मुख्य न्यायाधीश के तौर पर जस्टिस भूषण आर गवई के नाम का प्रस्ताव
CJI संजीव खन्ना ने नए CJI के तौर पर जस्टिस गवई का नाम कानून मंत्रालय को भेजा

नई दिल्ली: CJI संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट के अगले मुख्य न्यायाधीश के तौर पर जस्टिस भूषण आर गवई के नाम का प्रस्ताव कानून मंत्रालय को भेजा गया. आपको बता दें कि कानून मंत्रालय ने CJI संजीव खन्ना से पूछा था कि वह अगले सीजेआई का नाम बताएं. वर्तमान चीफ जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को पूरा हो रहा है. जस्टिस गवई देश के 52 वें मुख्य न्यायाधीश होंगे. वो देश के अगले सीजेआई के तौर पर 14 मई को शपथ लेंगे. उनका कार्यकाल 6 महीने का होगा.
मौजूदा सीजेआई संजीव खन्ना ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस गवई के नाम की सिफारिश कानून मंत्रालय को भेज दी है। कानून मंत्रालय ने परंपरा के अनुसार, मौजूदा सीजेआई से उनके उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश मांगी थी। इसके जवाब में सीजेआई खन्ना ने जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का नाम आगे बढ़ाया। जस्टिस गवई की नियुक्ति कई मायनों में खास है, क्योंकि वह देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहे हैं।
जानिए कौन हैं जस्टिस बीआर गवईजस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ। उन्होंने 16 मार्च 1985 को वकालत शुरू की। उन्होंने अपने शुरुआती वर्षों में पूर्व महाधिवक्ता और हाईकोर्ट के जज बैरिस्टर राजा एस. भोसले के साथ 1987 तक कार्य किया। इसके बाद 1987 से 1990 तक बॉम्बे हाई कोर्ट में स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस की।
1990 तक बॉम्बे हाई कोर्ट में की प्रैक्टिस
जस्टिस गवई 1990 के बाद मुख्य रूप से बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में प्रैक्टिस की। फिर नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के लिए भी स्थायी वकील रहे। इसके अलावा, उन्होंने सीकोम, डीसीवीएल जैसी विभिन्न स्वायत्त संस्थाओं, निगमों और विदर्भ क्षेत्र की कई नगर परिषदों के लिए नियमित रूप से पैरवी की।
2000 में नागपुर खंडपीठ के लिए पब्लिक प्रॉसीक्यूटर नियुक्त
जस्टिस गवई अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक बॉम्बे हाई कोर्ट, नागपुर खंडपीठ में सहायक सरकारी अभिभाषक और एडिशनल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर नियुक्त किया गया। 17 जनवरी 2000 को बीआर गवई नागपुर खंडपीठ के लिए सरकारी अभिभाषक और पब्लिक प्रॉसीक्यूटर नियुक्त किया गया।
2019 में सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर मिली पदोन्नति
14 नवंबर 2003 को वे बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए और 12 नवंबर 2005 को स्थायी न्यायाधीश बने। उन्होंने मुंबई मुख्य पीठ सहित नागपुर, औरंगाबाद और पणजी की बेंच पर विभिन्न प्रकार के मामलों की अध्यक्षता की। 24 मई 2019 को उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। वे 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे।