क्या मार्शल लॉ लगाने की तैयारी में हैं डोनाल्ड ट्रंप?
अमेरिका को लेकर इन दिनों खबर आ रही है कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप करीब 50 घंटों के बाद वहां मार्शल लॉ लगा सकते हैं. यानी 20 अप्रैल को अमेरिका में आपातकाल की घोषणा की जा सकती है.

पाकिस्तान के जनरल और उसकी सरकार को अमेरिका से भी बहुत उम्मीद है. वैसे, अमेरिका को लेकर इन दिनों खबर आ रही है कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप करीब 50 घंटों के बाद वहां मार्शल लॉ लगा सकते हैं. यानी 20 अप्रैल को अमेरिका में आपातकाल की घोषणा की जा सकती है. ये भी संभव है कि ट्रंप अपनी सेना को अमेरिका में तैनात कर सकते हैं और इसकी वजह है ट्रंप का वो फैसला जिसपर उन्होंने 20 जनवरी 2025 को हस्ताक्षर किये थे.
अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के दिन ही ट्रंप ने एक आदेश पर हस्ताक्षर किये थे. इस आदेश के मुताबिक अगले 90 दिनों तक ट्रंप को सेना तैनात करने का अधिकार है. 90 दिनों की ये समय सीमा 20 अप्रैल को खत्म हो रही है. इसलिये अमेरिका में आपातकाल लागू होने की संभावना बढ़ गई है. जिस कानून के तहत उन्हें ये अधिकार मिला है उसका नाम है1807 का विद्रोह अधिनियम, अमेरिका दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश है और वहां होने वाले किसी भी तरह के फैसले के असर पूरी दुनिया पर होता है. अब अमेरिका में आपातकाल लगने पर उसका ग्लोबल इफेक्ट भी दिख सकता है. सबसे पहले आपको सदियों पुराने उस एक्ट के बारे में बताते हैं जिससे ट्रंप को आपातकाल लगाने की शक्ति मिल गई है.
1807 का विद्रोह अधिनियम अमेरिका के राष्ट्रपति को मिले सबसे शक्तिशाली आपातकालीन अधिकारों में से एक है. इसके जरिये ट्रंप अपनी सेना या नेशनल गार्ड को किसी भी तरह के विद्रोह या हिंसा के खिलाफ कहीं भी तैनात कर सकते हैं. यानी ट्रंप अमेरिका की धरती पर ही अमेरिकी सेना को तैनात करने का आदेश दे सकते हैं. हालांकि ये कोई पहला मौका नहीं होगा जब अमेरिका का कोई राष्ट्रपति इस कानून का इस्तेमाल करेगा. अबतक अमेरिका के इतिहास में 30 बार इस कानून का इस्तेमाल हो चुका है और ट्रंप शायद 31 वीं बार इसे इस्तेमाल कर सकते हैं.
इससे पहले आखिरी बार वर्ष 1992 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति George Bush ने लॉस एंजिल्स में हुए दंगों के बाद ये एक्ट लागू किया गया था. इसका सबसे चर्चित इस्तेमाल अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति आइजनहॉवर ने किया. उस समय एक स्कूल में भेदभाव करके अश्वेत छात्रों को दाखिल होने से रोका गया था और इस एक्ट की मदद से अश्वेत छात्रों को स्कूल में क्लास अटेंड करने का अधिकार मिला.
अमेरिकी मीडिया यही मान रही है कि ट्रंप इस कानून की मदद से आपातकाल लगा देंगे. इसकी एक वजह है अमेरिका में अवैध घुसपैठिये पहुंच रहे हैं. ट्रंप ने शपथ लेने के फौरन बाद अपने रक्षा मंत्री को बॉर्डर से घुसपैठ पर एक रिपोर्ट देने के लिये कहा था. माना जाता है कि रिपोर्ट मिलते ही बॉर्डर से घुसपैठ रोकने के लिये ट्रंप अपनी सेना को आदेश दे सकते हैं. हालांकि इस विवाद के बीच ही ट्रंप के वायुसेनाध्यक्ष ने एक ऐसा वीडियो जारी किया. जिसके बाद मिडिल ईस्ट में मिलिट्री एक्शन का खतरा बढ़ गया है. क्या इसका कनेक्शन ट्रंप के मार्शल लॉ से है. आपको विस्तार से समझाने के लिये हमने एक रिपोर्ट तैयार की है. जो आपको गौर से देखनी चाहिए.
ट्रंप चाहें ईरान पर हमले की इजाजत दें. अमेरिका में आपातकाल लगाने का फैसला लें. या फिर किसी और आदेश पर हस्ताक्षर करें. अब अमेरिका में कोई पत्रकार उनसे इसपर सवाल नहीं पूछ पाएगा. इसकी वजह है वो फैसला. जिसके तहत व्हाइट हाउस ने अपनी 111 वर्ष पुरानी मीडिया पॉलिसी में बदलाव किया है.
नई पॉलिसी में रॉयटर्स, ब्लूमबर्ग और एसोसिएटेड प्रेस जैसी अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसियों को व्हाइट हाउस के प्रेस पूल से बाहर कर दिया गया है. यानी इन न्यूज एजेंसियों को अब व्हाइट हाउस में स्थायी जगह नहीं मिलेगी. अब तक व्हाइट हाउस में पत्रकारों का एक ग्रुप होता था, जिसमें प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार और फोटोग्राफर शामिल होते थे. ये लोग राष्ट्रपति से जुड़ी हर छोटी-बड़ी गतिविधि को कवर करते थे. पर इस बदलाव के बाद अमेरिकी और इंटरनेशनल मीडिया को ट्रंप तक पहुंचने में काफी मुश्किल होगी.
ट्रंप के इस फैसले को अमेरिका में प्रेस की आजादी पर हमला माना जा रहा है. लेकिन ट्रंप अमेरिका में कई मीडिया संस्थानों पर भेदभाव पूर्ण रिपोर्टिंग का आरोप लगा चुके हैं. इस फैसले को उससे जोड़कर देखा जा रहा है. यानी अमेरिका में इमरजेंसी लगने से पहले ही व्हाइट हाउस में मीडिया पर आपातकाल लग चुका है. अमेरिकी मीडिया में ट्रंप के आपातकाल को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रिया है. कुछ का मानना है कि ट्रंप आने वाले 20 अप्रैल को मार्शल लॉ लगा देंगे. जबकि दूसरे मानते हैं कि इस पर बेवजह विवाद खड़ा किया जा रहा है. यानी ट्रंप क्या फैसला करेंगे. ये कोई नहीं जानता.