2011 में भारतीय क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड कप जीता, पेरिस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने ब्रॉन्ज मेडल नाम किया और अब डी गुकेश ने सबसे कम उम्र में चेस वर्ल्ड चैंपियन बनकर इतिहास रचा. इन तीनों बड़ी सफलताओं के पीछे एक शख्स का हाथ रहा, जिसने द्रोणाचार्य की भूमिका निभाते हुए करोड़ों फैंस को खुशियां दीं और भारत की शान भी बढ़ाई. यह नाम और कोई नहीं बल्कि दिग्गज कोच पैडी अप्टन हैं. जब डी गुकेश चीन के डिंग लिरेन को मात देकर वर्ल्ड चैंपियन बने तो पता चला कि उनकी इस ऐतिहासिक उपलब्धि में उनका बड़ा रोल रहा.
भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने रोमांचक 14वीं और आखिरी बाजी में डिफेंडिंग चैंपियन चीन के डिंग लिरेन को हराकर 18 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के वर्ल्ड चेस चैंपियन बने. गुकेश ने 14 बाजी के इस मुकाबले की आखिरी क्लासिकल बाजी जीतकर लिरेन के 6.5 के मुकाबले जरूरी 7.5 अंक के साथ खिताब हासिल कर कमाल किया. पहले रूस के दिग्गज गैरी कास्पारोव सबसे कम उम्र के वर्ल्ड चैंपियन थे, जिन्होंने 1985 में अनातोली कार्पोव को हराकर 22 साल की उम्र में खिताब जीता था. गुकेश इस साल की शुरुआत में कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीतने के बाद वर्ल्ड खिताब के लिए दावेदारी पेश करने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बने थे, वह दिग्गज विश्वनाथन आनंद के बाद वैश्विक खिताब जीतने वाले दूसरे भारतीय हैं.
भारत की शान बढ़ाने वाला ‘द्रोणाचार्य’
पैट्रिक एंथनी हॉवर्ड ‘पैडी’ अप्टन को अगर द्रोणाचार्य कहा जाए तो गलत नहीं होगा. उनके कोच रहते भारत ने एक या दो नहीं बल्कि तिहरी सफलता हासिल की. 5 नवंबर 1968 को साउथ अफ्रीका में जन्मे पैडी अप्टन क्रिकेट कोच हैं, जो प्रोफेशनलर टी20 क्रिकेट में हेड कोच, प्रोफेशनल एथलीटों के मानसिक कोच, खेल वैज्ञानिक एग्जक्यूटिव कोच और डीकिन विश्वविद्यालय में प्रैक्टिस के प्रोफेसर के रूप में विशेषज्ञता रखते हैं. उन्होंने केप टाउन विश्वविद्यालय से खेल विज्ञान में अपनी मास्टर डिग्री प्राप्त की.
भारत के लिए ‘लकी चार्म’ साबित हुए
पैडी अप्टन भारत के लिए लकी चार्म साबित हुए हैं. 2008 में भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच गैरी कर्स्टन बने, जिसके बाद उन्होंने ने मानसिक कंडीशनिंग कोच और स्ट्रैटेजिक लीडरशिप कोच की दोहरी भूमिका में अप्टन को जिम्मेदारी सौंपने की सिफारिश की. कर्स्टन ने अप्टन के समर्थन और मार्गदर्शन को अमूल्य बताया. कर्स्टन और अप्टन की जोड़ी ने भारतीय टीम के साथ तीन साल बिताए. इस दौरान भारत ने पहली बार (2009) टॉप टेस्ट आईसीसी टीम रैंकिंग हासिल की, फिर 2011 में टीम इंडिया विश्व चैंपियन बनी, जो 28 साल में पहला मौका था. इतना ही नहीं, 2024 में हुए पेरिस ओलंपिक में अप्टन भारतीय हॉकी टीम के कोचिंग स्टाफ का हिस्सा रहे, जिसने ब्रॉन्ज मेडल जीता.
साउथ अफ्रीका को भी बनाया नंबर-1
भारत की 2011 वर्ल्ड कप जीत के बाद अप्टन को 2011 से 2014 तक साउथ अफ्रीका क्रिकेट टीम (प्रोटियाज) का परफॉर्मेंस डायरेक्स्टर बनाया गया. इस दौरान वह साउथ अफ्रीका को इंटरनेशनल क्रिकेट के सभी तीन फॉर्मेट में एक साथ ICC वर्ल्ड नंबर 1 रैंकिंग वाली टीम बनाने में कामयाब रहे.
अब गुकेश को बनाया वर्ल्ड चैंपियन
पैडी अप्टन ने अब 18 साल के ग्रैंडमास्टर डी गुकेश को वर्ल्ड चैंपियन बनाने में बड़ी भूमिका निभाई. वह गुकेश के मानसिक कंडीशनिंग कोच हैं. पैडी अप्टन ने गुकेश को वर्ल्ड चैंपियनशिप में होने वाली हर परिस्थिति के लिए तैयार किया. उन्होंने छोटी-छोटी बातों पर भी ध्यान दिया है, जैसे कि जब डिंग अपने मूव्स के बारे में सोच रहा हो तो गुकेश क्या करना चाहिए और खाली समय में उन्हें क्या करना चाहिए. कई एथलीटों को तैयार करने में पैडी अप्टन का बहुत बड़ा हाथ रहा है.