वक्फ पर सुप्रीम सुनवाई के बीच दाऊदी बोहरा समुदाय की पीएम से मुलाकात
दाऊदी बोहरा के लोगों नें कहा. ‘शुक्रिया’, मोदी पर जताया भरोसा

नई दिल्ली: वक्फ संशोधन कानून को लेकर पूरे देश में राजनीति गरम है। मोदी सरकार इस कानून को मुस्लिमों की भलाई के लिए जरूरी बता रही है तो वहीं कांग्रेस समेत अनेक विपक्षी पार्टियां और कई मुस्लिम संगठन वक्फ संशोधन कानून को मुसलमानों के खिलाफ बता रही है। सुप्रीम कोर्ट में भी वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है। दूसरी ओर दाऊदी बोहरा समुदाय के लोगों ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है और उन्हें वक्फ संशोधन कानून के लिए धन्यवाद कहा है।
पीएम मोदी पर जताया भरोसा
आज गुरुवार को दाऊदी बोहरा समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर वक्फ संशोधन अधिनियम के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह समुदाय की लंबे समय से लंबित मांग थी। उन्होंने प्रधानमंत्री के सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के विजन पर भी भरोसा जताया।
वक्फ एक्ट रातों-रात नहीं बना- पीएम मोदी
वक्फ कानून पर पीएम मोदी ने कहा- “मैंने 5 साल तक वक्फ कानून की बारीकी समझी..मुस्लिम समाज से 1700 से ज्यादा शिकायतें मिली थी..शिकायत करने वाली ज्यादातर मुस्लिम महिलाएं थीं। वक्फ के नाम पर कुछ लोग गरीबों की संपत्ति कब्जा कर रहे थे। वक्फ कानून को लेकर काफी विचार-विमर्श किया गया, वक्फ एक्ट रातों-रात नहीं बना।”
सुप्रीम कोर्ट में हुई बड़ी सुनवाई
दूसरी ओर वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल वक्फ कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने वक्फ कानून के खिलाफ याचिकाओं पर सुवनाई करते हुए गुरुवार को कहा कि अगले आदेश तक वक्फ में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी। इसके साथ ही सरकार को जवाब देने के लिए 7 दिन का वक्त दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश
नए कानून के प्रावधानों के तहत वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में किसी भी तरह की नई नियुक्ति नहीं की जा सकेगी। इसका मतलब है कि गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति सहित कोई भी नया बदलाव फिलहाल संभव नहीं होगा।
कोर्ट ने आदेश दिया है कि ‘वक्फ-बाय-यूजर’ या ‘वक्फ-बाय-डीड’ के तहत घोषित किसी भी संपत्ति का वक्फ दर्जा नहीं हटाया जा सकेगा। इसका मतलब है कि ऐसी संपत्तियों को सरकारी जमीन घोषित करने या उनके स्वामित्व में किसी तरह का बदलाव करने की प्रक्रिया पर पूरी तरह रोक रहेगी।