2024 के बजट में मोदी सरकार ने खत्म कर दिया मनमोहन सरकार का “एंजेल टैक्स “
नई दिल्ली: देश में स्टार्टअप्स को बड़ा तोहफा देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘एंजेल टैक्स’ को सभी तरह के निवेशकों के लिए खत्म करने का ऐलान किया है। यह फैसला देश में इनोवेशन और स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के मकसद से लिया गया है। वित्त मंत्री ने कहा है कि सरकार स्टार्टअप्स में सभी तरह के निवेशकों के लिए एंजेल टैक्स खत्म कर रही है। एंजेल टैक्स मनमोहन सिंह सरकार 2012 में लाई थी। तब प्रणब मुखर्जी वित्त मंत्री हुआ करते थे।
एंजेल टैक्स क्या होता है?
जब कोई गैर-सूचीबद्ध कंपनी (जो शेयर बाजार में रजिस्टर्ड नहीं है) निवेशकों को शेयर जारी करके पैसा जुटाती है तो उस पर लगने वाले टैक्स को ‘एंजेल टैक्स’ कहा जाता है। यह टैक्स उस प्रीमियम पर लगता है जो निवेशक शेयरों के वास्तविक मूल्य से ज्यादा चुकाते हैं। इसे अक्सर ‘अन्य स्रोतों से आय’ माना जाता है। उसी हिसाब से टैक्स लगाया जाता है।
एंजेल टैक्स को 2012 में भारत में लागू किया गया था। इसका उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग और काले धन के प्रवाह को रोकना था। हालांकि, यह स्टार्टअप्स और निवेशकों के बीच विवाद का विषय रहा है, जो तर्क देते हैं कि यह इनोवेशन और फंडिंग में बाधा डालता है। इन चिंताओं को दूर करने के लिए सरकार ने एलिजिबल स्टार्टअप्स के लिए कई छूट और राहत उपाय पेश किए हैं। इससे टैक्स का बोझ कम हुआ है। उद्यमशीलता के विकास के लिए अनुकूल माहौल बना है।
2012 में कैसे लाया गया एंजेल टैक्स?
फरवरी में पेश अंतरिम बजट में सरकार ने स्टार्टअप्स और सॉवरेन वेल्थ या पेंशन फंड की ओर से किए गए निवेश के लिए टैक्स प्रोत्साहन को एक और साल के लिए बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था, जो मार्च 2025 तक प्रभावी है।
2012 के वित्त अधिनियम ने आयकर अधिनियम में धारा 56(2)(viib) को शामिल करके महत्वपूर्ण बदलाव किया। यह धारा विशेष रूप से गैर-सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों की ओर से प्राप्त निवेश को टारगेट करती थी। इस प्रावधान के तहत उचित बाजार मूल्य से अधिक मूल्यवान किसी भी निवेश को आय माना जाता है और उस पर टैक्स लगाया जाता है। सरकार का मानना है कि एंजेल टैक्स को हटाने से स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूती मिलेगी और देश में निवेश को बढ़ावा मिलेगा।