जम्मू-कश्मीर के आतंकवादी हमलों पर सरकार का आया जवाब

गृह राज्य मंत्री ने कहा कि आतंकवाद बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जेल में डाला जाएगा या जहन्नुम भेजा जाएगा...

नई दिल्ली: सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों को जेल में डाला जाएगा या जहन्नुम (नरक) भेजा जाएगा। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी के सवाल का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि मोदी सरकार आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस रखती है और हाल ही में देखी गई आतंकवादी गतिविधियों को समाप्त किया जाएगा। कश्मीर सहित देश की सुरक्षा को सर्वोपरि बताते हुए नित्यानंद राय ने कहा कि आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आतंकवाद को पूरी तरह समाप्त करने का संकल्प जताते हुए उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में कश्मीर में 28 आतंकियों को मार गिराया गया है। साथ ही यह भी स्वीकार किया कि आतंकी हमलों में हमारे कुछ जवानों की भी जान गई है।

केंद्र की मोदी सरकार की नीति आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की है। आतंकवादी या तो जेल में रहेंगे या जहन्नुम में जाएंगे।
नित्यानंद राय , केंद्रीय गृह राज्य मंत्री राज्यसभा में

कश्मीर जाने वाले लोगों के मन में डर वाले सवाल का मिला जवाब
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि कश्मीर जाने वाले पर्यटक के मन में अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता होती है। आतंकी हमले पर्यटकों के मन में चिंता उत्पन्न करते हैं। ऐसे में वहां पर्यटकों की सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम किए गए हैं। इस पर राय ने बताया कि 2023 में दो करोड़ 11 लाख पर्यटकों का कश्मीर जाना बताता है कि वहां सुरक्षा की स्थिति है। उन्होंने कहा कि 2014 से पहले तो पर्यटक कश्मीर जाने से डरते थे। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर का आज अनुकूल माहौल है, स्कूल, कॉलेज खुल रहे हैं, कारोबार बढ़ रहा है।

2014 से 2024 के बीच कितने हुए आतंकवादी हमले
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान यह भी बताया कि विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को अगस्त 2019 में हटाए जाने के बाद से जम्मू कश्मीर में भारतीय सेना ने 900 से अधिक आतंकियों को मार गिराया है। उन्होंने पूरक प्रश्न के जवाब में बताया कि 2004 से 2014 के बीच आतंकी घटनाओं की संख्या 7217 थी जबकि 2014 से 21 जुलाई 2024 तक ऐसी 2259 घटनाएं हुई हैं जो नहीं होना चाहिए थीं। इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। राय ने बताया कि 2004 से 2014 तक आतंकी हमलों में जान गंवाने वाले सुरक्षा बलों और आम नागरिकों की संख्या 2829 थी जो बीते दस वर्ष में 67 प्रतिशत घट कर करीब 941 रह गई।

कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए खास उपाय
कश्मीरी पंडितों के बारे में पूछे गए एक पूरक प्रश्न के जवाब में राय ने कहा कि कभी जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडितों ने अत्याचार की वजह से घाटी से पलायन किया था। उन्होंने कहा कि वोट बैंक की राजनीति व साजिश कश्मीरी पंडितों के वहां से पलायन का मुख्य कारण था। घाटी में कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों की वापसी और उनके पुनर्वास के लिए नौकरी की व्यवस्था की गई है। उनके पुनर्वास के लिए की गई इस पहल के तहत 6000 पदों पर उनकी नियुक्ति की जानी थी जिनमें से 5724 पदों पर नियुक्तियां की जा चुकी हैं और शेष 276 पद पर नियुक्तियां की जा रही हैं। घाटी के विभिन्न जिलों में 2015 में पीएम पैकेज के तहत 6000 ट्रांजिट आवास निर्माण की मंजूरी दी गई थी। इनमें से 2088 फ्लैट बन गए हैं और शेष का निर्माण कार्य प्रगति पर है।

पर्यटकों की बढ़ी संख्या, बदल रही तस्वीर
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने एक अन्य पूरक सवाल के जवाब में बताया कि कश्मीर में 2023 में दो करोड़ 11 हजार पर्यटक गए। वहां शांति का माहौल है और सुरक्षा से लेकर सफाई तक पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह खुद कुछ दिन पहले श्रीनगर गए थे। वहां का प्रशासन राज्य में आने वाले पर्यटकों का पूरा ध्यान रख रहा है और गृह मंत्रालय की ओर से भी इस संबंध में खास निर्देश दिए गए हैं। राय ने कहा कि वहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई तरह के प्रयास कर रही है। जी 20 की बैठक भी वहां आयोजित की गई। पर्यटन जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था का आधार बन गया है और इसकी वजह से ही वहां पांच लाख लोगों को रोजगार मिला है।

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