यूपी के पासी समाज पर कांग्रेस की नजर!
सियासी जानकारों के मुताबिक इस दलित समुदाय का प्रभाव 103 सीटों पर है. इसमें 70 सीटें ऐसी हैं जहां पासी समाज की निर्णायक भूमिका मानी जाती है.
रायबरेली में राहुल गांधी : रायबरेली के नसीराबाद में 11 अगस्त को दलित युवक अर्जुन पासी (22) की हत्या कर दी गई. लोकसभा में नेता-प्रतिपक्ष और रायबरेली से सांसद राहुल गांधी मंगलवार को अर्जुन के परिजनों से मिलने के लिए पहुंचे. राहुल गांधी ने युवक की मां के हवाले से बताया कि उनका छोटा बेटा बाल काटता है और एक आरोपी ने छह-सात बार उससे बाल कटवाए और पैसे नहीं दिए और जब पैसे के लिए दबाव बनाया तो उसके बड़े बेटे की हत्या कर दी. यह पूछे जाने पर कि आरोपी को क्या सजा मिलनी चाहिए, उन्होंने कहा, “किसी को मौत की सजा देना अदालत का काम है, यह मेरा काम नहीं है. लेकिन मेरा काम यह सुनिश्चित करना है कि कानून लागू हो और इसके लिए दबाव बनाना है.” गांधी ने कहा, ”मैं पीछे हटने वाला नहीं हूं. यह एक दलित परिवार है, इसलिए ऐसा हो रहा है.”
जातिगत गोलबंदी का ‘खेल’
राहुल गांधी की इस यात्रा के साथ ही सियासी जानकारों के मुताबिक कांग्रेस ने 2027 की विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है. अखिलेश यादव जहां पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) कार्य खेल रहे हैं वहीं राहुल गांधी की इस यात्रा के माध्यम से कांग्रेस ने दलितों में पासी समाज पर फोकस बढ़ा दिया है. ये कांग्रेस की सामाजिक न्याय के एजेंडे और जातिगत गोलबंदी की दिशा में अगली रणनीति है. सपा ने पहले ही अयोध्या से सांसद बने अवधेश प्रसाद को पासी समाज के चेहरे के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर पेश किया है. अवधेश प्रसाद को लोकसभा में विपक्ष की अगली पंक्ति के नेताओं राहुल गांधी, अखिलेश यादव के साथ अक्सर बैठा हुआ देखा जाता है. अवधेश प्रसाद, अयोध्या में बीजेपी के हार के प्रतीक भी बन गए हैं. उन्होंने अपने शपथ ग्रहण में दो पासी प्रतीकों उदा देवी और महाराजा बिजली पासी का भी उल्लेख किया था.
कांग्रेस भी इस दिशा में पीछे नहीं रहना चाहती. इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि यूपी में जाटवों के बाद दलित समाज में सबसे बड़ी हिस्सेदारी पासी समाज की ही मानी जाती है. राज्य की कुल अनुसूचित जातियों में पासी समाज की आबादी लगभग 16 प्रतिशत है. सियासी जानकारों के मुताबिक इस दलित समुदाय का प्रभाव 103 सीटों पर है. इसमें 70 सीटें ऐसी हैं जहां पासी समाज की निर्णायक भूमिका मानी जाती है. कांग्रेस इस समुदाय की अहमियत को समझ रही है इसलिए लगातार इस समाज पर फोकस बढ़ा रही है. इस पृष्ठभूमि में इसकी बानगी इस बात से भी समझी जा सकती है कि पहली लोकसभा (1952-57) में पंडित जवाहलाल नेहरू के साथ सांसद रहे लखनऊ के मसुरियादीन पासी की कांग्रेस ने पिछले दिनों पुण्यतिथि मनाई. वह संविधान सभा के भी सदस्य रहे.