दिल्ली चुनाव में क्या और कैसे हो गया?भाजपा से कैसे हार गई AAP
अरविंद केजरीवाल चुनाव हार गए हैं. दिल्ली में भाजपा ने प्रचंड जीत के साथ कांग्रेस को 0 पर समेट दिया है. 70 सीटों वाली विधानसभा में आप की शर्मनाक हार यूं ही नहीं हुई है. इसके पीछे भाजपा की रणनीति के साथ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की एक बड़ी चूक मुख्य वजह है. दोनों दल जनता के मन को टटोल नहीं पाए.

राजधानी दिल्ली में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला है. आम आदमी पार्टी इतनी बुरी तरह हारी है कि उसके सबसे बड़े चेहरे यानी पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी अपनी सीट नहीं बचा पाए. बहुत से लोग ऐसे हैं जो नई दिल्ली विधानसभा सीट के चुनाव परिणाम से चौंक गए होंगे. कुछ लोगों के मन में यह सवाल जरूर होगा कि यह क्या और कैसे हो गया. राजनीतिक पंडित इसका विश्लेषण अपने-अपने तरीके से करेंगे लेकिन ज्यादा नहीं एक तस्वीर से आप समझ जाएंगे कि दिल्ली में कौन से खेला हुआ है.
पहले यह जान लीजिए कि नई दिल्ली विधानसभा सीट से भाजपा के प्रवेश साहिब सिंह 4089 वोटों से चुनाव जीत गए. उन्होंने AAP के अरविंद केजरीवाल को हराया है. प्रवेश को कुल 30088 वोट मिले जबकि केजरीवाल ने 25999 वोट हासिल किए. तीसरे नंबर पर कांग्रेस के संदीप दीक्षित रहे. उन्हें 4568 वोट मिले. संदीप दीक्षित ने ट्वीट कर अपनी शर्मनाक हार स्वीकार कर ली है. केजरीवाल ने भी हार स्वीकार करते हुए वीडियो जारी किया है.
अगर आप दिल्ली के पूरे नतीजे देखें तो 3 बजे तक के रुझानों के मुताबिक भाजपा को 48 सीटों पर जीत मिलती दिख रही है. आम आदमी पार्टी को 22 सीटें मिल सकती हैं. वहीं कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला है. गौर करने वाली बात यह है कि कांग्रेस ज्यादातर सीटों पर तीसरे स्थान पर रही और आम आदमी पार्टी को सीधा नुकसान पहुंचाया. दिल्ली के नतीजों का यही वनलाइनर विश्लेषण है. अब आप वो तस्वीर देखिए, जिसकी चर्चा ऊपर की गई है.
इसे विस्तार से समझने के लिए आप नई दिल्ली के नतीजे पर गौर कीजिए. अरविंद केजरीवाल 4089 वोटों से हारे हैं और कांग्रेस के संदीप दीक्षित को उससे ज्यादा 4568 वोट मिले हैं. अगर ये पूरे वोट केजरीवाल को मिल जाते तो प्रवेश साहिब सिंह करीब 500 वोटों से हार जाते. इससे साफ है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का अति आत्मविश्वास उन्हें ले डूबा. कांग्रेस अपने दम पर दिल्ली फतह करने निकली थी और उसके हाथ शून्य लगा. उधर केजरीवाल की टीम को उम्मीद थी कि उनका जादू सिर चढ़कर बोलेगा और इसलिए दोनों तरफ से गठबंधन के गंभीर प्रयास नहीं किए गए.
भाजपा ने यूं बाजी मारी
यही भाजपा के फेवर में चला गया. दिल्ली के नतीजों से यह भी साफ है कि मुस्लिम वोट बड़े पैमाने पर बंटा है. मुस्लिमों का एक तबका भाजपा के भी साथ गया है जो कांग्रेस से पहले से निराश था और अब AAP से दूर हो गया. मौलाना रशीदी ने पहले ही कह दिया था कि कांग्रेस ने मुसलमानों को दिया ही क्या है?
दिल्ली के नतीजों से साफ हो गया कि भाजपा की रणनीति कांग्रेस और आप दोनों समझ नहीं पाए. लोकसभा चुनाव के बाद जिस तरह इंडिया गठबंधन का माहौल बना था, उसे अगर विधानसभा चुनावों में भी जारी रखते तो शायद दिल्ली में AAP और कांग्रेस की इतनी दुर्गति नहीं होती. यूपी उपचुनाव में कांग्रेस ने चुनाव लड़ा ही नहीं था, जिसका फायदा सपा को हुआ. इसी तरह लोकसभा में डील के तहत उसने सपा के सहयोग से कुछ सीटें जीत लीं. दिल्ली में गठबंधन वाली रणनीति पूरी तरह फेल रही.