अभिषेक बच्चन-ऐश्वर्या राय, दोनों ले सकते हैं ‘ग्रे-डिवोर्स’

चलिए जानते हैं कि आखिर ये ग्रे-डिवोर्स क्या होता है.

अभिषेक-ऐश्वर्या के तलाक की खबरें…………….
पिछले काफी दिनों से खबर आ रही है कि बच्चन परिवार और ऐश्वर्या राय के बीच दरार आ चुकी है. एक के बाद कुछ न कुछ ऐसा आ रहा है, जिससे यह साफ होते जा रहा है कि उनके बीच चीजें ठीक नहीं हैं. वहीं कुछ पहले अभिषेक बच्चन ने एक तलाक की पोस्ट लाइक की थी, जिससे भी इस बात को हवा मिली. वह तस्वीर ग्रे डिवोर्स से संबंधित थी, जिसमें टूटे दिल की फोटो बनी थी. फोटो के कैप्शन में लिखा है, ‘तलाक किसी के लिए भी आसान नहीं होता, कौन हमेशा खुश रहने के सपने नहीं देखता’.

अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय इन दिनों खूब चर्चा में बने हुए हैं. दोनों के बीच हो रही नई अनबन को लगातार नई हवा मिल रही है. बीते दिनों जब अनंत अंबानी की शादी में ऐश्वर्या राय और आराध्या अलग-अलग पहुंचे थे और बाकी बच्चन परिवार अलग पहुंचा था, तब से दोनों परिवारों में अनबन की खबरें और तेज हो गई हैं. कहा जा रहा है कि अब दोनों ग्रे डिवोर्स लेने जा रहे हैं. चलिए जानते हैं कि आखिर ये बातें कितनी सच हैं और आखिर ग्रे-डिवोर्स क्या होता है.

भारत में बढ़ रहा ग्रे-डिवोर्स
अभिषेक के ग्रे-डिवोर्स की पोस्ट लाइक करने के बाद चर्चा इस बात पर हो रही है कि आखिर यह ग्रे-डिवोर्स होता क्या है. शादीशुदा जोड़ों के बीच अगर कुछ अच्छा न चल रहा हो तो वह तलाक ले लेते हैं. कई बार शादी के 5-10 साल बाद साथ रहने तक अलग चीजें ठीक नहीं होती हैं, तो लोग तलाक ले लेते हैं. लेकिन इन दिनों बुजुर्गावस्था में भी तलाक के मामले बढ़ते जा रहे हैं. वैसे तो यह प्रचलन पश्चिम देशों में ज्यादा है, लेकिन अब भारत में भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है.

क्या है ग्रे-डिवोर्स
ग्रे-डिवोर्स वह होता है, जब लोग शादी के काफी साल बाद जैसे 40-50 साल के बाद तलाक लेते हैं. ये कपल्स साथ में काफी लंबा वक्त बिताने के बाद एक-दूसरे से अलग होने का फैसला कर लेते हैं. शादी के इतने साल हो जाने के बाद बच्चे भी बड़े और समझदार हो जाते हैं. हालांकि इतने साल साथ रहने के बाद पार्टनर से अलग हो जाना आसान नहीं होता है. ग्रे-डिवोर्स को सिल्वर स्प्लिटर्स या फिर डायमंड तलाक भी कहा जाता है. ग्रे तलाक को काफी हद तक सफेद बालों से जोड़कर देखा जाता है, जो कि ज्यादातर 40-50 के बाद कॉमन होता है. भारत में भले ही यह नया हो, लेकिन पश्चिमी देशों में काफी तेजी से फैल चुका है.

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