अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से ट्रंप को लगा बड़ा झटका!

जन्म से नागरिकता प्रतिबंधों पर रोक

वाशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. अदालत ने ट्रंप के जन्म से नागरिकता पर बैन लगाने वाले प्रस्ताव पर रोक लगा दी है. हालांकि अदालत ने इस मुद्दे पर दलीलें सुनने पर सहमति जताई है और मई में इस पर सुनवाई की जाएगी.

US सुप्रीम कोर्ट अभी सीधे यह तय नहीं करेगा कि ट्रंप का यह फैसला संविधान के मुताबिक है या नहीं. फिलहाल कोर्ट एक और तकनीकी बात पर ध्यान देगा, जो आगे चलकर काफी असर डाल सकती है. वह मुद्दा यह है कि क्या निचली अदालतों के जज पूरे देश में राष्ट्रपति की नीतियों को रोकने का आदेश दे सकते हैं या नहीं.

तीन संघीय न्यायाधीशों ने अलग-अलग फैसलों में ट्रंप के उस आदेश को रोकने के लिए निषेधाज्ञा जारी की, जिसमें अमेरिका में जन्मे बच्चों की नागरिकता खत्म करने की बात कही गई थी. जजों ने कहा कि यह आदेश 14वें संशोधन का सीधा उल्लंघन है, क्योंकि यह संशोधन लंबे समय से अमेरिका में जन्मे लगभग सभी लोगों को नागरिकता का हक देता है.

पिछले महीने ट्रंप सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जेंसी अपील दायर की. उन्होंने कोर्ट से कहा कि इन निषेधाज्ञाओं को या तो हटाया जाए या कम किया जाए. सरकार का कहना था कि निचली अदालतों के जजों को इतना बड़ा फैसला करने का अधिकार नहीं होना चाहिए, जिससे पूरे देश में किसी नीति को रोका जा सके.

15 मई को होगी सुनवाई
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने आदेश में कहा कि वह 15 मई को सुनवाई करेगा. यह सुनवाई इस मुद्दे पर होगी कि क्या जिला न्यायाधीशों को पूरे देश में लागू होने वाले आदेश देने का अधिकार है या नहीं. न्यायालय के लिए आपातकालीन अपीलों पर बहस निर्धारित करना दुर्लभ है. इससे यह पता चलता है कि कोर्ट ट्रंप प्रशासन की बात को गंभीरता से ले रहा है. अगर सुप्रीम कोर्ट ट्रंप की बात से सहमत होता है कि जजों ने अपने अधिकार से ज्यादा आदेश दिए हैं तो इससे सरकार को कुछ इलाकों में अपनी नागरिकता से जुड़ी नीति को तुरंत लागू करने की इजाजत मिल सकती है.

ट्रंप प्रशासन ने जारी किया था ये आदेश
ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले दिन एक नया आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि अमेरिका में जन्मे उन बच्चों को नागरिकता नहीं दी जाएगी जिनके माता-पिता बिना वैध कागज़ात के या अस्थायी वीज़ा पर देश में हैं.

लेकिन कई कानूनी जानकारों का कहना है कि यह आदेश कानून के खिलाफ है. उनका कहना है कि यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों और संविधान के 14वें संशोधन से टकराता है. 14वां संशोधन कहता है कि जो भी व्यक्ति अमेरिका में जन्मा है और अमेरिका के कानून के अधीन है, वह अमेरिका का नागरिक माना जाएगा.

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