अवनि चतुर्वेदी, भावना कंठ और मोहना सिंह…ये हैं फाइटर प्लेन उड़ाने वाली भारत की पहली तीन महिला पायलट

दुनिया 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाती है. इस साल की थीम है, 'सभी महिलाओं और लड़कियों के लिए: अधिकार. समानता. सशक्तिकरण.' इस दिन का मकसद महिलाओं को समान अधिकार, शक्ति और अवसर मिल सकें.

आज महिला दिवस 2025 मनाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य सभी महिलाओं के अधिकारों, समानता और सशक्तिकरण की वकालत करना है. आज जब हम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे हैं, तो पिछले कुछ वर्षों में उनकी महान उपलब्धियों और परिवर्तनों को याद करना और उनका सम्मान करना महत्वपूर्ण है. पिछले साल एक ऐसा ही मील का पत्थर स्थापित हुआ था, जब भारतीय वायु सेना ने पहली बार महिला लड़ाकू पायलटों को शामिल किया था.

अवनी चतुर्वेदी, भावना कंठ और मोहना सिंह ने भारतीय वायुसेना में लड़ाकू पायलट प्रशिक्षण लेने वाली पहली महिला टीम बनकर इतिहास रच दिया.

भारत की पहली महिला लड़ाकू पायलट
अवनी चतुर्वेदी, भावना कंठ और मोहना सिंह भारत के सशस्त्र बलों में लैंगिक समानता की दिशा में उठाए गए कदमों के बेहतरीन उदाहरण हैं. स्क्वाड्रन लीडर मोहना सिंह भारत के स्वदेशी ‘मेड इन इंडिया’ LCA तेजस फाइटर जेट के स्क्वाड्रन का संचालन करने वाली कुलीन 18 ‘फ्लाइंग बुलेट्स’ स्क्वाड्रन में शामिल होने वाली पहली महिला फाइटर पायलट बनीं. सिंह की अन्य दो महिला साथी, स्क्वाड्रन लीडर भावना कंठ और स्क्वाड्रन लीडर अवनी चतुर्वेदी अब पश्चिमी रेगिस्तान में सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं.

2016 में, मोहना सिंह, अवनी चतुर्वेदी और भावना कंठ के साथ भारतीय वायु सेना के लड़ाकू पायलट कार्यक्रम में शामिल होने वाली पहली महिलाओं में से एक बनीं.

स्क्वाड्रन लीडर मोहना सिंह
जनवरी 1992 में राजस्थान के झुंझुनू में जन्मी मोहना सिंह एक ऐसे परिवार से हैं, जो सैन्य सेवा में गहराई से जुड़ा हुआ है. उनके पिता, प्रताप सिंह जीतरवाल, एक सेवानिवृत्त IAF अधिकारी हैं और उनके दादा को मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया था.

मोहना सिंह के करियर की पहली बड़ी सफलता 2019 में मिली, जब वह हॉक Mk.132 एडवांस्ड जेट ट्रेनर पर पूर्ण परिचालन स्थिति प्राप्त करने वाली IAF में पहली महिला फाइटर पायलट बनीं. तब तक उन्होंने 380 घंटे से अधिक की घटना-मुक्त उड़ान भरी थी, जिसमें उन्होंने एयर-टू-एयर और एयर-टू-ग्राउंड दोनों लड़ाकू मोड में महारत हासिल की थी.

स्क्वाड्रन लीडर अवनी चतुर्वेदी
अवनी चतुर्वेदी मिग 21 बाइसन को अकेले उड़ाने वाली पहली भारतीय महिला बनीं. वह मध्य प्रदेश के रीवा जिले की रहने वाली हैं. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा मध्य प्रदेश के एक छोटे से शहर देवलैंड से की और राजस्थान के बनस्थली विश्वविद्यालय से प्रौद्योगिकी में स्नातक की पढ़ाई की. इस दौरान, वह फ्लाइंग क्लब में शामिल हो गईं और भारतीय वायु सेना की परीक्षा पास की. उन्होंने हैदराबाद वायु सेना अकादमी में अपना प्रशिक्षण पूरा किया. लड़ाकू विमान उड़ाने की प्रेरणा उन्हें अपने भाई से मिली, जो सेना में हैं.

27 अक्टूबर 1993 को जन्मी, उनके पिता दिनकर चतुर्वेदी मध्य प्रदेश सरकार के जल संसाधन विभाग में एक कार्यकारी इंजीनियर हैं और उनकी मां एक गृहिणी हैं.

फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कंठ
भावना कंठ गणतंत्र दिवस परेड में भारतीय वायुसेना की टुकड़ी का हिस्सा बनने वाली पहली महिला फाइटर पायलट बनीं. वह नवंबर 2017 में फाइटर स्क्वाड्रन में शामिल हुईं और मार्च 2018 में मिग-21 बाइसन पर पहली बार अकेले उड़ान भरी. वह वर्तमान में पश्चिमी क्षेत्र में एक फाइटर बेस पर तैनात हैं. कंठ नवंबर 2017 में फाइटर स्क्वाड्रन में शामिल हुईं और मार्च 2018 में मिग-21 बाइसन पर पहली बार अकेले उड़ान भरी.

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