44% बच्चे अमेरिकी टीनएजस सोशल मीडिया से मुंह मोड़ रहे : रिपोर्ट

नाबालिगों ने क्यों सोशल मीडिया बोला ‘नो’

वाशिंगटन (प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट) : 2023 में अमेरिकी सर्जन जनरल ने एक चेतावनी जारी की थी जिसमें कहा था कि सोशल मीडिया का बच्चों और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। स्कूल और पेरेंट्स के साथ ही किशोरों ने भी ये महसूस किया कि वाकई में सोशल मीडिया का अत्याधिक उपयोग उनके अवसाद का कारण बन रहा है।

सर्वे में शामिल लगभग 48% किशोरों का मानना है कि सोशल मीडिया उनके उम्रदराज दोस्तों के लिए हानिकारक है. जबकि 2022 में यह आंकड़ा 32% था. दिलचस्प बात यह है कि खुद के लिए इस नुकसान को सिर्फ 14% किशोर ही स्वीकार करते हैं.

अमेरिका से एक बेहद अच्छी खबर चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल हाल ही में एक रिपोर्ट आई है जिसमें बताया गया है कि अमेरिका में 44 प्रतिशत नाालिगों ने अपने सोशल मीडिया और स्मार्टफोन उपयोग में कमी की है। यह खबर डिजिटल युग में टीएजर्स के मेंटल हेल्थ और लाइफस्चाइल पर बढ़ती चिंताओं को दर्शाता है।

प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक, किशोरों में सोशल मीडिया उपयोग कम करने की प्रवृत्ति खासकर लड़कियों में अधिक देखी गई है, जहां 50 प्रतिशत ने स्क्रीन टाइम कम करने की कोशिश की, जबकि लड़कों में यह आंकड़ा 40 प्रतिशत है। किशोरों में सोशल मीडिया के उपयोग के लेकर सतर्कता के पीछे कई कारण हैं।

हमेशा ऐसी बातें सामने आती रही हैं कि सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग किशोरों में तनाव, चिंता और नींद की समस्याओं की जड़ बन रहा है। साल 2023 में अमेरिकी सर्जन जनरल ने एक चेतावनी जारी की थी जिसमें कहा था कि सोशल मीडिया का बच्चों और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। स्कूल और पेरेंट्स के साथ ही किशोरों ने भी ये महसूस किया कि वाकई में सोशल मीडिया का अत्याधिक उपयोग उनके अवसाद का कारण बन रहा है। उन्होंने स्वजागरुकता का परिचय देते हुए खुद को सोशल मीडिया और स्मार्टफोन से दूर करने का काम किया है।

सोशल मीडिया और स्मार्टफोन के अनियंत्रित उपयोग से नुकसान
सोशल मीडिया और स्मार्टफोन का उपयोग आज की डिजिटल दुनिया में जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है, लेकिन इनका अनियंत्रित उपयोग इन गंभीर नुकसानों का कारण बन रहा है.

1. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव:
अत्यधिक उपयोग से तनाव, चिंता, अवसाद और कम आत्मसम्मान की समस्याएँ बढ़ सकती हैं। सोशल मीडिया पर तुलना और साइबरबुलिंग मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाते हैं।

2. नींद की कमी:
रात में स्मार्टफोन की नीली रोशनी और स्क्रॉलिंग नींद के चक्र को बाधित करता है, जिससे अनिद्रा और थकान की समस्या होती है।

3. प्रोडक्टिविटी की गिरना:
सोशल मीडिया पर अत्यधिक समय बिताने से ध्यान भटकता है, जिससे पढ़ाई, काम और व्यक्तिगत लक्ष्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

4. अकेलापन:
वास्तविक रिश्तों के बजाय ऑनलाइन जुड़ाव पर ध्यान देने से परिवार और दोस्तों के साथ संबंध कमजोर हो सकते हैं, जिससे अकेलापन बढ़ता है।

5. फिजिकल हेल्थ:
लंबे समय तक स्क्रीन पर रहने से आँखों में तनाव, सिरदर्द, गर्दन और पीठ दर्द, और मोटापे जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। सोशल मीडिया और स्मार्टफोन का संतुलित उपयोग जीवन को समृद्ध बना सकता है, लेकिन अनियंत्रित उपयोग से बचना जरूरी है।

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