मदर मिल्क बैंक की कहानी छू लेगी दिल

महाराष्ट्र के अकोला में स्तन दुग्ध बैंक ने 3.5 सालों में 3,800 से अधिक नवजात शिशुओं की मदद की है. इस खबर नें पढ़ें औरतों की दिल छू लेने वाली कहानी.

महाराष्ट्र के अकोला में जिला महिला अस्पताल में एक मदर मिल्क बैंक की कहानी आपका दिल छू लेगी. इस मदर मिल्क बैंक अगस्त 2021 में अपनी स्थापना के बाद से 3,816 नवजात बच्चों को मुफ्त दुग्धपान कराने में मदद की है. अस्पताल के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि हर साल अकोला और पड़ोसी वाशिम तथा बुलढाणा जिलों के जिला महिला अस्पतालों में 12,000 से अधिक महिलाएं बच्चों को जन्म देती हैं.

अस्पताल के अधीक्षक डॉ. जयंत पाटिल ने बुधवार को बताया कि कमजोरी, शारीरिक समस्याओं और अन्य चिकित्सीय कारणों से कई महिलाएं अपने नवजात शिशुओं को स्तनपान नहीं करा पाती हैं. इस समस्या से निपटने के लिए अगस्त 2021 में यहां अस्पताल में ‘यशोदा मदर मिल्क बैंक’ की स्थापना की गई थी.

यशोदा मदर मिल्क बैंक की कहानी

दुग्ध बैंक की स्थापना के बाद से अब तक स्तनपान कराने वाली 3,621 माताओं ने केंद्र में सामूहिक रूप से 714 लीटर दूध दान किया है. उन्होंने आगे बताया कि   इसमें से स्तनपान कराने वाली माताओं से मिला 708 लीटर दूध 3,816 नवजात बच्चों को उपलब्ध कराया गया है.

अस्पताल आठ मार्च से महिला सप्ताह मना रहा है. आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है. अधिकारी ने बताया कि 2020 में पड़ोसी अमरावती जिले के आदिवासी इलाके मेलघाट में एक बच्चे का जन्म हुआ था, लेकिन मां चिकित्सीय कारणों से बच्चे को स्तनपान नहीं करा सकी. उन्होंने बताया कि पोषक तत्वों की कमी के कारण बच्चा बीमार पड़ गया.

तभी पड़ोस में रहने वाली सरला टोटे नाम की एक आदिवासी महिला ने बच्चे को स्तनपान कराया. पाटिल ने बताया कि टोटे को बाद में ‘यशोदा मिल्क बैंक’ का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया और उनके इस कदम के लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया. अस्पताल की प्रभारी कविता लव्हाले ने बताया कि हर दिन 15 से 20 महिलाएं आकर बैंक में स्तन दूध दान करती हैं, जहां इसे चिकित्सीय रूप से संसाधित किया जाता है और शून्य से 20 डिग्री सेल्सियस नीचे तापमान पर संग्रहित किया जाता है. उन्होंने कहा कि दुग्ध बैंक कुपोषण से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

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