आखिर क्यों आते हैं भूकंप?

धरती की सतह के नीचे वह बिंदु जहां चट्टानों में तनाव के कारण टूट-फूट होती है. उसे भूकंप का केंद्र या हाइपोसेंटर कहा जाता है. यहीं से ऊर्जा तरंगों के रूप में बाहर निकलती है. जिससे भूकंप के झटके महसूस होते हैं.

दिल्ली-एनसीआर में एक बार फिर भूकंप आया और एक बार फिर धरती को हिला दिया. सोमवार सुबह-सुबह आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.0 मापी गई जिसका केंद्र दिल्ली के पास 5 किलोमीटर की गहराई में था. तेज झटकों के कारण लोग डर के मारे अपने घरों से बाहर निकल आए. हालांकि किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं मिली है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बार-बार भूकंप क्यों आते हैं? आइए जानते हैं इसके पीछे की वैज्ञानिक वजह और भारत में भूकंप के सबसे ज्यादा संवेदनशील क्षेत्रों के बारे में भी जानते हैं.

भूकंप आने के कारण
असल में भूकंप का मुख्य कारण टैक्टोनिक प्लेटों की हलचल है. धरती 12 टैक्टोनिक प्लेटों पर टिकी हुई है जो लगातार धीमी गति से हिलती रहती हैं. जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं या खिसकती हैं तो ऊर्जा निकलती है जिससे भूकंप के झटके महसूस होते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार ये प्लेटें हर साल लगभग 4 से 5 मिलीमीटर तक अपनी स्थिति बदलती हैं. कभी-कभी ये टकराकर फंस जाती हैं और अचानक ऊर्जा मुक्त होने पर भूकंप आ जाता है.

भारत में भूकंप के क्षेत्र
दुनिया में सबसे ज्यादा भूकंप ‘रिंग ऑफ फायर’ क्षेत्र में आते हैं. जिसमें इंडोनेशिया, जापान, और अमेरिका के कुछ हिस्से शामिल हैं. भारत में भी हाल के वर्षों में भूकंप की घटनाएं बढ़ी हैं. इस खतरे के आधार पर भारत को भूकंपीय जोन में विभाजित किया गया है.

भारत में भूकंपीय जोन का वर्गीकरण:
भारत को भूकंपीय जोखिम के अनुसार 5 जोनों में बांटा गया है:

जोन-5 सबसे ज्यादा खतरा: इसमें पूर्वोत्तर भारत, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात का कच्छ क्षेत्र, उत्तर बिहार और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं. यहां बार-बार भूकंप आते रहते हैं.

जोन-4 उच्च खतरा: जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के बाकी हिस्से, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश का उत्तरी भाग, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात और महाराष्ट्र का कुछ हिस्सा इसमें आते हैं.

जोन-3 मध्यम खतरा: इसमें केरल, बिहार, पश्चिमी राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पूर्वी गुजरात और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्से शामिल हैं.

जोन-2 कम खतरा
इसमें राजस्थान, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और हरियाणा आते हैं.

जोन-1 न्यूनतम खतरा: इसमें पश्चिमी मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पूर्वी महाराष्ट्र और ओडिशा के कुछ हिस्से शामिल हैं.

भूकंप का केंद्र क्या होता है?
धरती की सतह के नीचे वह बिंदु जहां चट्टानों में तनाव के कारण टूट-फूट होती है. उसे भूकंप का केंद्र या हाइपोसेंटर कहा जाता है. यहीं से ऊर्जा तरंगों के रूप में बाहर निकलती है. जिससे भूकंप के झटके महसूस होते हैं.

दिल्ली-एनसीआर में भूकंप की स्थिति
हाल के वर्षों में दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके लगातार महसूस किए गए हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यह चिंता का विषय है और इस पर निरंतर शोध किया जा रहा है. वैज्ञानिक यह भी अध्ययन कर रहे हैं कि क्या टैक्टोनिक प्लेटों की हलचल किसी बाहरी गतिविधि से प्रभावित होती है.

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