दयान कृष्णन.. फ्री में लड़ा था निर्भया केस, अब राणा को दिलाएंगे सजा

दयान कृष्णन वही वकील हैं जिन्होंने निर्भया केस में बिना फीस लिए मुकदमा लड़ा था. उन्होंने तब कहा था कि समाज के प्रति मेरा फर्ज है. इससे पैसे नहीं कमाने चाहिए . एनआईए के एक अधिकारी के मुताबिक कृष्णन ने अमेरिका में जाकर भी भारत का पक्ष मजबूती से रखा.

मुंबई आतंकी हमलों के आरोपी खूंखार आतंकी तहव्वुर राणा भारत लाया जा चुका है. उसके खिलाफ चल रहे केस में अब भारत की तरफ से कानूनी शिकंजा और मजबूत होने जा रहा है. इस हाई-प्रोफाइल केस में अब एनआईए की तरफ से वरिष्ठ वकील दयान कृष्णन मुख्य वकील होंगे. उनके साथ दिल्ली हाई कोर्ट में सीबीआई का प्रतिनिधित्व कर चुके विशेष लोक अभियोजक नरेंद्र मान भी सहयोग करेंगे. यह टीम राणा के खिलाफ मुकदमे को इतना पुख्ता बनाएगी कि दोष साबित होने में कोई कसर बाकी न रहे.

हेडली से पूछताछ करने वाली टीम का हिस्सा..

असल में दयान कृष्णन की राणा केस से कनेक्शन वैसे तो कोई नया नहीं है. 2010 में वे शिकागो में डेविड हेडली से पूछताछ करने वाली एनआईए टीम का हिस्सा थे. इसके बाद 2014 में उन्हें हेडली और राणा दोनों के प्रत्यर्पण मामलों के लिए विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया. राणा ने अमेरिका में प्रत्यर्पण से बचने के लिए ‘डबल जेपर्डी’ का तर्क दिया लेकिन कृष्णन ने अदालत में यह साबित कर दिया कि भारत के आरोप अलग प्रकृति के हैं. इसी मजबूत दलील के चलते अमेरिकी कोर्ट ने उसकी सारी याचिकाएं खारिज कर दीं और भारत के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया.

निर्भया केस बिना फीस लिए लड़ा

दयान कृष्णन वही वकील हैं जिन्होंने निर्भया केस में बिना फीस लिए मुकदमा लड़ा था. उन्होंने तब कहा था कि समाज के प्रति मेरा फर्ज है. इससे पैसे नहीं कमाने चाहिए. एनआईए के एक अधिकारी के मुताबिक कृष्णन ने अमेरिका में जाकर भी भारत का पक्ष मजबूती से रखा. उन्होंने कानूनी तकनीकी पहलुओं को सटीकता से पेश किया जिससे भारत की दलीलें अमेरिकी कोर्ट में टिकीं.

सफर काफी लंबा और प्रतिष्ठित

कृष्णन का कानूनी सफर काफी लंबा और प्रतिष्ठित रहा है. वे बेंगलुरु के नेशनल लॉ स्कूल NLSIU के 1993 बैच से हैं और 1999 में स्वतंत्र वकालत शुरू की थी. संसद हमले केस, कावेरी जल विवाद, दूरसंचार घोटाला, नितीश कटारा हत्याकांड और उपहार अग्निकांड जैसे कई हाई-प्रोफाइल मामलों में वे सरकार की तरफ से अदालत में खड़े हुए हैं. उनके साथ इस कानूनी टीम में अधिवक्ता संजीवी शेषाद्रि, श्रीधर काले और एनआईए के अन्य वकील भी शामिल होंगे. वहीं नरेंद्र मान तीन साल या ट्रायल खत्म होने तक इस केस से जुड़े रहेंगे.

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