व्हिप के बावजूद संसद में क्यों नहीं पहुंचे भाजपा के 20 माननीय,क्या पार्टी एक्शन लेगी?

एक देश एक चुनाव कल लोकसभा में स्वीकार कर लिया गया है. इस बिल को लेकर संसद में दो बार वोटिंग हुई. बिल पेश होने से पहले पार्टियों ने सभी सांसदों को व्हिप जारी किया था. हालांकि व्हिप के बावजूद बड़ी तादाद में सांसद गैर हाजिर रहे.

मंगलवार को संसद के निचले सदन में ‘एक देश एक चुनाव’ बिल पेश किया गया है. इस बिल को स्वीकार करने को लेकर दो बार वोटिंग हुई और वोटिंग के बाद बिल स्वीकार कर लिया गया है. बिल के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े. बिल पेश होने से एक दिन पहले भाजपा और कांग्रेस ने अपने सभी सांसदों को व्हिप जारी किया था और कहा था कि मंगलवार को सभी सांसद लोकसभा में मौजूद रहे. लेकिन बड़ी तादाद में सांसदों ने इस व्हिप को दरकिनार किया और लोकसभा में उपस्थित नहीं रहे.

भाजपा ने सोमवार को तीन लाइन का व्हिप जारी किया था और कहा था और सभी लोकसभा में उपस्थित रहने की अपील की गई थी. एक जानकारी के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी के लगभग 20 सांसद वोटिंग के समय लोकसभा में मौजूद नहीं थे. जिसको देखते हुए भाजपा ने उन सांसदों को नोटिस जारी कर दिया है. बताया जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री गिरीराज सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और जगदंबिका पाल जैसे दिग्गजों को भी नोटिस जारी किए गए हैं.

भाजपा ने जिन सांसदों को नोटिस जारी किए हैं उनके लिस्ट तो सामने नहीं आई है लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में कुछ नामों का दावा किया जा रहा है जिन्हें पार्टी ने नोटिस जारी किए हैं.

➤ जगदंबिका पाल
➤ शांतुनु ठाकुर
➤ बीएस राघवेंद्र
➤ गिरीराज सिंह
➤ ज्योतिरादित्य सिंधिया
➤ विजय बघेल
➤ भागीरथ चौधरी (मंत्री हैं, पीएम के प्रोग्राम में जयपुर थे)
➤ उदयराजे भोंसले
➤ जयंत कुमार रॉय
➤ जगन्नाथ सरकारन

क्या होता है व्हिप?

‘व्हिप’ (Whip) एक राजनीतिक शब्द है, जिसका इस्तेमाल आम तौर पर संसदीय और विधानमंडलीय प्रक्रियाओं में किया जाता है. यह एक ऐसा तंत्र है, जो पार्टी के सदस्यों को पार्टी के दिशा-निर्देशों और नीतियों का पालन करने की बात कहता है. इसके अलावा व्हिप का इस्तेमाल महत्वपूर्ण मतदान या बहसों के दौरान पार्टी अनुशासन बनाए रखने के लिए किया जाता है. व्हिप का मकसद यह यकीनी बनाना होता है कि पार्टी के सभी सदस्य पार्टी की नीतियों का समर्थन करें और वोटिंग के समय एकजुट रहें.

व्हिप के प्रकार:

➤  सिंगल लाइन व्हिप: जब मामूली महत्व की बात होती है, तो पार्टी केवल उपस्थित होने का निर्देश देती है.
➤  डबल लाइन व्हिप: सदस्यों को महत्वपूर्ण मामलों पर उपस्थित रहने और पार्टी के आदेश के अनुसार कार्य करने के लिए कहा जाता है.
➤  ट्रिपल लाइन व्हिप: अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दों पर जारी किया जाता है, जिसमें पार्टी के आदेश का पालन करना अनिवार्य होता है. इसे न मानने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है.

व्हिप न मानने पर क्या होता है?

अगर कोई सांसद या फिर विधायक व्हिप का पालन नहीं करता है, तो उसके खिलाफ उसकी पार्टी अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती है, जिसमें पार्टी से निलंबन या निष्कासन भी शामिल है.

संसद में पेश हुआ ‘एक देश-एक चुनाव’ बिल

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में बिल पेश किए. हालांकि विपक्ष लागातार इसके खिलाफ बोला और कहा कि यह बिल पूरी तरह से असंवैधानिक है. साथ ही यह भी कहा कि कुछ मामले संसद के कार्य क्षेत्र से बाहर होते हैं और यह भी ऐसा ही है. विपक्ष ने दलील देते हुए कहा कि राज्य, केंद्र तहत नहीं आते ऐसे में संसद इस पर फैसला नहीं ले सकती. वहीं कुछ विपक्षी सांसदों ने इस बिल को पहले जेपीसी के पास भेजने की मांग की.

‘जेपीसी के पास भेजना चाहते थे पीएम मोदी’

इसी को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब एक राष्ट्र, एक चुनाव बिल को मंजूरी के लिए कैबिनेट में लाया गया था, तब पीएम मोदी ने कहा था कि इसे विस्तृत चर्चा के लिए जेपीसी के पास भेजा जाना चाहिए. अगर कानून मंत्री विधेयक को जेपीसी के पास भेजने के लिए तैयार हैं, तो इसे पेश करने पर चर्चा पूरी हो सकती है.’

कानून मंत्री ने रखा JPC का प्रस्ताव

इसके बाद कानून मंत्री अर्जुन अर्जुन राम मेघवाल ने भी प्रस्ताव दिया कि विधेयक पर विस्तृत चर्चा के लिए एक जेपीसी का गठन किया जाना चाहिए. विपक्षी सदस्यों की तरफ से उठाए गए बिंदुओं का जवाब देते हुए, मेघवाल ने कहा कि उच्च स्तरीय समिति पहले ही प्रस्ताव पर चर्चा कर चुकी है.

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