लखनऊ के ओशो नगर अग्निकांड से हुआ अवैध बस्ती बसाने के खेल का खुलासा

10 साल से 80 से ज्यादा अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी किराए पर बसाये

लखनऊ : शहर के कई इलाकों में अवैध झुग्गी झोपड़ी के किराए पर देने का खेल लंबे समय से चल रहा है। हाल ही में सरोजनीनगर के ओशो नगर में चार बीघा जमीन पर बसी बस्ती में हुए अग्निकांड के बाद फिर इसका खुलासा हुआ है। इस बस्ती में 10 साल से 80 से ज्यादा परिवारों को अवैध रूप से किराए पर झोपड़ी देकर बसाया गया था, जिनमें ज्यादातर रोहिंग्या और बांग्लादेशी हैं। किराए के तौर पर कैश की जगह उनसे कबाड़ लिया जाता था और उस कबाड़ का ही 6 ठेकेदार कारोबार करते थे। जमीन के मालिक रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी को ठेकेदार किराए पर झोपड़ी के बदले कैश देते थे। हर झोपड़ी का रेट फिक्स था।

बस्ती में हुए अग्निकांड में अपना सब कुछ गवां चुके सैमुद्दीन अली, कमलुद्दीन, बोदियाताली, सलमान अली, गुलजार अली, जियाउद्दीन, सलमा समेत करीब 150 लोगों की झोपड़ियां जल गईं। ये लोग करीब 10 सालों से झोपड़ी बनाकर वहां रह रहे थे। यह बस्ती रेलवे से रिटायर्ड रामबाबू की खाली पड़ी चार बीघा जमीन पर बसी थी।

यह जमीन तो रामबाबू की थी, लेकिन जमीन पर 6 अलग-अलग ठेकेदार झोपड़ियों को किराए पर चला रहे थे। जिसमें ठेकेदार अंशु गुप्ता की 15, सुभाष की 10, खउशी राम साहू की 13, हातिम अली की 15, जलील खान की 14, संजीव गुप्ता के हिस्से में 8 झोपड़ियां थीं। यहां रहने वाली लोगों ने बताया कि ठेकेदार प्रति झोपड़ी दो हजार से पांच हजार रुपये तक वसूलता है। ठेकेदार किराया कैश में न लेकर बीने हुए कूड़े के कुल दाम में कटौती करता है। रोजाना की कटौती से ही किराए की भरपाई होती है।

झुग्गी में रहने वाले लोगों को बिजली और पानी की सप्लाई के लिए ठेकेदार ने चार जनरेटर भी लगवाए थे। साथ ही चार सबमर्सिबल पंप की बोङ्क्षरग भी कराई गई है। इसी से सभी को पानी पहुंचाया जाता था। हालांकि, न तो इसकी कोई परमिशन ली गई और न ही कोई सूचना दी गई। आग लगने के बाद जनरेटर और सबमर्सिबल स्टार्टर भी जल गए। घटनास्थल के आसपास रहने वाले स्थानीय लोगों ने बताया कि कई बार यहां से झोपड़ियां हटाने की मांग की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। झुग्गियों में लगी आग से उनके मकानों को भी भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने पुलिस प्रशासन से कार्रवाई की मांग की है।

नगर निगम में कई बार की शिकायत
पार्षद जितेंद्र यादव जीतू का कहना है कि झोपड़ियों को खाली कराने के लिए वह नगर निगम को कई पत्र लिख चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। नगर निगम सदन की बैठक में भी मामले को उठाया था, पर बस्ती को नहीं हटाया गया। ओशो नगर करीब पांच हजार की आबादी वाला इलाका है, लेकिन कोई ठीक रास्ता न होने से फायर टेंडर को भी यहां मौके पर पहुंचने के लिए परेशानी का सामान करना पड़ा।

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