हाथरस में 116 लोगों की जान लेकर मैनपुरी के आश्रम में दुबका बैठा था बाबा! हुआ वहां से भी फरार
हाथरस की भगदड़ में 107 लोगों की मौत का गुनहगार नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा कहां छिपा है, इसका पता चल गया है. वह घटना स्थल से निकलने के बाद अपने समर्थकों के साथ मैनपुरी के एक आश्रम में छिपा हुआ है.

उत्तर प्रदेश के हाथरस में सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि के सत्संग के बाद मची भगदड़ में 107 लोगों की मौत हो गई. मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं . मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है. जिस नारायण हरि के सत्संग में 116 से ज्यादा लोगों की जान गई, वो अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर है. जिस बाबा की लापरवाही से महिलाओं और बच्चों को मौत हुई, वो बाबा प्रशासन की कृपा से गायब है.
मैनपुरी के आश्रम में छिपा है बाबा
बताया जा रहा है कि हाथरस में 107 से ज्यादा लोगों की मौत के बाद सूरजपाल अपने चेलों के साथ मैनपुरी में छिपा हुआ है. वहां पर उसका कुटीर चैरिटेबल आश्रम है. उस आश्रम के अंदर और बाहर बड़ी मात्रा में बाबा के समर्थक भी मौजूद हैं. बाबा की मौजूदगी की भनक मिलने के बाद पुलिस भी आश्रम के बाहर पहुंच चुकी है. माना जा रहा है कि पुलिस रात में हाथरस के इस गुनहगार के खिलाफ एक्शन ले सकती है. ऐसे में उसकी बाबा के चेलों के साथ भिड़ंत की आशंका भी बनी हुई है.
वहीं नारायण हरि के चेले, जगह जगह ये साबित करने में जुटे हैं, कि हादसे का जिम्मेदार स्थानीय प्रशासन है. लेकिन सच्चाई ये है कि नारायण हरि के इस सत्संग में व्यवस्था के नाम पर कीचड़ और दम घोंटने का माहौल दिया गया था. नारायण हरि को भी मालूम था कि उसे केवल 50 भक्तों को बुलाने की अनुमति दी गई थी. लेकिन नारायण हरि और उसके चेलों ने कम से करीब 50 हजार लोग बुला लिए. क्या ये नियमों का उल्लंघन नहीं है? क्या अब भी लगता है कि नारायण हरि और उसके चेले, 107 से ज्यादा लोगों की मौत की वजह नहीं हैं?
खोड़ा कॉलोनी से शुरू किया सत्संग का बिजनेस
नारायण हरि भी जानता था कि उसके इस सत्संग में आने जाने वाला रास्ता काफी संकरा है. वो ये भी जानता होगा कि जब सत्संग खत्म होगा, तो हमेशा की तरह भक्त उसके पैर छूने या पैरों की धूल लेने के लिए उसकी तरफ आएंगे. बावजूद इसके, इस स्वयंभू भोले बाबा, मासूमों की जान से खिलवाड़ करता रहा. और तो और इसके भगदड़ के वक्त इसके चेलों ने दरवाजा बंद कर दिया, जिससे हालात और ज्यादा खराब हो गए.
हम आपको इस बाबा की कुंडली बताने जा रहे हैं. इसे देखकर आप खुद अंदाजा लगाइए कि ये आदमी किस लेवल का खिलाड़ी है. नारायण हरि को लेकर दावा किया जाता है कि ये एटा का ही रहने वाला है. बाबा बनने का ख्याल इसे 10 साल पहले नोएडा के पास की खोड़ा कॉलोनी में आया था. वहां पर उसने अपने 5 चेलों के साथ प्रवचन वाला धंधा शुरू किया.
कोरोना काल में भी जुटाई थी सैकड़ों की भीड़
धर्म प्रचार के नाम पर इसने लोगों से पैसा और संपत्ति हासिल की. ये लोगों को बताता था कि वो यूपी पुलिस की इंटेलिजेंस यूनिट में था.ये अपने श्रद्धालुओं से सत्संग की व्यवस्था का खर्च उठवाता था. कोरोना के लॉकडाउन काल में भी इसने हजारों की भीड़ जुटाकर सत्संग किया था. कोरोना काल में भी सत्संग करवाने की हिम्मत करने वाले नारायण हरि पर, उस वक्त भी सख्ती नहीं की गई थी. इसी वजह से नारायण हरि ने अव्यवस्थाओं से भरा एक और सत्संग किया, जिसमें 116 से ज्यादा लोगों की बलि चढ गई.
नारायण हरि ने जब सत्संग का बिजनेस शुरु किया तो उसे लगा कि प्रवचन वाले बिजनेस में बहुत फायदा नहीं है. उसने अपने भक्तों को बरगलाने के लिए एक साइड बिजनेस शुरू किया. उसने काला जादू वाला बिजनेस शुरू किया. इस बिजनेस से उसने काफी पैसा कमाया.
भूत भगाने का धंधा भी चलाता है बाबा
नारायण हरि का दावा है को ‘भूत भगाता’ है. भूत भगाने वाले इस बाबा के कई वीडियो सोशल मीडिया पर मौजूद हैं. इसके चेले भी नारायण हरि को एक ऐसे व्यक्ति की तरह पेश करते हैं जो दैवीय शक्ति रखता है. जबकि सच्चाई ये है कि इस हादसे के बाद से वो छिपता फिर रहा है.
नारायण हरि अपने भक्तों की मासूमियत का फायदा उठाता था. वो भक्तों को बेवकूफ बनाने के लिए भूतों से बात करने का नाटक करता है. उसका दावा है कि वो जिन्न और आत्माओं से बात करता है. अफसोस है कि इस तरह के बाबा पर लोगों को भरोसा भी था. लोग टैंकर और बसों की छतों पर बैठ हुए थे…बारिश की वजह से पूरे खेत में कीचड़ की वजह से जमीन दलदल जैसी हो गई थी…ऐसी लापरवाही के बावजूद यहां सत्संग हुआ, जिसकी वजह से लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी.
एक- दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे अधिकारी
हाथरस के डीएम आशीष पटेल कह रहे हैं कि सत्संग के अंत में ज्यादा उमस के कारण भगदड़ मची. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि सत्संग स्थल पर डॉक्टर ना होने की वजह से भी कई लोगों की जान चली गई. हाथरस पुलिस कह रही है कि सत्संग कार्यक्रम की अनुमति दी गई थी लेकिन सत्संग स्थल के अंदर की व्यवस्था आयोजकों द्वारा की जानी थी. सब इतनी बड़ी घटना पर अपना गिरेबां बचाने की कोशिशों में जुटे हैं और जिम्मेदारी लेने से बच रहे हैं और अस्पताल लाशों और घायलों से भरे पड़े हैं.