किसी भी सदन में नहीं ये नेता, फिर भी बन गए केंद्र में मंत्री!

नरेंद्र मोदी कैबिनेट 2024 : पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल में तीन ऐसे नेताओं को जगह मिली है जो संसद के किसी सदन के सदस्य नहीं है. उन्हें मंत्री बनाकर बीजेपी क्या संदेश देना चाह रही है, समझिए.

नरेंद्र मोदी 3.0 कैबिनेट : नरेंद्र मोदी ने रविवार को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. वह लगातार तीसरी बार पीएम बनने वालो दूसरे नेता हैं. पीएम समेत कुल 72 सदस्यों वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ दिलाई. कैबिनेट में 11, 2 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 25 राज्य मंत्रियों को मिलाकर मोदी 3.0 में कुल 38 नए चेहरे हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल 2024 में दो ऐसे चेहरे भी शामिल हैं जो लोकसभा या राज्यसभा का हिस्सा नहीं हैं.
बीजेपी ने रवनीत सिंह बिट्टू और जॉर्ज कुरियन को केंद्र में मंत्री बनाया है. ये दोनों ही अभी संसद के सदस्य नहीं हैं. रवनीत सिंह बिट्टू 2024 लोकसभा चुनाव में पंजाब की लुधियाना सीट से हार गए थे. वह चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए थे. वहीं, कुरियन केरल में भाजपा के महासचिव हैं. उन्हें केरल में बीजेपी का ईसाई चेहरा माना जाता है.

किसी भी सदन में नहीं, फिर क्यों मिला मंत्री पद?

बिट्टू और कुरियन, दोनों को मंत्री बनाकर बीजेपी ने बड़ा संदेश दिया है. पंजाब में बीजेपी दो दशक में पहली बार अकेले लोकसभा चुनाव लड़ी थी. लुधियाना से बिट्टू को पंजाब कांग्रेस चीफ अमरिंदर सिंह वारिंग ने हराया है. इस हार के बावजूद बिट्टू को केंद्र में मंत्री बनाया गया. इससे मालूम होता है कि बीजेपी की नजर में बिट्टू वह चेहरा है जो पंजाब में पार्टी को अपने दम पर खड़ा कर सकते हैं. वह पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते हैं. सिंह की मुख्यमंत्री रहते हुए हत्या कर दी गई थी. उस समय बिट्टू की उम्र सिर्फ 20 साल थी.

बीजेपी ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर, अमृतसर से हारने वाले पूर्व राजनयिक तरनजीत सिंह संधू, बठिंडा से हारने वाली पूर्व आईएएस अधिकारी परमपाल कौर सिद्धू और फरीदकोट से हारने वाले गायक हंस राज हंस की जगह बिट्टू को चुना है.

तीन बार कांग्रेस से सांसद रहे बिट्टू पहली बार 2009 में आनंदपुर से लोकसभा पहुंचे थे. 2014 और 2019 में लुधियाना से जीते. बिट्टू की पहचान एक ‘राष्ट्रवादी’ के रूप में है. वह खालिस्तान के पुरजोर विरोधियों में गिने जाते हैं.

दूसरी तरफ, जॉर्ज कुरियन केरल में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा हैं. वह पिछले चार दशक से राज्य में बीजेपी का संगठन संभालते आ रहे हैं. केरल जैसे राज्य में जहां बीजेपी की कोई खास पैठ नहीं, कुरियन ने अल्पसंख्यकों पर पार्टी की पहुंच सुनिश्चित की. 63 साल के कुरियन हिंदी भी अच्छी बोलते हैं. उन्होंने 2016 में पुथुपल्ली से विधानसभा चुनाव लड़ा था मगर तीसरे नंबर पर रहे थे.

केंद्रीय मंत्रिमंडल 2024 में वह केरल से दूसरा चेहरा हैं. बीजेपी ने त्रिशूर से जीतने वाले सुरेश गोपी को भी मंत्री बनाया है. कुरियन को मंत्री बनाकर बीजेपी ने केरल में ईसाइयों पर डोरे डालने की कोशिश की है. राज्य में दो साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं.

क्या कहता है संविधान?

नियमों के मुताबिक, इन दोनों को छह महीनों के भीतर संसद के किसी एक सदन का हिस्सा बनना होगा. अगर ऐसा नहीं होता तो उनका मंत्री पद छिन जाएगा. संविधान के अनुच्छेद 75(5) और 164(4) में कहा गया है कि कोई मंत्री जो लगातार छह महीने की अवधि तक संसद या राज्य विधानमंडल के किसी भी सदन का सदस्य नहीं है, वह उस अवधि की समाप्ति पर मंत्री नहीं रहेगा

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