिलने से भारतीय सेना की ताकत में गज़ब का इजाफा होगा और देश के दुश्मनों की बर्बादी का काउंटडाउन शुरु हो जायेगा. अब दुश्मन को अंधा बनाकर सटीक हमले होंगे, क्योंकि नागास्त्र-1 से आतंकी अड्डों पर स्ट्राइक होगी.

अब आतंक की लंका का दहन करेगा ड्रोन

रूस-यूक्रेन युद्ध हो, या फिर आर्मेनिया और अजरबैजान की जंग रही हो. घातक ड्रोन्स ने कैसे तबाही मचाई गई. उसकी तस्वीरें दुनिया ने देखी. अब कुछ ऐसा ही भारत में बना नागास्त्र-1 ड्रोन करेगा. अब आतंक की लंका के दहन का समय आ गया है, क्योंकि भारतीय सेना को मिल रहा है नागास्त्र-1 ड्रोन.

नागपुर की कंपनी कर रही निर्माण

भारत में मेक इन इंडिया के तहत नागपुर की कंपनी सोलर इंडस्ट्रीज ने नागास्त्र-1 ड्रोन विकसित किया है. अब इस आत्मघाती ड्रोन की डिलीवरी शुरू हो गई है. पहली खेप में 120 ड्रोन सेना को मिल रहे हैं.

भारतीय सेना इन ड्रोन का इस्तेमाल चीन-पाकिस्तान सीमा पर करेगी. इससे सैनिकों को बिना जान का जोखिम उठाए आतंकियों पर कार्रवाई करने में मदद मिलेगी. बॉर्डर एरिया में दुश्मन की निगरानी की जा सकेगी. सरहद पार आतंकी अड्डों को टारगेट किया जा सकेगा. आतंकी लॉन्च पैड और ट्रेनिंग कैंप टारगेट पर होंगे, साथ ही घुसपैठ की कोशिश करते आतंकी निशाना बनेंगे.

साइज में बेहद छोटा, दुश्मन नहीं देख पाएगा

नागास्त्र-1 ड्रोन साइज में इतना छोटा है, कि 200 मीटर ऊंचाई पर उड़ते हुए दुश्मन को दिखाई तक नहीं देगा. इतना ही नहीं आवाज भी ना के बराबर होगी. इसलिए दुश्मन को अपने ऊपर मंडराते काल की भनक तक नहीं लग सकेगी.

नागास्त्र-1 ड्रोन की मारक क्षमता सटीक है. ट्रायल के दौरान टारगेट के 2 मीटर के दायरे में ड्रोन से अटैक किया गया. क्योंकि इस आत्मघाती ड्रोन को कई किलोमीटर दूर से ऑपरेट किया जा सकता है. इसमें लगे कैमरों से दुश्मन की गतिविधियों पर नज़र रखी जा सकती है.

आतंकी ठिकानों पर करेगा सटीक हमला

इस वजह से हमारे जवानों को जान का जोखिम कम होगा, क्योंकि दूर से रहते हुए आतंकी ठिकानों पर सटीक हमला करना संभव होगा. दो किलो तक वॉरहेड ले जाने में सक्षम नागास्त्र-1 दुश्मन के लिए काल साबित होगा.

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