भारत को मिलेगी UNSC की स्थायी सदस्यता!
मुस्लिम देश कुवैत ने किया सपोर्ट, चीन-पाकिस्तान द्वारा विरोध

नई दिल्ली : भारत पिछले कई सालों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC)की स्थायी सदस्यता की मांग कर रहा है. इसके लिए भारत नेG4 समूह के साथ एक अभियान भी चलाया है. हाल ही में सुरक्षा परिषद के सुधार के दौरान तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन की मुस्लिम देश को स्थायी सदस्यता देने की मांग को भारत ने खारिज कर दिया था. वहीं अब संयुक्त राष्ट्र (UN) की ओर से भारत के लिए अच्छी खबर सामने आई है.
युनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल ( UNSC) में सुधार पर अंतरसरकारी वार्ता ( IGN) के अध्यक्ष ने विश्व निकाय के सुरक्षा परिषद के विस्तार पर फैसला लेने की बात कही है. अध्यक्ष के मुताबिक अगर यह फैसला लिया जाता है तो भारत निश्चित रूप से इसका प्रबल दावेदार होगा.
इसको लेकर राजदूत तारिक अलबनई ने एक प्रेस कांफ्रेस में कहा,’ जाहिर है कि UNSC में अगर सुधार होता है, तो उसका मकसद यह होना चाहिए कि वह सभी देशों का सही प्रतिनिधित्व करे.’ अलबनई ने कहा,’ वैश्विक मंच पर भारत आज एक बड़ा और अहम राष्ट्र है, लेकिन UN में कुल 193 देश हैं. ऐसे में सुधार करते समय यह जरूर देखा जाना चाहिए कि हर मुल्क की आवाज सुनी जाए और सभी सदस्य देशों को प्रतिनिधित्व मिले न कि सिर्फ कुछ ही बड़े और ताकतवर देशों को ही इसमें जगह दी जाए.’
बता दें कि तारिक अलबनई संयुक्त राष्ट्र में कुवैत के स्थायी प्रतिनिधि हैं. उन्होंने कुवैत को भारत के स्थायी सदस्यता के दावे को समर्थन देने की बात कही है. अलबनई ने कहा कि अगर परिषद के सदस्यों की संख्या 21 से बढ़ाकर 27 करने का फैसला लिया जाता है तो निश्चित रूप से इसमें प्रमुख दावेदार भारत होगा. अलबनई ने याद किया कि पिछले साल 2024 में वह और ऑस्ट्रिया के सहअध्यक्ष राजदूत अलेक्जेंडर मार्शिक भारत का दौरा करने गए थे. इस दौरान वहां उन्होंने UNSC सुधार के ममाले पर उच्चतम स्तर पर वार्ता की थी.
चीन-पाकिस्तान कर रहा विरोध
राजदूत ने युनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली के वर्तमान 79वें सत्र के दौरान IGN प्रक्रिया में हुई प्रगति को लेकर जानकारी देते हुए कहा कि सुधार का रास्ता भले ही कितना कठिन हो, लेकिन हम आगे बढ़ने के लिए स्थिर और महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं. बता दें कि भारत समेत G4 देशों ने साफ कहा था कि सुरक्षा परिषद में धर्म के आधार पर स्थायी सदस्यता उन्हें बिल्कुल भी मंजूर नहीं है. वहीं पाकिस्तान स्थायी सदस्यता का विस्तार नहीं चाहता है ताकि इससे भारत को सदस्य बनने से रोका जा सके.