दिल्ली में मुगलों के नाम पर कितनी मोहल्ले, ये 2 नाम फौरन बदलने की मांग

250 साल दिल्ली पर मुगलों के शासन को खत्म हुए 250 साल से भी ज्यादा हो चुके हैं. लेकिन आज भी मुगलों के नाम पर बहस छिड़ी है. सबसे ताजा बहस शुरू हुई दिल्ली विधानसभा में बीजेपी विधायक नीलम पहलवान के एक प्रस्ताव के बाद. जिसमें उन्होंने कुछ नाम बदलने का प्रस्ताव रखा.

दिल्ली की नई बीजेपी सरकार में मुगलों की नाम और निशानियां बदलने की पुरानी मांगे एक बार फिर से तेज होकर लाइम लाइट में आ गई हैं. अब ऐसा लग रहा है कि रेखा सरकार इस विषय में बड़ा फैसला ले सकती है. 250 साल दिल्ली पर मुगलों के शासन को खत्म हुए 250 साल से भी ज्यादा हो चुके हैं. लेकिन आज भी मुगलों के नाम पर बहस छिड़ी है. सबसे ताजा बहस शुरू हुई दिल्ली विधानसभा में बीजेपी विधायक नीलम पहलवान के एक प्रस्ताव के बाद, जिसमें उन्होंने कुछ नाम बदलने की मांग जनता के हवाले से की.

नजफगढ़ या नाहरगढ़?

मांग उठी नजफगढ़ का नाम बदलकर नाहरगढ़ रखने की. इसी के साथ साथ मोहम्मदपुर गांव का नाम बदलकर माधवपुर रखने की मांग उठी.
और इससे पहले मुस्तफाबाद का नाम बदलकर शिव विहार रखने की मांग उठ चुकी है. दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से ही नाम को लेकर राजनीति तेज हो गई है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या दिल्ली से मुगलों का नाम हमेशा के लिए मिटा दिया जाएगा और दूसरा सवाल ये की क्या सिर्फ नाम बदलने से ही सारी समस्याएं हल हो जाएंगी. इन दोनों सवालों के जवाब आपको खबर के अंत तक खुद मिल जाएगा लेकिन सबसे पहले समझते हैं कि आखिर ये मांग उठ क्यों रही है.

दिल्ली के पश्चिमी छोर पर बसा एक इलाका नजफगढ़ आज देशभर के लोगों की जुबान पर है. आप में से कुछ लोगों ने तो इसका नाम आज से पहले कभी भी नहीं सोचा होगा..लेकिन आज इस नाम की चर्चा चारों तरफ हो रही है. जिसकी वजह है नीलम पहलवान का ये बयान जिसमें उन्होंने कहा है कि नाम बदल जाना चाहिए.

नजफगढ़ से बीजेपी विधायक नीलम पहलवान ने दिल्ली विधानसभा में नजफगढ़ का नाम बदलकर नाहरगढ़ रखने का प्रस्ताव पेश किया.. और इसी के साथ साथ अपनी दलील भी पेश की.

नजफगढ़ का नाम मिर्जा नजफ खान पर पड़ा है. नजफ खान मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय का कमांडर-इन-चीफ था. नजफ खान ने यहीं से मराठा और सिखों के खिलाफ अभियान चलाए. लेकिन नीलम पहलवान चाहती हैं कि इसका नाम नाहर सिंह के नाम पर पड़े. 1857 में नजफगढ़ से विद्रोह को राजा नाहर सिंह ने लीड किया था.

यही वजह है कि अक्रांताओं के कमांडर के बजाय अक्रांताओं के खिलाफ खड़े रहने वाले योद्धा के नाम पर नजफगढ़ के नाम को रखने की मांग की जा रही है. हालाकि दिल्ली में इलाकों के नाम बदलने की ये पहली मांग नहीं है. आरके पूरम और मुस्तफाबाद से जीते बीजेपी के विधायक भी ऐसी ही मांग कर चुके हैं. बीजेपी जब से दिल्ली की सत्ता में काबिज हुई है इलाकों के नाम बदलने की मांग जोर पकड़ रही है ऐसे में इसपर सियासत होना भी लाजमी है..

ज्यादा जरूरी क्या, नाम या काम?

जरनैल सिंह पंजाब प्रभारी, आप विधायक और  ने का, ‘बीजेपी काम की राजनीति करे तो नाम बदलने की राजनीति करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.’ बीजेपी के तीन विधायकों ने तीन जगहों के नाम बदलने की मांग कर दी है. ऐसे में देखना होगा की ये महज पॉलिटिकल स्टंट है या फिर नाम बदलने का सिलसिला शुरू होने वाला है.

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