आज सरकार उठाने जा रही बड़ा कदम..
गुरुवार को संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान निचले सदन में एक देश एक चुनाव से संबंधित बिलों पर चर्चा के लिए जेपीसी का प्रस्ताव पेश किया जाएगा. कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल यह प्रस्ताव करेंगे साथ ही लोकसभा और राज्यसभा के कुछ सांसदों के नाम भी जेपीसी के सदस्य के रूप में पेश किए जाएंगे.
विपक्ष आंबेडकर विवाद को लेकर भाजपा को घेरने में लगा हुआ है. इसी बीच गुरुवार को सरकार लोकसभा में ‘एक देश-एक चुनाव’ से संबंधित दो विधेयकों पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने के लिए प्रस्ताव पेश करेगी. साथ ही निचले सदन के 21 सांसदों के नाम भी सदस्यों के रूप में प्रस्तावित किए जाएंगे. इन नामों में कांग्रेस की नवनिर्वाचित सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा और भारतीय जनता पार्टी के सांसद बांसुरी स्वराज, अनुराग ठाकुर और भर्तृहरि महताब के अलावा अन्य नाम शामिल होंगे. प्रस्ताव में राज्यसभा के 10 सांसदों को शामिल करने का भी रास्ता बनाया जाएगा और पैनल को 2025 के बजट सेशन के आखिरी हफ्ते के पहले दिन अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा जाएगा.
निचले सदन की गुरुवार की कार्यसूची में कहा गया है,’अर्जुन राम मेघवाल (कानून मंत्री) प्रस्ताव पेश करेंगे कि भारत के संविधान में और संशोधन करने वाले विधेयक व केंद्र शासित प्रदेशों के शासन अधिनियम 1963, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली शासन अधिनियम, 1991 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में और संशोधन करने वाले बिल को इस सदन के निम्नलिखित 21 सदस्यों वाली सदनों की संयुक्त समिति को भेजा जाए.’
इन नेताओं नाम प्रस्ताव में
प्रियंका गांधी के अलावा, मनीष तिवारी और सुखदेव भगत इस समिति में शामिल होंगे. पार्टी के एक सीनियर नेता ने बताया कि राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला के भी जेपीसी के सदस्य बनने की संभावना है. समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के टीएम सेल्वागणपति के नाम भी जेपीसी के प्रस्ताव में शामिल थे. तेलुगु देशम पार्टी के जीएम हरीश बालयोगी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) की नेता सुप्रिया सुले, शिवसेना के श्रीकांत एकनाथ शिंदे, राष्ट्रीय लोक दल के चंदन चौहान और जनसेना के बालाशोवरी वल्लभनेनी को अन्य सदस्य बनाया गया.
राज्यसभा से भी की जाएगी सिफारिश
संयुक्त समिति की मीटिंग के लिए कोरम संयुक्त समिति के कुल सदस्यों की संख्या का एक तिहाई होनी चाहिए; समिति अगले सेशन के आखिरी हफ्ते के पहले दिन तक इस सदन को एक रिपोर्ट देगी; अन्य मामलों में, संसदीय समितियों से संबंधित इस सदन की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम ऐसे बदलावों और संशोधनों के साथ लागू होंगे, जैसा कि अध्यक्ष कर सकते हैं. प्रस्ताव में कहा गया है,यह सदन राज्यसभा से सिफारिश करता है कि राज्यसभा उक्त संयुक्त समिति में शामिल हो और संयुक्त समिति में नियुक्त किए जाने वाले सदस्यों के नाम इस सदन को बताए.
मंगलवार को पेश वोटिंग के बाद स्वीकार हुए थे बिल
मंगलवार को सरकार ने विपक्ष के जोरदार विरोध के बीच लोकसभा में ये दो बिल पेश किए थे. इस बिल के मुताबिक दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में चुनाव कराने के तरीके में बड़ा बदलाव लागू करने की दिशा में पहला कदम उठाया गया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में ऐलान किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि संविधान (129वां संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक को विस्तृत समीक्षा के लिए जेपीसी के पास भेजा जाए, क्योंकि विपक्ष ने बिलों के पेश किए जाने के दायरे पर वोटिंग के लिए मजबूर किया था. बिल पेश किए जाने के पक्ष में 263 सदस्यों ने और इसके खिलाफ 198 ने वोट डाले थे.