5 दिसंबर को रुला गईं थीं ‘दक्षिण की अम्मा’
1991 में वह पहली बार मुख्यमंत्री बनीं. उनके कार्यकाल में शुरू की गईं 'अम्मा योजनाएं' जैसे अम्मा कैंटीन, अम्मा पानी और अम्मा दवा ने जनता के बीच उनकी छवि 'अम्मा' के रूप में मजबूत की.
दक्षिण भारत की राजनीति और सिनेमा दोनों में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाली जे जयललिता का जीवन एक ऐसी कहानी है जो संघर्ष, सफलता और करिश्मे से भरी हुई है. 15 साल की उम्र में स्कूल टॉपर, 18 की उम्र में सुपरस्टार और फिर 40 की उम्र में राज्य की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री बनने का सफर किसी परीकथा से कम नहीं. तमिलनाडु की छह बार मुख्यमंत्री रहीं जयललिता की 8वीं पुण्यतिथि पर आइए जानते हैं, कैसे सिनेमा की यह ग्लैमर गर्ल सियासत की सरताज बनीं.
बचपन और पढ़ाई: पढ़ाई में टॉप लेकिन किस्मत ने चुना दूसरा रास्ता
24 फरवरी 1948 को कर्नाटक के मैसूर में जन्मी जयललिता का शुरुआती जीवन मुश्किलों से भरा रहा. पिता की मृत्यु के बाद उनकी मां वेदवल्ली ने परिवार को संभालने के लिए फिल्म इंडस्ट्री में काम किया. जयललिता बचपन में पढ़ाई में बेहद होनहार थीं. चेन्नई के चर्च पार्क कॉन्वेंट स्कूल से पढ़ाई की और 10वीं में राज्य की टॉपर रहीं. उनका सपना वकील बनने का था, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति के चलते उन्हें जल्दी ही फिल्मी दुनिया में कदम रखना पड़ा.
फिल्मी सफर: एकेडमिक्स से सिनेमा तक का सफर
जयललिता ने 1961 में कन्नड़ फिल्म श्री शैला महाथमे से बाल कलाकार के रूप में शुरुआत की. 1965 में तमिल फिल्म वेनिरा आडाई से उन्होंने बतौर मुख्य अभिनेत्री डेब्यू किया. यह फिल्म सुपरहिट रही और जयललिता तमिल सिनेमा की पहली ऐसी अभिनेत्री बनीं जिन्होंने शॉर्ट स्कर्ट पहनी. 18 साल की उम्र में वह दक्षिण भारतीय सिनेमा की सबसे पॉपुलर एक्ट्रेस बन चुकी थीं. उन्होंने 140 से अधिक फिल्मों में काम किया, जिनमें एमजी रामचंद्रन (MGR) के साथ 28 फिल्में भी शामिल हैं.
MGR से रिश्ता और राजनीति में एंट्री
जयललिता का फिल्मी करियर जहां परवान चढ़ रहा था, वहीं उनकी मुलाकात एमजी रामचंद्रन से हुई, जो बाद में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने. एमजीआर ने जयललिता को राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया. 1982 में जयललिता ने AIADMK जॉइन की. उनके दमदार भाषण, व्यक्तित्व और लोकप्रियता ने जल्द ही उन्हें पार्टी का प्रमुख चेहरा बना दिया.
मुख्यमंत्री बनने का सफर
1987 में एमजीआर की मृत्यु के बाद जयललिता ने पार्टी की बागडोर संभाली और 1989 में तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष की नेता बनीं. 1991 में वह पहली बार मुख्यमंत्री बनीं. उनके कार्यकाल में शुरू की गईं ‘अम्मा योजनाएं’ जैसे अम्मा कैंटीन, अम्मा पानी और अम्मा दवा ने जनता के बीच उनकी छवि ‘अम्मा’ के रूप में मजबूत की. जयललिता छह बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं और राज्य की राजनीति में एक अजेय ताकत बनकर उभरीं.
विवाद और जेल
जयललिता का राजनीतिक सफर आसान नहीं था. उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज हुआ, जिसमें उन्हें दोषी ठहराया गया और जेल भी जाना पड़ा. हालांकि, हर बार उन्होंने अपने आलोचकों को करारा जवाब दिया और जनता का प्यार जीतकर वापस सत्ता में लौटीं.
आखिरी समय और मृत्यु
साल 2016 में जयललिता की तबीयत बिगड़ी और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. 75 दिनों तक इलाज के बाद, 5 दिसंबर 2016 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया. उनकी अंतिम यात्रा में लाखों लोग शामिल हुए. जयललिता को उनके द्रविड़ आंदोलन के जुड़ाव के कारण दफनाया गया, जो परंपरागत हिंदू रीति-रिवाजों से अलग था. उनके कई फैंस हफ्तों तक उनके लिए रोते रहे.
अम्मा का अमिट प्रभाव
जयललिता का व्यक्तित्व, उनकी कल्याणकारी योजनाएं और तमिलनाडु के लिए किए गए काम उन्हें आज भी लोगों के दिलों में जिंदा रखते हैं. राजनीति और सिनेमा की इस अद्वितीय शख्सियत को उनकी पुण्यतिथि पर पूरा देश याद कर रहा है. उनके जीवन की कहानी यह साबित करती है कि संघर्ष और दृढ़संकल्प से किसी भी मुकाम को हासिल किया जा सकता है.