बांग्लादेश में हिंसा के बीच हसीना की हुंकार
बांग्लादेश में एक बार फिर हिंसा भड़क गई है. बताया जा रहा है कि भारत में मौजूद बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने ऑनलाइन एक भाषण दिया. उनके भाषण के पहले से बांग्लादेश में लोग तैयार बैठे थे. अपने भाषण में शेख हसीना ने एक बार फिर यूनुस सरकार को ललकार दिया है.

बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान के ढाका में मौजूद आवास में बुधवार को प्रदर्शनकारियों के एक बड़े समूह ने तोड़फोड़ की और आग लगा दी. यह तोड़फोड़ उस समय हुई जब उनकी बेटी और अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ‘ऑनलाइन’ लोगों को संबोधित कर रही थीं. बताया जा रहा है कि राजधानी के धानमंडी इलाके में मौजूद घर के सामने हजारों लोग शाम से ही इकट्ठा हो गए थे, क्योंकि हसीना स्थानीय समयानुसार रात नौ बजे अपना संबोधन देने वाली थीं. अपने इस भाषण में हसीना ने यूनुस सरकार को कई चुनौतियां देने के साथ-साथ कई आरोप भी लगाए हैं.
इतिहास अपना बदला लेता है
हसीना का संबोधन आवामी लीग की अब भंग हो चुकी छात्र शाखा के ज़रिए आयोजित किया गया था. पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में देशवासियों से वर्तमान शासन के खिलाफ संगठित प्रतिरोध करने का आह्वान किया. हसीना ने साफ तौर पर नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की सरकार की तरफ इशारा करते हुए कहा,’उनके पास अभी भी इतनी ताकत नहीं है कि वे राष्ट्रीय ध्वज, संविधान और उस स्वतंत्रता को बुलडोजर से नष्ट कर सकें, जिसे हमने लाखों शहीदों के जीवन की कीमत पर अर्जित किया है.’ उन्होंने कहा,’वे इमारत को ध्वस्त कर सकते हैं, लेकिन इतिहास को नहीं और उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि इतिहास अपना बदला लेता है.’
संविधान, झंडा और राष्ट्रगान मिटाने की हो रही बात
छात्र आंदोलन ने पहले बांग्लादेश के 1972 के संविधान ‘मुजीबिस्ट संविधान’ को दफनाने का वादा किया था, जबकि कुछ दूर-दराज़ समूहों ने शेख मुजीब के नेतृत्व वाली स्वतंत्रता के बाद की सरकार के ज़रिए अपनाए गए राष्ट्रगान को बदलने का भी सुझाव दिया था. यह घर बांग्लादेश के इतिहास में एक प्रतिष्ठित प्रतीक बन गया क्योंकि शेख मुजीबुर रहमान ने दशकों तक आजादी आंदोलन का नेतृत्व किया था. जबकि आवामी लीग के शासन के दौरान जब इसे संग्रहालय में बदल दिया गया था, तो विदेशी राष्ट्राध्यक्ष या गणमान्य व्यक्ति राज्य प्रोटोकॉल के अनुसार आते थे.
घर तोड़ सकते हैं, इतिहास नहीं मिटा सकते
अपने ऑनलाइन भाषण के दौरान घटना पर दुख जताते हुए शेख हसीना ने कहा कि आंदोलनकारी उनकी बचपन की यादों को मिटा रहे हैं, लेकिन वे उनके परिवार के इतिहास को कभी नहीं मिटा पाएंगे. लगभग आंसुओं में डूबी हसीना ने कहा,’हम बहनें (छोटी बहन शेख रेहाना, जिसके साथ वो भारत आईं थीं) धानमंडी की उन यादों के लिए जीती हैं, अब वे उस घर को तबाह कर रहे हैं. पिछली बार उन्होंने इस घर को आग लगा दी थी और अब वे उस घर को तोड़ रहे हैं. वे इस घर को तोड़ सकते हैं, लेकिन वे इतिहास को मिटाने में सफल नहीं होंगे.
जरूर कुछ बड़ा काम बाकी है
शेख हसीना ने मोहम्मद यूनुस और उनकी सरकार पर आरोप लगाया है कि उन्होंने मुझे और मेरी बहन को मारने की प्लानिंग कर ली थी. हालांकि हिम्मत भरते हुए उन्होंने कहा कि अगर अल्लाह ने मुझे इन हमलों के बावजूद जिंदा रखा है तो जरूर कुछ बड़ा काम करना होगा. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता तो मैं कैसे इतनी बार मौत को शिकस्त दे सकती थी? हसीना ने कहा,’मैं बांग्लादेश के लोगों से इंसाफ मांगती हूं. क्या मैंने अपने मुल्क के लिए कुछ नहीं किया? तो इतना अपमान क्यों?’