ओबीसी से जुड़ने के लिए ‘बसपा’ फिर दोहराएगी ‘भाईचारा’ प्रयोग
2027 में कितनी काम आएगी बसपा की भाईचारा कमेटी?

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में साल 2027 में विधानसभा चुनाव होगा। इसमें अब करीब 2 साल का समय बचा है। ऐसे में अब बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने बड़ा दांव चला है। मायावती अब दलितों के साथ ओबीसी को भी पार्टी से जोड़ेंगी। बीएसपी ने मंगलवार को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की विशेष बैठक बुलायी थी। मायावती ने आज भाईचारा कमेटी का ऐलान किया है।
बसपा ने मंगलवार को ओबीसी समाज की बैठक बुलाई है जिसमें प्रदेशभर के सभी ओबीसी वर्ग के नेता पहुंचे. इसके बाद मायावती का अगला कदम अगड़ों के लिए भाईचारा समिति बनाने का होगा. सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय का नारा देकर एक बार फिर से मायावती सत्ता पर काबिज होना चाह रही हैं.
इन ओबीसी भाईचारा समितियों के जरिए पार्टी अपने बिखरे हुए ग्रामीण वोट बैंक को जोड़ना चाहती है और समाजवादी पार्टी के पीडीए (पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक ) के दांव का जवाब भी तलाशना चाहती है।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, ”बसपा ने प्रदेश के सभी जिलों में ओबीसी भाईचारा समितियां गठित की हैं। प्रत्येक जिले में दो संगठनात्मक संयोजक नियुक्त किए गए हैं। जिला अध्यक्ष और प्रभारी नियुक्त किए गए हैं।’’
उनका कहना है कि इन जिला अध्यक्षों और प्रभारियों में एक दलित समुदाय से है और दूसरा ओबीसी से। ये पदाधिकारी अब प्रदेश के सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में ओबीसी भाईचारा समितियां बना रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ ये पदाधिकारी गांव-गांव जाकर लोगों के बीच जा रहे हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में बसपा की नीतियों को फैलाने का काम शुरू कर दिया है। ताकि ओबीसी समाज और अन्य गरीब व अल्पसंख्यक समाज के लोग भी इन भाईचारा समिति से जुड़ सकें और आगामी 2027 के उप्र विधानसभा चुनाव में बसपा 2007 की तरह फिर से सत्ता हासिल कर सके।’’
उन्होंने कहा कि विधानसभा प्रभारी हर गांव में ओबीसी वर्ग के 100 लोगों का समूह बनाएंगे और उन्हें पार्टी के कार्यक्रमों और नीतियों की जानकारी देकर प्रशिक्षित कार्यकर्ता बनाएंगे।
प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं को पार्टी का सक्रिय सदस्य भी बनाया जाएगा। बसपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी के अभियान के दौरान गांव-गांव में लोगों को कांग्रेस, भाजपा और सपा की दलित विरोधी नीतियों के साथ-साथ उनके द्वारा लगातार किए जा रहे छल-कपट के बारे में जागरुक किया जा रहा है।
यह पूछे जाने पर कि क्या यह समाजवादी पार्टी के पीडीए फॉर्मूले से प्रेरित है, पाल ने कहा, ‘‘ एसपी पीडीए के नाम पर ओबीसी समुदाय को बेवकूफ बना रही है। एसपी के पीडीए का मतलब है ‘परिवार विकास प्राधिकरण’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ यादव समुदाय की ओबीसी में सबसे बड़ी हिस्सेदारी है, लेकिन सपा ने लोकसभा चुनाव में परिवार के सदस्यों को छोड़कर यादव समुदाय के किसी भी व्यक्ति को पार्टी का टिकट नहीं दिया। यादव समुदाय भारी संख्या में समाजवादी पार्टी को वोट देता है, लेकिन जब टिकट की बात आती है तो सपा प्रमुख को केवल पत्नी, भाई और भतीजे दिखाई देते हैं।’’